केंद्र सरकार की इन नीतियों से होंगे रोजगार एवं श्रम में सुधार

हमारे देश भारत में लगभग 52 करोड़ की कुल जनसंख्या में रोजगार वितरण कुछ इस प्रकार है।कृषि ने लगभग 49% लोगों को रोजगार दिया और 15% जीवीए का योगदान रहा रोजगार क्षेत्र में।इससे यह भी निष्कर्ष निकलता है कि कृषि और संबद्ध क्षेत्र को आधुनिकीकरण की आवश्यकता है और अच्छा भुगतान करने वाली उत्पादकता वाली नौकरियों का भी सृजन करना होगा।इसी से फिर हम अपनी जनसांख्यिकी लाभ को बना सकते हैं।

कुछ अनुमानों के अनुसार भारतीय अर्थव्यवस्था को जनशक्ति में शुद्ध वृद्धि के लिए लगभग हर साल 70 लाख नौकरियां पैदा करनी होंगी।आने वाले वर्षों में 80 90 लाख नई नौकरियों की आवश्यकता पड़ने वाली हैं।2015-16 की अवधि के लिए राष्ट्रीय प्रतिदर्श सर्वेक्षण 73 वें दौर के अनुसार देश में विभिन्न आर्थिक कार्यकलापों में कार्यरत 6.34 करोड़ जायल कृषि सूचना लघु और मध्यम उद्योग थे जोकि 11.10 करोड़ लो श्रमिकों को रोजगार देते थे।कुछ अनुमान ऐसा भी कहते हैं कि भारत के अनौपचारिक क्षेत्र में श्रमिकों का लगभग 85% कार्यरत है। भारत में महिला श्रम बल का योगदान भी मात्र 23.7% है जो कि 2011-12 के आंकड़े हैं।

केंद्र सरकार ने हाल ही में अनुपालन को आसान और अधिक प्रभावी बनाने के लिए नीतियां लागू की हैं। बड़ी संख्या में श्रम कानूनों को सरल और तर्कसंगत भी बना रहे हैं, जैसे कि लाइसेंसिंग और अनुपालन प्रक्रियाओं को ऑनलाइन करना, प्रक्रियाओं को सरल बनाना और अनेक क्षेत्रों में स्वप्रमाणित करने की अनुमति देना।

सरकार द्वारा उठाए जा रहे प्रमुख कदमों में एक 38 केंद्रीय श्रम कानूनों का चार संहिताओं मे जोड़ना है, ये चार हैं – मजदूरी, सुरक्षा और कार्य स्थितियां, औद्योगिक संबंध और समाजिक सुरक्षा और कल्याण।
रोजगार सृजन के लिए कई योजनाएं

रोजगार सृजन में मदद के लिए सरकार ने कई योजनाएं लागू की हैं।जैसे महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना, मुद्रा योजना, प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम और प्रधानमंत्री रोजगार प्रोत्साहन योजना। अतिरिक्त पहल भी कौशल विकास प्रदान करने, ऋण की सुगम उपलब्धता सुनिश्चित करने ,क्षेत्र बाधाओं का समाधान करने के माध्यम से रोजगार सृजन में सहायक हो रही हैं।

अन्य सभी क्षेत्रों की तरह बाधाएं रोजगार और श्रम के क्षेत्र में भी हैं-
-कार्य बल का एक बड़ा हिस्सा निम्न उत्पादकता वाले श्रम में निहित है।
-असंगठित क्षेत्रों में श्रमिकों की एक बड़ी संख्या को श्रम नियम और सामाजिक सुरक्षा का संरक्षण नहीं मिला।
-जटिल कानून और उनकी बहुलता।
इंडिया स्किल रिपोर्ट 2018 के अनुसार उच्च शिक्षण संस्थानों से निकलने वालों में केवल 47% ही रोजगार योग्य हैं।
रोजगार डाटा भी पूर्ण रूप से उपलब्ध नहीं है।

उपरोक्त सभी पहलुओं को ध्यान में रखते हुए और बाधाओं को समझते हुए जो निहित उद्देश्य प्राप्त हुए हैं वह निम्नलिखित हैं –

1. 2019 तक केंद्रीय श्रम कानूनों का चार संहिताओं में समायोजन।
2. 2022 23 तक महिला श्रम शक्ति की भागीदारी को कम से कम 30% तक बढ़ाना।
3. सर्वेक्षणों के माध्यम से इकट्ठे हुए सार्वजनिक रूप से उपलब्ध डाटा का प्रचार प्रसार करना और 2022 23 तक तिमाही आधार पर प्रशासनिक डेटा का उपयोग करना।
4. श्रम कानूनों में सुधार उत्पादकता में सुधार उचित मजदूरी सामाजिक सुरक्षा सुनिश्चित करना।

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