बिहार बोर्ड परीक्षा मूल्यांकन में प्रतिशत से कम शिक्षकों ने दिया योगदान

पटना :- शिक्षकों की हड़ताल के बीच बुधवार से बिहार बोर्ड द्वारा इंटर मूल्यांकन शुरू किया गया। राज्यभर के शिक्षक इंटर मूल्यांकन का विरोध कर रहे हैं। मूल्यांकन में शामिल होने के लिए शिक्षकों को 25 फरवरी यानी मंगलवार को मूल्यांकन केंद्र पर योगदान देना था। लेकिन 50 फीसदी से भी कम शिक्षकों ने मूल्यांकन में योगदान दिया है।

पटना जिला शिक्षा कार्यालय की मानें तो 1200 शिक्षकों को मूल्यांकन में लगाया गया है। इनमें केवल 350 शिक्षकों ने ही मूल्यांकन के लिए योगदान दिया है। इनमें ज्यादातर शिक्षक कॉलेज के ही हैं। पटना जिले में इंटर मूल्यांकन के लिए सात केंद्र बनाये गये हैं।

वहीं बाकी सभी जिलों में पांच से छह मूल्यांकन केंद्र बनाये गये हैं। बिहार बोर्ड की मानें तो छात्रों की संख्या के अनुसार मूल्यांकन केंद्रों की संख्या निर्धारित की गयी है। बोर्ड की मानें तो परीक्षकों को मूल्यांकन केंद्र पर सीधा योगदान देना है।

बोर्ड ने शिक्षकों को ऑनलाइन नियुक्ति पत्र भेजा है। शिक्षकों को नियुक्त पत्र डाउनलोड करके सीधा मूल्यांकन केंद्र पर जाकर योगदान देना है।
शिक्षकों की हड़ताल का पड़ेगा असर : प्रदेशभर की बात करें तो हर जिले के मूल्यांकन केंद्र पर कॉपी जांच में असर पड़ेगा।

क्योंकि शिक्षक हड़ताल पर चले गये हैं। अधिकतर केंद्रों पर 50 फीसदी से भी कम शिक्षकों ने योगदान दिया है। बिहार बोर्ड सूत्रों की मानें तो भागलपुर, रोहतास, मुजफ्फरपुर, मधेपुरा, औरंगाबाद, पूर्वी चंपारण आदि जिलों में भी 50 फीसदी से कम परीक्षकों ने मूल्यांकन में योगदान दिया।

10 से पांच बजे तक चलेगा मूल्यांकन

इंटर मूल्यांकन 26 फरवरी से शुरू होगा। हर दिन कॉपी जांच 10 बजे से शुरू होगी। मूल्यांकन पांच बजे तक चलेगा। इस बीच शिक्षकों पर सीसी टीवी से नजर रखी जायेगी। बोर्ड की मानें तो हर केंद्र पर सीसीटीवी लगाया गया है। इसके अलावा सभी परीक्षकों का बायोमेट्रिक अटेंडेंस लिया जायेगा। स्कूलों में पढ़ाई ठप, वार्षिक परीक्षा के इंतजार में छात्र
शिक्षकों के हड़ताल पर जाने का सबसे अधिक असर विद्यार्थियों पर पड़ रहा है। 17 फरवरी से स्कूल लगातार बंद हैं। पढ़ाई तो ठप हो ही चुकी है, लेकिन अब इसका असर स्कूल की वार्षिक परीक्षा पर भी होगा। शिक्षा विभाग के कैलेंडर की मानें तो चार मार्च से नौवीं की वार्षिक परीक्षा होनी है।

लेकिन हड़ताल के कारण वार्षिक परीक्षा भी अधर में लटक गयी है। अगर मार्च में वार्षिक परीक्षा नहीं होती है तो सत्र भी लेट हो जायेगा। ज्ञात हो कि अब एक से आठवीं तक का मूल्यांकन परीक्षा आयोजित की जाती है।

इसका आयोजन बिहार शिक्षा परियोजना परिषद द्वारा किया जाता है। अर्धवार्षिक मूल्यांकन सितंबर में हुआ था। अब वार्षिक मूल्यांकन मार्च में लिया जाना था। एक से आठवीं तक की परीक्षा 16 मार्च से प्रस्तावित है, लेकिन शिक्षकों के हड़ताल पर जाने से वार्षिक परीक्षा पर संशय है।

पटना जिला शिक्षा कार्यालय की मानें तो अप्रैल के पहले सप्ताह में नया सत्र शुरू होगा। आठवीं के छात्र नौवीं में नामांकन लेंगे। लेकिन अगर आठवीं की परीक्षा देरी से होगी तो स्कूल में नामांक

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