क्यों मनाई जाती है छोटी दिवाली? जानें क्या है इस दिन दीपक जलाने का महत्व

छोटी दिवाली पर शाम के वक्त घर में दीपक लेकर घूमने के बाद उसे बाहर कहीं रख दिया जाता है. इस यम का दीपक कहते हैं. इस दिन कुल 12 दीपक जलाए जाते हैं

दिवाली के त्योहार से एक दिन पहले छोटी दिवाली मनाई जाती है. छोटी दिवाली को नरक चतुर्दशी भी कहा जाता है. इस दिन घरों में यमराज की पूजा की जाती है. छोटी दिवाली पर शाम के वक्त घर में दीपक लेकर घूमने के बाद उसे बाहर कहीं रख दिया जाता है. इस यम का दीपक कहते हैं. इस दिन कुल 12 दीपक जलाए जाते हैं. ऐसा कहते हैं कि यमराज के लिए तेल का दीपक जलाने से अकाल मृत्यु भी टल जाती है.

छोटी दिवाली सौन्दर्य प्राप्ति और आयु प्राप्ति का दिन भी माना जाता है. इस दिन आयु के देवता यमराज और सौन्दर्य के प्रतीक शुक्र की उपासना की जाती है. इस दिन श्रीकृष्ण की उपासना भी की जाती है क्योंकि इसी दिन उन्होंने नरकासुर का वध किया था. कहीं कहीं पर ये भी माना जाता है की आज के दिन हनुमान जी का जन्म हुआ था. जीवन में आयु या स्वास्थ्य की अगर समस्या हो तो इस दिन के प्रयोगों से दूर हो जाती है.

इस दिन स्नान करना क्यों है शुभ?

– इस दिन प्रातःकाल या सायंकाल चन्द्रमा की रौशनी में जल से स्नान करना चाहिए

– इस दिन विशेष चीज़ का उबटन लगाकर स्नान करना चाहिए

– जल गर्म न हो, ताजा या शीतल जल होना चाहिए

– ऐसा करने से न केवल अद्भुत सौन्दर्य और रूप की प्राप्ति होती है, बल्कि स्वास्थ्य की तमाम समस्याएं भी दूर होती हैं

– इस दिन स्नान करने के बाद दीपदान भी अवश्य करना चाहिए

उबटन लगाकर स्नान करने से लाभ

– चन्दन का उबटन लगाकर स्नान करने से प्रेम में सफलता प्राप्त होती है

– चिरौंजी का उबटन लगाकर स्नान करने से लम्बे समय तक आकर्षण बना रहता है

– त्वचा और मन को शुद्ध करने के लिए हल्दी का उबटन लगाकर स्नान करना चाहिए

– सरसों का उबटन लगाकर स्नान करने से त्वचा खूब चमकदार हो जाती है , और आलस्य दूर होता है

– बेसन का उबटन लगाकर स्नान करने से तेज बढ़ता है और व्यक्ति खूब एकाग्र हो जाता है

नरक चतुर्दशी पर दीर्घायु के लिए कैसे जलाएं दीपक?

– नरक चतुर्दशी पर मुख्य दीपक लम्बी आयु और अच्छे स्वास्थ्य के लिए जलता है

– इसको यमदेवता के लिए दीपदान कहते हैं

– घर के मुख्य द्वार के बाएं ओर अनाज की ढेरी रक्खें

– इस पर सरसों के तेल का एक मुखी दीपक जलाएं

– दीपक का मुख दक्षिण दिशा ओर होना चाहिए

– अब वहां पुष्प और जल चढ़ाकर लम्बी आयु और अच्छे स्वास्थ्य की प्रार्थना करें

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