दिल्ली डायरी : चार मीनार नहीं चोर मीनार

कमल की कलम से !
चोर मीनार : क्या यह भूतिया मीनार है ?

क्रूर से क्रूर और जघन्य से जघन्यतम मौत की सजा यह राजा देता था.अपराधियों का सर काट कर एक मीनार में बने छिद्रों से लटका देता था. सोचिए कितना भयावह होता होगा वह दृश्य जबकि किसी मीनार में बने 225 केहर छेदों में से एक एक कटा हुआ सर झाँक रहा हो.कितना
लोमहर्षक नजारा होता होगा वह.

आपको हमने दिल्ली के अनजान मीनारों की श्रृंखला में हस्तसाल मीनार और स्वतंत्रता सेनानी मीनार के बारे में बताया.
आपने चार मीनार का नाम सुना है पर आपने कभी चोर मीनार का नाम भी सुना है क्या ?

नहीं न.
तो आज हम आपको लिए चलते हैं दिल्ली के चोर मीनार के सैर को.

दिल्ली में मध्यकालीन मीनारें तो कई हैं, लेकिन यहां एक मीनार ऐसा भी है जो चोरों को समर्पित है.
हौज़ ख़ास के अरविंदो मार्ग पर स्थित और भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण द्वारा संरक्षित यह कलात्मक मीनार सैकड़ों साल से चोर मीनार के नाम से जाना जाता है.

यह ऐतिहासिक स्थान है जो दक्षिण दिल्ली में ईदगाह, हौज़ खास एन्क्लेव के दक्षिण पूर्व में गौड़िया मठ के पास स्थित है.
इस चोर मीनार (टॉवर ऑफ़ थीव्स) का निर्माण अलाउद्दीन खिलजी ने चोरों, कैदियों और राज्य के अन्य अपराधियों के सिर लटकाने के लिए 13 वीं ईस्वी में किया था. कुछ इतिहासकारों का मानना है कि खिलज़ी ने सैकड़ों मंगोलों की हत्या कर इस मीनार में उनके कटे सिरों की प्रदर्शनी लगाई थी.

जब आप इस टॉवर को करीब से देखेंगे तो आपको टावर में कई छेद मिलेंगे. इस छेद की संख्या 225 है. इन्ही छेदों से अपराधियों के सिर काटकर लटकाए जाते थे.

आसपास घनी आबादी के बावजूद इस मीनार से रात के सन्नाटे में अक्सर सिसकियों और चीखों की दबी आवाजें सुनी जाती हैं. वहाँ के लोगों ने बताया कि यह भूतिया टॉवर में से एक है और इस टॉवर पर रात में पास जाने से डर लगता है.लोगों ने तो यह भी बताया कि रात में भूतों की आवाजें आती है.

एक वैज्ञानिक सच से आपको रु ब रु कर दें कि वीरान खंडहरों में ऐसी रहस्यमय आवाज़ें अजूबा नहीं, वैज्ञानिक सच है. ये विचित्र आवाज़ें भूत-प्रेत की नहीं होंती. आवाज़ एक ऊर्जा है और यह ऊर्जा हज़ारों साल बाद भी नष्ट नहीं होती.बस इसकी तीव्रता कम से कमतर होती चली जाती है.

अब तो ऐसे उन्नत उपकरण भी हैं जिनमें सैकड़ों साल पुरानी ध्वनियां रिकॉर्ड कर सुनी जा सकती है. ये आवाज़ें बिना यंत्र के भी आप थोड़ी एकाग्रता से अपनी चेतना का स्तर बदलकर सुन सकते हैं. कभी-कभी थकावट या नींद की झपकी की वजह से कुछ पलों के लिए जब हम चेतनाशून्य हो जाते हैं तो वातावरण में मौजूद ध्वनियां हमें सुनाई दे जाती हैं. हम भ्रम मानकर इन्हें भूल भी जाते हैं. जबकि इसकी वास्तविकता बिल्कुल सच है.

यद्यपि मुझे तो कहीं से यह नहीं लगा कि ये भूतिया है.
हाँ डरावना जरूर है.

एक बार यहाँ जरूर जाएं.
इसे नजदीक से देखना अपने आप में बहुत रोमांचकारी है.

यहाँ तक पहुंचना बहुत आसान है.
मेट्रो स्टेशन हौज खास के गेट संख्या 2 से निकल कर आप 5 मिनट के पैदल रास्ता तय कर यहाँ पहुँच सकते हैं.

बस स्टैंड सर्वप्रिय विहार , बस संख्या 764 , 765 , 548 , 604 गुजरती है.
और शाहपुर जाट है.
वहाँ से 10 मिनट का पैदल रास्ता है.

निजी वाहन से जानेवाले मीनार के बाहर गाड़ी पार्क कर सकते हैं क्योंकि ये पूरी कॉलोनी के बीच में स्थित है.

 

 

 

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