बिहार में फिर से जंगलराज ? : गोपालगंज शहर में गुंडों का तांडव

आम जनता का जीना मुहाल होता जा रहा है बिहार में। गुंडे और अपराधी निश्चिन्त हैं कि उन्हें कोई हाथ नहीं लगा सकता।

एक तो बिहार के युवा शिक्षा और नौकरी के लिए पलायन करने पर मजबूर हैं। पर घर पर उनके असहाय वृद्ध माता-पिता, नाना, दादा को सुरक्षा देने वाला कोई नहीं होता। ऐसे में उनकी प्रोपर्टी, जमीन, मकान पर नज़र पड़ जाती है गिद्धों की। ये बाहुबली गिद्ध जो चाहे कर बैठते हैं।

ऐसा ही वाकया हुआ गोपालगंज बीच शहर के बंजारी रोड के निवासी आलोक कुमार के साथ। जम्मू में कार्यरत इंजीनियर आलोक कुमार अपनी विधवा माँ की इकलौती संतान हैं। नब्बे वर्ष की अधिक उम्र है उनके नाना श्री तीर्थराज राय जी की जो नामी वकील रह चुके हैं पर अब ऐसी स्थिति में नहीं हैं कि कुछ कर सकें। साठ -सत्तर वर्षों से इनका कम्पाउंड मुख्य बंजारी रोड पर है।

कुछ बरसों पहले इनके पड़ोस की प्रोपर्टी एक असामाजिक तत्व ने खरीद ली और अपना दबदबा फैलाने लगा। आलोक कुमार के परिसर के ऊपर उसकी गिद्ध दृष्टि शुरू से ही लगी और मामला कोर्ट में पहुँच गया पर उसे मुँह की खानी पड़ी। मुकदमे के जजमेंट के दस्तावेज उपलब्ध हैं। इससे तिलमिलाया वह मौका ढूँढने लगा।

छठ में घर आए आलोक कुमार जब 5 नवम्बर को गोरखपुर एयरपोर्ट के लिए निकले तो घर मे उनकी माँ और वृद्ध नाना को अकेले देखकर शाम चार बजे गुंडे ने अपने गुर्गों की फौज लेकर हमला बोल दिया। सत्तर साल पुरानी चारदीवारी को तोड़ कर गिरा दिया। आलोक कुमार की माँ ने जब विरोध किया तो उनपर पत्थर चलाने शुरू कर दिए। मोबाईल पर खबर पाकर आलोक कुमार अपनी यात्रा रदद् कर के वापस लौटे तो उनपर गुंडे टूट पड़े और गला दबाने लगे। गुंडों के पास बंदूकें भी थी। गुंडे ने चिल्ला-चिल्लाकर धमकी दी है

कि वह आलोक कुमार के पूरे मकान पर कब्ज़ा कर लेगा। उसने चुनौती दी है कि ये लोग चाहे जो कर लें उसका कुछ नहीं बिगाड़ सकते। यही नहीं, उसने आलोक कुमार की मासूम माँ को इमोशनल ब्लैकमेल करने के लिए यह भी धमकाया है कि “देखता हूँ तुम्हारे बेटे की नौकरी कब तक रहती है !”

आलोक कुमार और उनकी माँ जिलाधिकारी से मिलने गए। जिलाधिकारी ने इन्हें पूरा आश्वासन दिया और कहा कि वे अधिकारियों को उनके घर भेजेंगे। पर 14 नवम्बर की शाम तक कोई नहीं आया है। सिविल एसडीओ भी आश्वासन -भर देकर ही रह गए हैं. सर्किल ऑफिसर ने कहा कि वे चारदीवारी बनवा देंगे पर पुलिस सहयोग न मिलने का कहकर अभी तक चुप बैठे हैं। आज दस दिन हो चुके हैं और ‘सुशासन’ ने सारी ख़बर मिलने पर भी कोई कदम नहीं उठाया है. यानि बिहार में बहार है ?

मोहल्ले के लोग प्रतिरोध करने से झिझक रहे हैं क्योंकि बिहारी समाज की खासियत है कि वह अपने को तबतक सुरक्षित ही समझने का भ्रम पालता है जबतक उसके घर पर हमला न हो। यह बेसिक कॉमन सेंस नहीं है कि तुम्हारा पड़ोसी अगर नहीं बचा तो तुम भी नहीं बच पाओगे, यह तय है। कायरता की चूड़ियाँ पहनने की यही आदत ऐसे गुंडो को पनपने का मौका देती है। बड़े-बड़ों का क्षेत्र है गोपालगंज शहर और जिला जिनकी अपने बारे में हाँकने की आदत लाजवाब है। पर बीच शहर में एक असामाजिक तत्व ने किसी असहाय परिवार पर हमला कर दिया है तो सबको क्या साँप सूँघ गया है ? अगर जिले के लोगों ने अब भी इस गुंडे को नहीं रोका तो क्या उन्हें शर्मिंदा नहीं होना पड़ेगा ?

देखना है गोपालगंज के विधायक और सांसद कुछ करते हैं या नहीं। राज्य के डीजीपी श्री गुप्तेश्वर पाण्डेय जी सोशल मीडिया के चहेते हैं और लगातार अभयदान देते रहते हैं। उनका दावा है कि बिहार में अब जंगलराज नहीं रहा। ऐसे में कोई गुंडा बीच शहर में यदि बेधड़क घूमे और मनमाने ढंग से किसी परिवार पर कहर बरपाने लगे तो इसे क्या कहा जाए ?

*यह दावा फिलहाल तो मजाक बन के रह गया है आलोक कुमार के लिए जो नौकरी पर लौट नहीं पा रहे। माँ और अशक्त नाना को लाचार छोड़कर वे जा नहीं पा रहे। माँ लगातार रो रही है कि बबुआ को कहीं कुछ हो न जाए और नाना की बेबस आँखे पलभर भी बबुआ को आँखों से दूर नहीं देखना चाहतीं। डर है सुरक्षा का क्योंकि गुंडे को किसी का खौफ़ नहीं है, उसे कोई डर नहीं है यह बिल्कुल स्पष्ट हो चुका है।* यह बात सुनने में आ रही है कि पुलिस तो उसके पॉकेट में है इसीलिए उसे किसी की परवाह नहीं।

*ऐसे में देखना है कि डीजीपी श्री गुप्तेश्वर पाण्डेय जी क्या कदम उठाते हैं और क्या मुख्यमंत्री नीतीश कुमार जी बिहार में इस जंगलराज पार्ट टू पर क्या अंकुश लगा पाते हैं?*

*क्या बिहार के बीच शहर में भी कोई सुरक्षित है ? क्या पलायन पर मजबूर यहाँ के युवाओं के वृद्ध अभिभावको की असामाजिक तत्वों से रक्षा सम्भव है ? क्या प्रवासी बिहारियों के घर-दुआर को गिद्ध नोच ले जाएँगे ?*

फोन पर बातचीत में आलोक कुमार ने आक्रांता का नाम राजीव कुमार उर्फ गप्पू जी बताया है जिसके शहर में कई व्यवसाय हैं और बहुत दबदबा है।

*क्या गोपालगंज के समाज के श्रेष्ठ जनों से यह आशा की जा सकती है कि वे इस परिवार की सुरक्षा को आगे आएँगें ?*

*आलोक कुमार का मोबाइल नंबर है: 9070897002. उनके द्वारा प्रेषित कुछ फोटो और वीडियो संलग्न हैं जो कहानी बयाँ कर रहे हैं.*

( यह रिपोर्ट 14 नवंबर 2019 को 8. 15 सायं तैयार की गई है.)

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