दुनिया के अधिकांश देशों में बीमार सिर्फ उन लोगों को माना जाता है, जो शारीरिक रूप से दुर्बल होते हैं। ऐसे लोग जो किसी गंभीर बीमारी से ग्रसित हैं। उन्हें हमारा समाज बीमार कहता है, लेकिन बीमारी की यह परिभाषा न पहले के लिए सही थी न आज के लिए है और न ही आने वाले कल के लिए सही हो सकती है क्योंकि इंसान सिर्फ शारीरिक रूप से बीमार नहीं होता बल्कि मानसिक रूप से भी बीमार हो सकता है।
मानसिक बीमारी एक ऐसी बीमारी है, जिससे अधिकांश लोग ग्रसित तो हैं लेकिन 21वीं सदी के इस दौर में भी इस विषय पर कोई खुल कर बातें नहीं करता। हालांकि अब लोगों के जागरूक होने से धीरे-धीरे ही सही इस मुद्दे पर बात होने लगी है। मानसिक स्वास्थ्य की समस्याओं को ध्यान में रखते हुए 10 अक्टूबर को हर वर्ष विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस (World Mental Health Day) मनाया जाता है। इसकी शुरुआत 1992 में वर्ल्ड फेडरेशन फॉर मेंटल हेल्थ की पहल पर हुई थी। विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस का उद्देश्य विश्व में मानसिक स्वास्थ्य के बारे में जागरूकता बढ़ाना और इसके समर्थन में प्रयास करना है। ऑस्ट्रेलिया और अन्य कई देशों में मानसिक स्वास्थ्य या बीमारी के प्रति जागरूकता बढ़ाने के लिए मानसिक स्वास्थ्य सप्ताह भी मनाया जाता है।
इस वर्ष की थीम
दुनियाभर में हर साल मानसिक स्वास्थ्य दिवस के मौके पर कई जागरूकता अभियान एवं कार्यक्रम चलाए जाते हैं। बीते कल हर वर्ष की तरह इस दिवस को मनाया गया। हर साल इस दिवस को नई थीम के साथ मनाया जाता है। इस वर्ष वर्ल्ड फेडरेशन फॉर मेंटल हेल्थ की तरफ से सभी के लिए ‘मानसिक स्वास्थ्य और कल्याण को वैश्विक प्राथमिकता बनाएं’ (Make Mental Health and Well-Being for All a Global Priority) थीम रखी गई है। भारत ने अपना राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम (NMHP) 1982 में शुरू किया गया था। इसका उद्देश्य मानसिक स्वास्थ्य सेवाओं को विकसित करना था।
मानसिक रोग से निपटने के लिए चलाए जा रहे हैं कार्यक्रम
केंद्र सरकार मानसिक रोगियों के उत्थान के लिए जिला मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम चला रही है जो सामुदायिक स्तर पर बुनियादी मानसिक स्वास्थ्य देखभाल एवं सेवाएं प्रदान करता है। सरकार विभिन्न अभियान जैसे स्कूलों में जीवन कौशल शिक्षा और परामर्श पर कार्यक्रम, कॉलेज परामर्श सेवाएं, कार्यस्थल तनाव प्रबंधन और आत्महत्या रोकथाम सेवाएं जैसे अनेक अभियान चला रही है जिससे मानसिक रोगियों को इस बीमारी से निजात मिल सके। सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय के द्वारा मानसिक रोगियों की सहायता के लिए 24 घंटे हेल्पलाइन सेवाएं दी जा रही हैं जिसका नंबर 18005990019 है।
मानसिक समस्या को व्यक्त करें, दबाएं नहीं
कोरोना महामारी के बाद से मानसिक रोगों से जूझ रहे लोगों की संख्या बहुत तेजी से बढ़ी है। बच्चे भी इससे अछूते नहीं हैं। यूनिसेफ की 2021 की एक रिपोर्ट के अनुसार देश में तकरीबन 14 फीसदी बच्चे भी अवसाद में जी रहे हैं। इन्हीं बातों को ध्यान में रखते हुए भारत सरकार इस दिन को इतने बड़े स्तर पर मना रही है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. मनसुख मांडविया ने इस मौके पर एक ट्वीट में लिखा कि मानसिक स्वास्थ्य समग्र कल्याण का एक अभिन्न अंग है। हमेशा अपने शरीर और दिमाग का ख्याल रखें और अपने अच्छे मानसिक स्वास्थ्य के लिए दूसरों से जुड़ने में कभी संकोच न करें, व्यक्त करें और दबाएं नहीं।
शारीरिक स्वास्थ्य और मानसिक स्वास्थ्य के बीच गहरा संबंध
कोविड-19 महामारी ने इस बात की पुष्टि कर दी है कि हमारे शारीरिक स्वास्थ्य और मानसिक स्वास्थ्य के बीच गहरा संबंध है, लेकिन अभी भी ज्यादातर लोग इस पर ध्यान नहीं देते। फिजिकल और मेंटल हेल्थ एक ही सिक्के के दो पहलू की तरह हैं। किसी भी एक पहलू को नजरअंदाज करना दूसरे पहलू को नकारात्मक तरीके से प्रभावित करता है। बड़े-बूढ़े से लेकर स्कूल जाने वाले बच्चे भी इस समस्या से जूझ रहे हैं। ऐसे में इस समस्या को छिपाने की जगह उस पर ध्यान देने की जरूरत है अन्यथा आने वाले समय में स्थिति और बिगड़ सकती है।
मानसिक स्वास्थ्य को बेहतर करने के उपाय
मानसिक स्वास्थ्य की बढ़ती समस्याओं को कम करने के लिए स्वास्थ्य विशेषज्ञ लोगों को दिनचर्या में योग आसनों को शामिल करने की सलाह देते हैं। योग आसनों के अभ्यास की आदत मानसिक स्वास्थ्य विकारों को कम करने के साथ नकारात्मकता को दूर करने में मदद करती है। चिंता-तनाव जैसी समस्याओं के जोखिम को कम करने में योग को कारगर समझा जाता है। इस संबंध में अध्ययनकर्ताओं ने पाया है कि योग, विशेषकर प्राणायाम के अभ्यास की आदत बनाकर मन को शांत रखने और चिंता-तनाव जैसे विकारों के जोखिम को कम करने में विशेष लाभ प्राप्त किया जा सकता है। प्राणायाम तंत्रिका तंत्र को आराम देने के साथ हार्मोन्स के रिलीज को व्यवस्थित करने और तमाम प्रकार के विकारों के जोखिम को कम करने में कारगर हो सकते हैं।
प्राणायाम जो मानसिक स्वास्थ्य के लिए है लाभदायक
मानसिक रोग विशेषज्ञों का मानना है कि कपालभाति प्राणायाम का अभ्यास मानसिक स्वास्थ्य में सुधार लाने में सहायक है। कपालभाति प्राणायाम हमारी नसों को सक्रिय करने, मानसिक शक्ति पर नियंत्रण प्राप्त करने, बालों के विकास को बढ़ावा देने और त्वचा को डिटॉक्सीफाई करने में मदद करता है। मन को शांत और नकारात्मक विकारों से दूर रखने में भी प्राणायाम लाभदायक हैं।
अनुलोम-विलोम प्राणायाम
गहरी सांस लेने और छोड़ने वाले अनुलोम-विलोम योगाभ्यास से शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य में कई प्रकार के लाभ मिलते हैं। मानसिक स्वास्थ्य की समस्याओं में अनुलोम-विलोम प्राणायाम विशेष लाभकारी माना जाता है।योग विशेषज्ञ कहते हैं, इस प्राणायाम के अभ्यास की आदत धैर्य और ध्यान को बेहतर बनाए रखने के साथ तनाव और चिंता से राहत दिलाने में मदद करती है। जाहिर है इन अभ्यासों से और केंद्र सरकार द्वारा चलाए जा रहे विशेष कार्यक्रमों के माध्यम से लोगों के मानसिक स्वास्थ्य बेहतर होंगे।