दुनिया भले ही तमाम तरह की आर्थिक मुश्किलों का सामना कर रही हो, लेकिन भारत सरकार देश की रीढ़ कहे जाने वाले किसानों पर कोई आंच नहीं आने देना चाहती। यही वजह है कि हाल ही में जहां केंद्र सरकार ने सस्ती दरों पर खाद उपलब्ध कराने के लिए सब्सिडी के लिए 51,875 करोड़ रुपये भी मंजूर कर दी है। इसके साथ ही वन नेशन वन फर्टिलाइजर के तहत नकली, चोर बाजारी और मनमाने दाम पर लगाम लगाने के लिए ‘भारत’ ब्रांड की शुरुआत की है। इससे पहले भी केंद्र सरकार ने कृषि और किसानों संबंधित क्षेत्र में कई महत्वपूर्ण फैसले लिए हैं। आलम यह है कि 2014 में सत्ता में आने के बाद से यानि बीते 8 वर्षों में केंद्र सरकार करीब 10 लाख करोड़ रुपये खर्च कर चुकी है ताकि किसानों पर उर्वरकों का बोझ न पड़े। इसके अलावा भारत के किसानों के लिए सस्ती खाद उपलब्ध कराने के लिए केंद्र सरकार ने इस साल अब तक 2.5 लाख करोड़ रुपये खर्च किए हैं।
देश को 60 लाख टन मिलेगा यूरिया, आयात में आएगी कमी
2014 के बाद केंद्र सरकार आने के बाद, जो सबसे पहले कदम उठाए उनमें से एक था यूरिया की 100% नीम कोटिंग सुनिश्चित करना और कालाबाजारी रोकना। सॉयल हेल्थ कार्ड अभियान ने किसानों के बीच उनके खेतों की इष्टतम जरूरतों के बारे में ज्ञान सुनिश्चित किया। कई बरसों से बंद पड़े पांच बड़े उर्वरक संयंत्रों को फिर से शुरू किया जा रहा है।उत्तर प्रदेश में गोरखपुर संयंत्र ने उत्पादन शुरू कर दिया है, और रामागुंडम संयंत्र भी राष्ट्र को समर्पित किया गया है। जब ये पांच संयंत्र पूरी तरह से काम करने लगेंगे तो देश को 60 लाख टन यूरिया मिलेगा, जिससे आयात में भारी बचत होगी और यूरिया की उपलब्धता आसान होगी।
वहीं 12 नवंबर को पीएम मोदी ने तेलंगाना के रामागुंडम में उर्वरक संयंत्र तेलंगाना की शुरुआत की। रामागुंडम उर्वरक संयंत्र तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, छत्तीसगढ़ और महाराष्ट्र में किसानों को सेवाएं देगा। ये संयंत्र आसपास के क्षेत्रों की अर्थव्यवस्था को गति देगा और इस इलाके में लॉजिस्टिक्स से जुड़े व्यवसायों को बढ़ावा देगा। पीएम मोदी ने कहा कि केंद्र सरकार द्वारा निवेश किए गए 6000 करोड़ रुपये तेलंगाना के युवाओं को कई हजार रुपये का लाभ देंगे।
2000 रुपये की यूरिया की बोरी 270 रुपये में उपलब्ध
पीएम ने उर्वरक क्षेत्र में तकनीकी प्रगति के बारे में भी बात की और कहा कि नैनो यूरिया इस क्षेत्र में व्यापक बदलाव लाएगा। उन्होंने कृषि के महत्व पर जोर दिया और जिक्र किया कि कैसे महामारी और युद्ध के कारण बढ़ी उर्वरकों की वैश्विक कीमतों का भार किसानों पर नहीं पड़ने दिया गया है। किसान को 2000 रुपये की यूरिया की बोरी 270 रुपये में उपलब्ध कराई जा रही है। इसी तरह अंतरराष्ट्रीय बाजार में 4000 रुपये की कीमत वाले डीएपी के एक बैग पर 2500 रुपये की सब्सिडी दी जाती है।
खाद पर 10 लाख करोड़ रुपये खर्च
पीएम ने जानकारी दी कि “बीते 8 वर्षों में केंद्र सरकार तकरीबन 10 लाख करोड़ रुपये खर्च कर चुकी है ताकि किसानों पर उर्वरकों का बोझ न पड़े।” उन्होंने कहा कि भारत के किसानों के लिए सस्ती खाद उपलब्ध कराने के लिए केंद्र सरकार ने इस साल अब तक 2.5 लाख करोड़ रुपये खर्च किए हैं।
किसान सम्मान निधि के 2.25 लाख करोड़ रुपए ट्रांसफर
इसके साथ ही केंद्र सरकार पीएम किसान सम्मान निधि के तहत किसानों के बैंक खातों में लगभग 2.25 लाख करोड़ रुपये ट्रांसफर किए हैं। कुछ समय पहले बाजार में उपलब्ध उर्वरकों के ढेर सारे ब्रांड दशकों से किसानों के लिए चिंता का विषय बने हुए थे। पीएम ने बताया कि यूरिया का अब भारत में केवल एक ब्रांड होगा और ये भारत ब्रांड कहलाएगा। इसकी गुणवत्ता और कीमत पहले से ही निर्धारित है।” ये इस बात का एक स्पष्ट उदाहरण है कि सरकार किस प्रकार इस क्षेत्र में सुधार कर रही है, खासकर छोटे किसानों के लिए।
किसानों तक खाद की पहुंच हुई आसान
हाल ही में तेलंगाना रामागुंडम में पहुंचे पीएम मोदी मे कहा कि पीएम मोदी ने कहा कि भारत का उर्वरक क्षेत्र केंद्र सरकार के ईमानदार प्रयासों का प्रमाण है। जब भारत उर्वरकों की मांग पूरी करने के लिए विदेशों पर निर्भर करता था, उस समय को याद करते हुए पीएम ने कहा कि रामागुंडम संयंत्र सहित पहले जो कई उर्वरक संयंत्र स्थापित किए गए थे, वे अप्रचलित प्रौद्योगिकियों के कारण बंद होने के लिए मजबूर हो गए थे। उन्होंने कहा कि यूरिया जो अत्यधिक ऊंची कीमत पर आयात किया जाता था, उसकी किसानों तक पहुंचने के बजाय अन्य उद्देश्यों के लिए कालाबाजारी कर दी जाती थी।
दुनिया की तीसरी बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की दिशा में भारत
वहीं पीएम मोदी ने कहा कि एक तरफ पूरी दुनिया कोरोना महामारी से निपट रही है और दूसरी तरफ युद्ध तथा सैन्य कार्रवाइयों की