चीन के विस्तारवादी नीति और कुटिल कारनामो से पूरा विश्व वाकिफ है |चीन के रक्षा मंत्री चांग वानकुआन ने सबको आगाह करते हुए कहा कि समुद्र में सुरक्षा खतरों से प्रति सबको सजग रहना चाहिए | सेना , पुलिस तथा आम लोगों को भी संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता के लिए स्थानांतरित होने के लिए भी तैयार रहने को कहा गया है
|दक्षिण चीन का समुद्र लम्बे समय से विवादों में रहा है , समय -समय कर चीन अपने बयानो और अपने दूषित कारनामो के ज़रीय इस क्षेत्र पर अपना अधिकार जताता रहा है , जबकि यह एक अंतरराष्ट्रिय समुद्री क्षत्रे है | ऐसे में चीन के रक्षा मंत्री चांग के इस बयान के काफी गहरे मायने हो सकते हैं | इस समुद्री क्षेत्र पर चीन के दावे का कई देश लम्बे समय से विरोध करते आए हैं जिनमे वियतनाम , फिलीपींस और ताइवान जैसे देश हैं | अंतरराष्ट्रिय हित से जुड़े इस मामले पर स्थाई मध्यस्तता अदालत ने भी यह कहा कि दक्षिण चीन समुद्र में चीन के अधिकार का कोई आधार नहीं है | इस फैसले के बाद भी चीन ने अपनी मनानी बंद नहीं की और यह भी दलील दी कि “दक्षिण चीन समुद्र ” में ” चीन ” शब्द का उपयोग हुआ है , इसलिए इस इलाके पर चीन का ही अधिकार है , जो की काफी हास्यास्पद है ,क्योकि चीन के इस तर्क के हिसाब से “इंडियन ओशियन ” पर ” इंडिया ” का अधिकार होना चाहिए , जो कि संभव नहीं है |
यहाँ यह जान लेना आवश्यक है कि दक्षिण चीन समुद्र का यह क्षेत्र विश्व के दुसरा सबसे व्यस्ततम मार्ग है और विश्व का होने वाला 30% व्यापार इस समुद्री मार्ग का इस्तेमाल करता है | साथ ही यह अनुमान लगाया गया है कि यहाँ 213 अरब बैरल तेल का विशाल भण्डार और 900 ट्रिलियन क्यूबिक फीट प्राकृतिक गैस मौजूद है | संभवतः प्राकृतिक संसाधनों से युक्त होना ही चीन कि इस इलाके में विशेष रुचि का कारण है | चीन की यह विस्तारवादी नीति कई देशो के परेशानी का कारण बनता जा रहा है जिसमे भारत भी शामिल है | भारत में होने वाले व्यापार का एक बहुत बड़ा हिस्सा इसी समुद्री मार्ग पर निर्भर है , ऐसे में इस इलाके पर चीन द्वारा एकाधिकार जताना भारत के लिए भी काफी खतरनाक साबित हो सकता है |
निर्भय कुमार