कमल की कलम से !
हमारी दिल्ली !
भूली भटियारी का महल
भूली भटियारी के बारे में दिल्ली के लोग भी कम ही जानते हैं.और जो जानते भी है वो इसकी भूतिया कहानियाँ की वजह से जानते हैं.दिल्ली के दस भूतिया और रहस्यमयी जगहों में एक है भूली भटियारी का महल.
तो आज आपको हम लिए चलते हैं खंडहर बने इसी महल की सैर को.
क्या कोई पत्नी मरने के बाद भी अपने पति से बदला लेने के लिए भटक सकती है ? क्या ऐसी कहानियों पर विश्वास किया जा सकता है ? दिल्ली शहर के बीचों बीच कोई जगह भूतिया हो सकती है ?
इन सब सवालों के जवाब ढूंढने के लिए मैं पहुँचा झंडेवालान , करोलबाग , नई दिल्ली.
यहां पर एक बोर्ड भी लिखा मिला.
जिसमें लिखा है- सूर्यास्त के बाद यहां प्रवेश वर्जित है.
मुझे बताया गया था कि इतना ही नहीं, अगर आप इस वीरान और खंडहर महल में जाने की कोशिश करेंगे तो दि
दिल्ली पुलिस आपको जाने नहीं देगी.
दिल्ली पुलिस शाम होते ही इस महल की ओर जाने वाले रोड की मोड़ पर बैरिकेड्स लगाकर रास्ता रोक देती है.
जहां पर ये बोर्ड लगा है तो जरूर वहां कोई असामान्य बातें अवश्य हो रही है.
इस जगह पर कोई गार्ड नहीं है. ऐसा कहा जाता है कि कोई भी गार्ड यहां एक रात से ज्यादा रुक नहीं सकता है.
मैं खुद इन सब बातों पर यकीन नहीं करता पर जब से मैंने भूली भटियारी महल के बारे में सुना कि यह एक भूतिया जगह है तो यहाँ जाने की ठान ली.
अग्रसेन की बावली भ्रमण कराने के पश्चात
आपको भी आज सैर करवाता हूँ भूली भटियारी महल की.
इसे ढूंढने में मुझे ज्यादा मेहनत नहीं करनी पड़ी.
झंडेवालान मेट्रो के गेट नम्बर 3 से निकल कर या बस स्टैंड पंचकुईयाँ रोड बनवारी हॉस्पिटल से गढ़वाल भवन के बगल से अंदर घने जंगल में 500 मीटर जाने पर है ये भूली भटियारी महल जो बिल्कुल जीर्ण शीर्ण अवस्था में है.
इसे 14 वीं शताब्दी में फीरोज शाह तुगलक द्वारा बनाया गया था. बाद में यह शिकारगाह के लिए इस्तेमाल होने लगा. रानी को यह जगह काफी पसंद आई थी तो उसने इसी रानी के रहने की जगह बना दिया था.
कहते हैं एक दिन राजा ने रानी को किसी और के साथ यहाँ मोहब्बत करते हुए देख लिया था. राजा को यह बात बिलकुल पसंद नहीं आई थी और उसने रानी को सदा के लिए इसी जंगल में कैद कर दिया था.ऐसा बताया जाता है कि रानी ने इसी जंगल में अपना दम तोड़ दिया था.
कोई कहता है कि रानी को जंगली जानवर खा गये थे.
वहीँ कुछ लोग बताते हैं कि रानी ने इसी जगह आत्महत्या कर ली थी. रानी के मृत्यु का तो किसी के पास कोई पक्का सबूत नहीं है लेकिन लोगों के अनुसार तभी से रानी की आत्मा राजा से बदला लेने के लिए तड़प रही है.
अब जब वह राजा से बदला नहीं ले पाती है तो तभी से यहाँ आने वाले लोगों को वह सताना शुरू कर देती है
यहाँ रहने वाले कई गार्ड्स ने रात के समय रानी के साये को घूमते देखा है.
तभी से यह स्थान रात के समय बंद रहता है. रात में यहाँ गार्ड भी नहीं टिकते.
जब मैं यहाँ पहुँचा तो बियावान , सुनसान और सरसराती हवाओं के अलावे और कुछ न मिला.
तभी तीन छोटे बच्चे एक साइकिल पर नजर आये.
उनलोगों ने मुझे आगे जाने से रोका. उसने बताया कि आगे महल तक न जायें वहाँ भूतनी रहती है.
जब बच्चों को कहा कि तुमलोग मुझे वहाँ तक पहुँचा सकते हो तो 100 रुपये की लालच में तैयार हो गये.
जैसे-जैसे मैं भूली भटियारी के महल की तरफ जा रहा था वैसे-वैसे जंगल और घना होते जा रहा था. रास्ते मे एक दो लोग भी दिख रहे थे.
बच्चों ने बातचीत के क्रम में बताया कि बहुत से लोगों ने वहाँ भूतनी होने का आभास भी किया है. और यहाँ पर रात में लोगों को किसी के रोने की भी आवाज़ आती है. इस तरफ रात को आने वाले लोग वापस नहीं जा पाते हैं. जब मैंने वहाँ का भूगोल देखा तो समझ में आ गया कि ऐसा होना संभव है क्योकि इस इलाके में कुछ नशेड़ी भी घूमते हैं. वो उस तरफ जाते होंगे तो जंगल की तरफ लुढ़क जाते होंगे, जिस कारण उनका पता ही नहीं चला होगा.
उन बच्चों ने मुझे पूरा भूतिया महल घुमाया.
हवा में डरावनापन और कुछ अजीब सी आहटें तो महसूस जरूर किया पर वहाँ वैसा कुछ भी नजर नहीं आया जैसा लोग कह रहे हैं , जबकि मैं वहाँ 1 घण्टे तक रहा. शायद मेरे मन का डर वातावरण में डर पैदा कर रहा हो. वैसे भूतनी का इंतजार हमने वहाँ बहुत देर तक किया पर नहीं कि नहीं ही आई.
लौटते समय बच्चे दूसरे रास्ते से वापस लाये जो करोलबाग के प्राचीन बड़े हनुमान मंदिर के बगल से निकलता है. उस निकास के पहले पुलिस की गाड़ी मिली उसमें बैठा दरोगा मुझे अजीब नजरों से देख रहा था.
बाद में पता चला महल तक जाने आने का वास्तविक रास्ता वही है जबकि मैं पिछले तरफ पार्क के रास्ते वहाँ पहुँचा था.
इसका नाम भूली भटियारी कैसे पड़ा ?
इस पर भी दो कहानियाँ बताते हैं लोग.
एक तो तुगलक वंश पर सूफी संत ‘बू अली बख्तियार’ का प्रभाव था और ये उसका ही अपभ्रंश है.
दूसरी, राजस्थान से भूरी नामक भटियारिन (कबीलाई महिला) यहाँ आई और यहाँ ही रहने लगी और यहीं उसकी मृत्यु भी हो गई. उसके नाम पर इसका नाम पड़ा.
इन कहानियों के चलते और कुछ लोगों के साथ दुर्घटना हो जाने के कारण इस जगह को 6 बजे के बाद पुलिस द्वारा बन्द कर दिया जाता है. और आप को यहाँ सुबह के समय हमेशा एक गार्ड मौजूद मिलेगा.
अब मुझे उत्सुकता इस बात की है कि क्या वास्तव में वहाँ रात में भूतनी विचरण करती है? ये पता करने के लिए अगली बार वहाँ पिछले रास्ते से ही शाम में जाऊँगा और वहीं छुप जाऊँगा अंधेरा होने तक
फिर जो कुछ अनुभव करूँगा या देखूँगा या कैमरे में कैद करूँगा वो अनुभव आपके साथ साझा करूँगा.
निकटतम मेट्रो स्टेशन झंडेवालान
बस स्टैंड भी झंडेवालान
झंडेवलान मंदिर के पीछे वाले रास्ते से 800 मीटर की दूरी.
अपनी सवारी से जानेवालों के लिए मन्दिर के पीछे में पार्किंग की व्यवस्था भी है.
मेरे अगले दिन आपको सैर कराऊंगा दिल्ली के एक और कथित भूतिया जगह शीश महल की जो शालीमार बाग में मौजूद है.