आज मिलते हैं हाजीपुर , वैशाली की बबिता सिंह से,जो हाजीपुर,संत पाल विद्यालय में शिक्षण कार्य रत हैं।पढ़ाई में रुचि रखने वाली और बीस साल का शैक्षिक अनुभव।
आज भी विद्यालय में पढ़ाते हुए जीवन के उस मुकाम को पाना चाहती हैं जिस आदर्श पर चलकर उन्होंने एक सुंदर समाज की कल्पना की थी। शुरू से ही बबिता का लगाव देश की भावी और युवा पीढ़ी को सजाने संवारने से था। यद्यपि वे अपनी पढ़ाई के साथ-साथ यदा – कदा ऐसे लोगों की भी मदद करती हैं जिनकी पढ़ाई पैसे के कारण बाधित हो रही है। बबिता का सपना बचपन से आईपीएस अधिकारी बनने का था
परन्तु कम उम्र में ही इनका विवाह हो गया और वे पढ़ाई से वंचित रह गयीं । फलतः इनका सपना साकार न हो सका।
विवाह उपरांत भी बबिता का मनोबल कम नहीं हुआ।पति के सेना में अच्छे पद पर होने से और शहरी माहौल मिलने के कारण इनका सीखने -सिखाने का दौर चलता रहा। बच्चे बड़े और समझदार हुए, उच्चतम शिक्षा के लिए शहर से बाहर चले गए। बबिता जी ने कभी अपने समय को व्यर्थ नहीं गंवाया और P.G,B.Ed,M.Ed की पढ़ाई कर डाली,अभी वे शोध कार्य रत हैं।
बबिता अपने काम को बहुत गंभीरता से लेती है। समाज के बच्चों के लिए अपने बच्चों की तरह सजग होती हैं। इन्हें कुछेक शैक्षिक संस्थानों से ईमानदार और ‘ Active Teacher’का अवार्ड भी मिला।अभी हाल फिलहाल में उनकी शिक्षा के लिए ‘ बिहार श्री रतन’ अवार्ड से सम्मानित किया जा चुका है। बबिता जी को कविता लिखने का शौक है। सामाजिक कार्यों से हमेशा जुड़ी रहती हैं। बेटी को वरदान मानती है ये। हमेशा उनके अच्छे कार्य की सराहना करते हुए जीवन में बेहतर करने के लिए प्रेरित किया है और उनका सहयोग करते हुए उन्हें अपना बहुमूल्य समय प्रदान किया।
एक सुंदर और स्वच्छ समाज के उत्थान के लिए वे युवा पीढ़ी को प्राथमिकता देती हैं अत: बबिता का पठन-पाठन से लगाव लाजिमी है।