बिहार के नवादा जिले के हिसुआ से भाजपा विधायक अनिल कुमार ने अपने बच्चे को कोटा से वापस लाने के लिए वाहन का पास क्या बनवाया एकाएक मीडिया के निशाने पर आ गए. बिहार के मुख्यमंत्री से विगत कई दिनों से कोटा में फंसे बच्चों को वापस बिहार बुलाने की मांग की जा रही है पर वे तैयार नहीं. इस बीच सत्ताधारी दल के एक विधायक को पास मिलना मीडिया के लिए बहुत बड़ा प्रमाण मिल गया है साथ ही साथ विपक्ष भी सरकार पर हमला कर रहा है .
पांच दिन पहले ही स्पेशल बस से बिहार के कई साधन संपन्न लोगो के बच्चे कोटा से वापस पटना बुलाया गया. एक खबरिया चैनल ने इस मामले का उद्भेदन किया बताया कि यह बच्चे बिहार के बड़े साहबो के बच्चे थे .उस समय कोई हंगामा नहीं हुआ.
इस बीच भाजपा विधायक अनिल कुमार ने कहा है कि उन्होंने कुछ भी गलत नहीं किया विधायक बाद में है पहले एक पिता भी है. कोटा देश का सबसे बड़ा मेडिकल और इंजीनियरिंग की प्रवेश परीक्षाओं की तैयारी कराने का हब है यहां के कोचिंग संस्थानों द्वारा लाखों रुपए की मोटी फीस छात्रों से वसूली जाती है. 2 साल की मोटी फीस साथ में हॉस्टल चार्ज भी एक मुश्त ही वसूल लिया जाता है. संकट की इस घड़ी में उन संस्थानों को भी पड़ताल होनी चाहिए जो बच्चों को भोजन पानी व सुरक्षा नहीं दे पा रहे.
खैर बिहार सरकार को भी मानवीय आधार पर ठोस और कारगर पहल करनी चाहिए. दिल्ली से प्रवासी मजदूरों को बुलाने में पहले ही भद पिट चुकी है आने वाले तो आएंगे. लोग पैदल पंजाब दिल्ली महाराष्ट्र से वापस बिहार आ गए हैं और आ रहे हैं,पर ये बच्चे हैं बिहार का भविष्य हैं इसलिए उन्हें तड़पता मत छोड़िए सवाल जवाब होते रहेंगे फिलहाल राज्य के बाहर तड़प रहे लोगों के सवाल पर पर सर्वदलीय बैठक भी बुलानी चाहिए. कोटा ही नहीं बिहार के लोग अन्य प्रदेशों में भी अगर संकट का सामना कर रहे हैं तो बिहार सरकार को वहां अपना राहत कैंप भी शुरू करना चाहिए. संकट अमीर गरीब देखकर नहीं आता जब दूसरे प्रदेश आपके यहां के लोगों को भगा रहे हैं तो वे वापस अपने घर ही आएंगे.