कमल की कलम से ! चोर मीनार : क्या यह भूतिया मीनार है ? क्रूर से क्रूर और जघन्य से जघन्यतम मौत की सजा यह राजा देता था.अपराधियों का सर काट कर एक मीनार में बने छिद्रों से लटका देता था. सोचिए कितना भयावह होता होगा वह दृश्य जबकि किसी मीनार में बने 225 केहर छेदों में से एक एक कटा हुआ सर झाँक रहा हो.कितना लोमहर्षक नजारा होता होगा वह. आपको हमने दिल्ली के अनजान मीनारों की श्रृंखला में हस्तसाल मीनार और स्वतंत्रता सेनानी मीनार के बारे में बताया.…
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चारधाम यात्रा मार्गों पर तैनात रहेंगी 200 एम्बुलेंस, यात्रियों से अपील यात्रा से पहले मौसम की लें जानकारी
उत्तराखंड में चार धाम यात्रा की शुरुआत हो चुकी है। ऐसे में सरकार सुगम, सुरक्षित और निर्बाध चारधाम यात्रा कराने के लिए प्रतिबद्ध है। राज्य सरकार ने केदारनाथ धाम में हो रही बारिश-बर्फबारी को ध्यान में रखते हुए श्रद्धालुओं-पर्यटकों से मौसम के पूर्वानुमान को देखकर ही यात्रा करने की अपील की है। केदारनाथ में बारिश केदारनाथ धाम में रुक-रुक कर बारिश और बर्फबारी जारी है। देश-विदेश से केदारनाथ धाम आने वाले समस्त श्रद्धालुओं से राज्य सरकार ने धाम जाने से पहले मौसम का पूर्वानुमान देखने की अपील की है। इसके…
Read Moreदिल्ली डायरी : बालक कुतुबमीनार
कमल की कलम से ! हस्तसाल मीनार:छोटा कुतुबमीनार इसके बारे में जानकर आपको बेहद आश्चर्य होगा और आप दाँतों तले उंगलियाँ दबाने पर मजबूर हो जायेंगे. जब से मैंने पढ़ा कि दिल्ली में एक और कुतुबमीनार है तो उसे देखने की लालसा तीब्र हो गई.तो चलिए आज आपकी सैर कराने चलता हूँ इसी ओर। पता चला कि यह उत्तमनगर के हस्तसाल नामक जगह पर मौजूद है.जी पी एस के सहारे जब हस्तसाल पहुंचा तो लिंक फेल हो गया.लोगों से पूछा कि भाई मुझे हस्तसाल मीनार जाना है पर कोई नहीं…
Read Moreदिल्ली डायरी : पांडव कालीन इतिहास की झलक पुराने किले में
कमल की कलम से ! एक खुशखबरी : दिल्ली के पुराने किले में इस महीने के अंत तक लाइट एंड साउंड का कार्यक्रम शुरू हो जाएगा जिसमें पांडव कालीन इतिहास देखने को मिलेगा.साथ साथ कुषाण काल से शेरशाह सूरी ,मौर्य काल, और हुमायूं से लेकर अकबर तक के इतिहास का भी लुत्फ उठाया जा सकेगा. दिल्ली का यह पहला किला है जिसका मुगलों से बहुत पहले का लंबा इतिहास है जिसका पूरा प्रमाण हैं. 1955 से लेकर अभी तक पांच बार इसके इतिहास को लेकर साक्ष्य जुटाने के लिए खुदाई…
Read Moreभगवान परशुराम की पूजा करने से शौर्य, कांति एवं ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है
(डा. नम्रता आनंद) पटना, 22 अप्रैल हिंदू पंचांग के अनुसार हर साल वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि पर भगवान परशुराम का जन्मोत्सव बड़े ही धूमधाम के साथ मनाया जाता है। इस पावन दिन को अक्षय तृतीया कहा जाता है।परशुराम सदा अपने से बड़ो एवं माता पिता का सम्मान करते थे तथा उनकी आज्ञा का पालन करते थे। माना जाता है कि इस दिन किया गया दान-पुण्य कभी क्षय नहीं होता। अक्षय तृतीया के दिन जन्म लेने के कारण ही भगवान परशुराम की शक्ति भी अक्षय थी।इस दिन…
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