भारतीय प्राणी सर्वेक्षण, पटना में जैव विविधता दिवस का आयोजन

पटना 22 मई 2022. भारतीय प्राणी सर्वेक्षण, पर्यावरण वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय, भारत सरकार, पटना के कार्यालय में आज अंतरर्राष्ट्रीय जैव विविधता दिवस 2022 के अवसर पर ‘जैव-विविधता, पोषण, सुरक्षा एवं मानव कल्याण’ विषय पर एक वृहत चर्चा किया गया।

कार्यक्रम के मुख्य अतिथि संजय कुमार, सहायक निदेशक, पी.आई,बी, सूचना एवं प्रसारण मंत्रलाय, भारत सरकार,पटना थे। इस कार्यक्रम में पटना विश्व विद्यालय, पटना पटना विमेंस कॉलेज, पटना एवं किलकारी के बच्चों ने भाग लिया।

सर्वप्रथम आगत अतिथियों का स्वागत करते हुए संस्थान के वरीय वैज्ञानिक एवं प्रभारी अधिकारी डॉ. गोपाल शर्मा ने कहा कि दुनिया भर में जैव विविधता तेजी से घट रही है और जैव विविधता के नुकसान को रोकने के लक्ष्यों को अभी तक हासिल नहीं किया जा सका है। आगे जैव विविधता के नुकसान से बचने के लिए, क्षेत्र-आधारित संरक्षण नए जैव विविधता लक्ष्यों के हिस्सा बनेंगे। जो कि दुनिया भर की जैव विविधता ढांचे के लिए अहम हैं। पिछले 20 वर्षों में वैश्विक जंगलों का 7% भाग नष्ट हो गया है। आज के तरह ही अगार मानव जनित घटनाएं होती रही तो कि 2070 तक 20% से अधिक प्रजातियाँ हमेशा के लिये विलुप्त हो सकती हैं। डॉ. शर्मा ने कहा कि जलवायु परिवर्तन और वर्तमान में चल रही महामारी हमारे प्राकृतिक पारिस्थितिक तंत्र पर अतिरिक्त दबाव डालेगी। भारत भी इसका अपवाद नहीं है। उन्होंने कहा कि वर्तमान स्थिति से यह स्पष्ट हो रहा है कि प्रकृति और मनुष्य के बीच संतुलन को सुधारना जलवायु परिवर्तन की गति को धीमा करने और भविष्य में होने वाले संक्रामक रोगों के प्रकोप को कम करने का एक तरीका है। जैव विविधता का संरक्षण सामाजिक, आर्थिक और पर्यावरणीय कल्याण हेतु आवश्यक है।

कार्यक्रम को करते हुऐ संबोधित मुख्य अतिथि संजय कुमार कहा कि आज के दौर में जैव-विविधता विषय पर ध्यान देने की जरूरत है। क्योंकि ग्लोबल वार्मिंग और जलवायु परिवर्तन के चलते पर्यावरण में विशेष बदलाव हुआ है और हो रहा है। इसे देखते हुये पर्यावरणविद, वैज्ञानिक और अनुसंधानकर्ता अक्सर पर्यावरण संरक्षण पर बल देने की बात करते आ रहे है। उन्होंने कहा कि जलवायु परिवर्तन और ग्लोबल वार्मिंग का उपयोग अक्सर एक-दूसरे के लिए किया जाता है, लेकिन जलवायु परिवर्तन औसत मौसम में लगातार परिवर्तन करने के लिए जाना जाता है। वहीँ ग्लोबल वार्मिंग पृथ्वी के औसत वैश्विक तापमान में वृद्धि करने के लिए। वैज्ञानिकों ने चेताया है कि आने वाले समय में पौधों और जानवरों के प्रजातियों में से 25 फीसदी विलुप्त अवस्था में है। जबकि पर्यावरण संतुलन के लिए जानवरों का संरक्षण जरूरी है। वैसे, दुनिया भर में पर्यावरण संरक्षण के लिए कई योजनाएं चल तो रही हैं। लेकिन, विकास और निर्माण की आपाधापी में पर्यावरण को हो रहे नुकसान से पर्यावरणीय घटनाएं तेजी से घट रही हैं। भयावहता को देखते हुये अंजान बन हम पेड़ों को काट रहे हैं। जंगल को उजाड़ रहे हैं। जल स्रोतों का दोहन कर रहे हैं। ऐसे में जैव विविधता को खत्म करने में सब लगे हैं ।

अतिथि निशांत रंजन,अध्यक्ष पर्यावरण योद्धा पटना बिहार ने कहा कि जैव विविधता को बचाना हमारी प्राथमिकता है। तेजी से संतुलन बिगड़ रहा है। अगर अभी नही संभले तो इसका परिणाम रुकना पड़ेगा।

मौके पर आगत तिथियों एवं बहुत सारे छात्रों ने अपने अपने विचार रखे। मौके पर विभिन्न विश्वविद्यालयों से आए छात्रों को जैव विविधता को दर्शाते हुए प्रदर्शनी से अवगत कराया गया। कार्यक्रम के दौरान डॉ गोपाल शर्मा ने विलुप्त होती गौरैया पर संजय कुमार द्वारा लिखित पुस्तक ‘अभी मैं जिंदा हूं गौरैया’ का विमोचन भी किया। धन्यवाद ज्ञापन संस्थान के वैज्ञानिक मनीष कुमार पटेल किया।

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