लोक आस्था का महापर्व गुरुवार को उगते हुए सूर्य को अर्ध्य देने दे साथ संपन्न हो गया। महापर्व को लेकर पुरे उत्तर पूर्वी भारत में उत्साह का वातावरण रहा। राजधानी पटना समेत पुरे पूर्वी भारत के विभिन्न शहर दुल्हन की तरह सजे। बड़ी संख्या में छठ व्रती अपने परिवार के साथ छठ घाट और कृत्रिम घाटों पर पहुंचे और उदयीमान सूर्य को अर्घ्य प्रदान किया।
गुरुवार की सुबह उगते सूर्य को अर्घ्य प्रदान कर पूजा संपन्न हुआ। पटना के विभिन्न क्षेत्रों में भी कृत्रिम सरोवर में अर्ध्य देने का कार्य किया गया। इन कृत्रिम सरोवरों में व्रती अस्ताचलगामी सूर्य और उगते सूर्य को अर्घ्य देने की व्यवस्था की गयी थी।
प्रशासन और विभिन्न सामाजिक संगठनों के द्वारा विभिन्न छठ घाटो पर किसी भी प्रकार की परेशानी न हो इसका पूरा ख्याल रखा गया था।
सोमवार को छठ पूजा नहाय-खाय के साथ शुरू हुई थी। मंगलवार को खरना और तीसरे दिन शाम के समय डूबते हुए सूर्य को अर्घ्य दिया गया। आज सुबह उगते सूर्य को अर्घ्य दिया गया। पूर्वांचलियों का सबसे बड़ा और पवित्र पर्व बिहार, यूपी के सीमावर्ती क्षेत्रों और राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में मनाया जाता है। दिल्ली में जहां भी बिहार और पूर्वी उत्तर प्रदेश के लोग रहते हैं वे छठ का पर्व धूमधाम से मनाते हैं।
चार दिवसीय छठ महापर्व के चौथे दिन प्रातः उगते हुए सूर्यदेव को अर्घ्य देने की परंपरा है। श्रद्धालु प्रातः सूर्योदय के पहले हीं घाट पर पहुँच जाते हैं. बिहार, झारखंड और यूपी के कुछ हिस्सों में मनाए जाने वाले इस पावन पर्व को बहुत ही शालीनता, सादगी और आस्था से मनाये जाने की परंपरा है।
बता दें कि इस साल 8 नवंबर को छठ का पहला दिन था जिस दिन नहाए खाए के साथ पर्व की शुरुआत हुई, 10 नवंबर यानि आज छठ पूजा का चौथा दिन है जब श्रद्धालु घाटों पर प्रातःकालीन अर्घ्य देने पहुंचें। आज के अर्ध्य के साथ ही महापर्व छठ का पारण हो गया।
मुख्य रूप से उत्तर भारत के राज्यों बिहार, झारखंड और पूर्वी उत्तर प्रदेश में इसे लोग आस्था के साथ मनाते हैं। इस पर्व में सूर्य देव और छठी मइया की पूजा विधि-विधान से की जाती है।
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