चिकित्सक के साथ ही आम आदमी के दर्द के साथी है बिहार डा राणा एसपी सिंह

अनूप नारायण सिंह

सच ही कहा गया है, कि इंसान अगर दिल में यह ठान ले कि उसे अपनी मंजिल को प्राप्त करना है, तो रास्ते के कांटे भी उसे फूल नजर आने लगते हैं, आज हम बात कर रहे हैं, ऐसे इंसान की जिसने अपने लगन और कठिन परिश्रम के बल पर खुद को चिकित्सा क्षेत्र में स्थापित ही नहीं किया बल्कि एक अलग मिसाल कायम की है।

राणा एसपी सिंह की कामयाबी की डगर इतनी आसान नही रही और उन्हें इसके लिये अथक परिश्रम का सामना करना पड़ा।  डा राणा संजय आज के दौर में न सिर्फ चिकित्सा जगत में छा गये हैं, बल्कि सामाजिक क्षेत्र में क्षितिज पर भी सूरज की तरह चमके रहे हैं। उनकी ज़िन्दगी संघर्ष, चुनौतियों और कामयाबी का एक ऐसा सफ़रनामा है, जो अदम्य साहस का इतिहास बयां करता है।

कई चुनौतियों का सामना कर और हर मोर्चे पर कामयाबी का परचम

डा राणा संजय ने अपने करियर के दौरान कई चुनौतियों का सामना किया और हर मोर्चे पर कामयाबी का परचम लहराया। बिहार के गोपालगंज जिले के हथुआ थाना के मछागर गांव में पले बढ़े डा राणा संजय के पिता रामध्यान सिंह पुलिस ऑफिसर थे। राणा संजय के माता-पिता उन्हें उच्चाधिकारी बनाने का ख्वाब देखा करते।

इसी को देखते हुये परिवार के लोगों ने राणा संजय को महज पांच साल की उम्र में बेहतर शिक्षा के लिये राजधानी पटना भेज दिया जहां वह होस्टल में रहकर पढ़ाई किया करते।  राणा संजय की रूचि बचपन के दिनों से ही कला और संगीत के क्षेत्र में थी।

वह अक्सर स्कूल और कॉलेज में होने वाले सांस्कृतिक कार्यक्रम में हिस्सा लिया करते। इसी दौरान जब वह चौथी कक्षा में थे, तो उन्हें स्कूल में होने वाले एक नाटक में डॉक्टर का किरदार निभाने का अवसर मिला।

डा राणा संजय ने ने सिर्फ अपने दमदार अभिनय से लोगों का दिल जीत लिया साथ ही वह इसके लिये सम्मानित भी किये गये और उनका फोटो अखबार में प्रकाशित किया गया।

राणा संजय ने निश्चय किया कि वह बतौर चिकित्सक अपना करियर बनायेंगे। वर्ष 1994 में इंटर की पढ़ाई पूरी करने के बाद डा राणा संजय ने एमबीबीएस में नामांकन की तैयारी शुरू की और पहली बार ही वह वह सेलेक्ट कर लिये गये।

वर्ष 1996 में राणा संजय की शादी रीता सिंह से हुयी जो उनकी जिंदगी में नया मोड़ लेकर आयी।

विज्ञान पर आधारित एक किताब भी लिखी : राणा संजय 

राणा संजय ने एमबीबीएस में दाखिला लिया और उन्होंने वर्ष 2001 में इसकी पढ़ाई पूरी की। इसके बाद उन्होंने निजी क्लिनीक की शुरूआत की। राणा संजय चिकित्सा के क्षेत्र में और अधिक पढ़ाई करना चाहते थे, और इसी को देखते हुये उन्होंने एमडी की तीन वर्षीय पढ़ाई पूरी की।

राणा संजय सामाजिक सरोकार से भी जुड़े व्यक्ति हैं और इस क्षेत्र में भी काम करना चाहते थे। इसी को देखते हुये उन्होंने वर्ष 2001 से निशुल्क हेल्थ कैंप लगाने की शुरूआत की। राणा संजय ने पटना ,बेगूसराय , औरंगाबाद , गोपालगंज , सारण और पूर्वी चंपारण समेत कई जिलों में निशुल्क हेल्थ् कैंप लगाकर मरीजों का इलाज किया।

राणा संजय गरीबों के मसीहा माने जाते हैं, और उन्होंने वृद्ध लोगों की निशुल्क चिकित्सा की और आज भी कर रहे हैं। राणा संजय ने छात्रो को हमेशा फीस में रियायत दी है। राणा संजय ने महिला सशक्तीकरण की दिशा में भी काम किया है। वह बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओं की थीम पर कई राष्ट्रीय चैनल पर अपनी आवाज उठाते रहे हैं।

वर्ष 2009 डा राणा संजय के करियर के लिये अहम वर्ष साबित हुआ। राणा संजय की बायोग्राफी को बीएसइबी के 10 वीं के पाठयक्रम में शामिल किया गया। दिलचस्प बात यह है कि राणा संजय उन सात अंतर्राष्ठ्रीय ख्याति प्राप्त लोगों में शामिल रहे जिन्हें बीएसइबी ने शामिल किया गया था।  इनमें कलम के जादूगर मुंशी प्रेमचंद्र समेत अन्य शामिल थे। राणा संजय ने विज्ञान पर आधारित एक किताब भी लिखी है।

राणा संजय वर्ष 1992 से ही राजनीति से जुड़ गये थे। तत्कालीन वित्त राज्य मंत्री श्री बृज किशोर नारायण से उन्होंने राजनीति के गुर सीखे और कम उम्र में ही चुनाव में अपने बेहतरीन मैनेजमेंट का परिचय दिया। राणा संजय ने भ्रष्टाचार के विरूद्ध मुहिम छेड़ते हुये अन्ना हजारे के आंदोलन में भी हिस्सा लिया है।

बेस्ट परफार्मिग डाक्टर के सम्मान से नवाजा गये है राणा संजय 

पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी को अपनी प्रेरणा मानने वाले राणा संजय राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ (आरएसएस) से जुड़े और बाद में पदमश्री सी पी ठाकुर के कहने पर वर्ष 2006 में भारतीय जनता पार्टी से भी जुड़कर काम करने लगे। राणा संजय का मानना है कि युवाओं में ऊर्जा का भंडार होता है,  उनके अंदर इच्छाशक्ति होती है।

युवाओं को राजनीति में भी भाग्य आजमाना चाहिए। युवाओं में उतनी क्षमता होती है कि वह दूषित राजनीति को शुद्ध कर सके। युवाओं को मिल कर कार्य करना होगा। देश की तरक्की के लिए युवाओं का सकारात्म ढंग से कार्य करना जरूरी है। युवा चाहे तो देश की तकदीर बदल सकता है।

युवाओं को भ्रष्टाचार, नशाखोरी एवं सामाजिक कुरीतियों के खिलाफ लड़ाई लडऩी चाहिए। राजनीति में युवाओं की भागीदारीबढ़ाने की जरूरत है। युवाओं को भी आगे बढ़ कर राजनीति में आते हुए देश व समाज के विकास में कार्य करना चाहिए।

वर्ष 2014 में राणा संजय की कर्मठता को देखते हुये भारतीय जनता पार्टी ने वर्ष 2014 में उन्हें भाजपा मेडिकल मेडिया सेल का कोषाध्यक्ष बनाया। डा राणा संजय को भाजपा सोशल मीडिया (राष्ट्रीय) का प्रभारी भी बनाया गया। अपने मित्र और जाने माने चिकित्सक रमित गुंजन के आग्रह पर उन्होंने रोटरी क्लब की ओर से आयोजित कई कैंप और सेमिनार में निशुल्क मरीजों का इलाज किया।

वर्ष 2016 में डा अमूल्य सिंह के कहने पर डा राणा संजय सिंह सामाजिक संस्था लायंस क्लब से जुड़ गये। वर्ष 2016 में राणा संजय को बिहार विधानसभा अध्यक्ष विजय चौधरी ने बेस्ट परफार्मिग डाक्टर के सम्मान से नवाजा।

राणा संजय अपने अबतक के करियर में भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित साह , पूर्व मुख्यमंत्री जगन्नाथ मिश्रा , लालू प्रसाद यादव , राबड़ी देवी , भाजपा के दिग्गज नेता नंद किशोर यादव और रामकृपाल यादव समेत कई लोगों के द्वारा सम्मानित किया जा चुका है। राणा संजय ने कई राष्ठ्रीय मेडिकल सेमिनार में बिहार का प्रतिनिधित्व किया है।

अपने पिता को रोल मॉडल मानते है डा राणा संजय 

राणा संजय को स्वास्थ्य संबंधी कई टीवी चैनलों पर एक्सपर्ट के तौर पर आमंत्रित किया जा चुका है। राणा संजय अपनी क्लिनीक के साथ ही कई नामचीन चिकित्सकों की क्लिनीक
में बतौर फिजिशियन जुड़कर मरीजों का इलाज कर रहे हैं। बहुमुखी प्रतिभा के धनी राणा संजय को संगीत से गहरा लगाव रहा है, और खाली समय में किशोर कुमार
के गाये गानो को सुनना पसंद करते हैं। राणा संजय को गिटार बजाने का भी शौक है।

राणा संजय के पुत्र राणा प्रेमशंकर पौलेंड में एमबीबीएस की पढ़ाई कर रहे हैं, जबकि बेटी भी एमबीबीएस की तैयारी कर रही है। डा राणा संजय अपने पिता को रोल मॉडल मानते है और उनका कहना है, कि आज वह जो कुछ बन पाये हैं अपने पिता की बदौलत हैं। डा राणा संजय सिंह अपनी सफलता का श्रेय जीवन संगिनी रीता सिंह भी देते हैं।

राणा संजय का कहना है कि आज वे जो कुछ हैं उसमें पत्नी की महत्वपूर्ण भूमिका रही है। वर्ष 2001 से अब तक राणा संजय लगातार निशुल्क स्वास्थ्य शिविर का आयोजन कर रहे है एक तरफ जहां बिहार में स्वास्थ्य शिविर भी बाजारवाद की चपेट में हैं ,और लोग रजिस्ट्रेशन के नाम पर मरीजों का आर्थिक दोहन करते हैं, वहीं डॉ राणा संजय निस्वार्थ भाव से बिहार के सभी जिलों में स्वास्थ्य शिविर का आयोजन करते आ रहे हैं , उनकी पत्नी रीता सिंह पुत्र डा राणा प्रेम शंकर पुत्री मुस्कान और खुशी  का काफी अहम योगदान होता है.

बिहार में बिहार झारखंड मे 132 लायंस क्लब 332E के हेल्थ हाइजेनिक के चेयरपर्सन भी यह हैं.

हुमन राइट्स बिहार के यह सलाहकार के साथ ही साथ भाजपा चिकित्सा से सेल में सेकंड पर्सन के रूप में हैं, लायंस पाटलिपुत्र आस्था के पूर्व अध्यक्ष विपिन कुमार सिंह ने इनको उल्लेखनीय योगदान के लिए हाल ही में सम्मानित भी किया है. नियमित रूप से स्वयं रक्तदान कर यह सामाजिक जागरूकता भी फैलाते रहते हैं.

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