पिछले 9 महीने से लगातार ऑटोमोबाईल सेक्टर में गिरावट देखी जा रही है।

पिछले 9 महीने से लगातार ऑटोमोबाईल सेक्टर में गिरावट देखी जा रही है।

ओला और उबेर को दोषी ठहराया जा रहा है

हर महीने यह उम्मीद होती है कि इस बार कुछ अच्छा हो जाए लेकिन नतीजे निराशाजनक ही रहते हैं. ऑटोमोबाइल सेक्टर का लेखा-जोखा करने वाली एक संस्था SIAM की माने तो पिछले 19 सालों में इस बार सबसे ज्यादा नुकसान पहुंचा है. इसके पीछे सीधा कारण यह है कि लोग गाड़ियां कम खरीदे रहे हैं, इससे कंपनियों के पास जो स्टॉक है वह बचा कर रह जाता है. इस चक्कर में कम्पनियों में उत्पादन बंद होने के कगार पर आ जाता है. भारत के करीब 3.7 करोड़ लोग ऑटोमोबाइल सेक्टर पर निर्भर करते हैं. ऐसे में ऐसी मंदी से एक झटके में हजारों नौकरियां चली जाती हैं. अगर जुलाई महीनों की बात करें तो पिछले साल की तुलना में इस साल कारों की बिक्री 35% कम हुई, और कुछ ऐसा ही हाल अगस्त महीने में भी रहा.

मारुति सुजुकी ने भी उत्पादन बंद किया.

भारत की पसंदीदा कंपनियों में से एक माने जाने वाली कार कंपनी मारुति सुजुकी ने अपने मानसेर और गुरुग्राम में सितंबर 7 से लेकर सितंबर 9 तक ‘ नो प्रोडक्शन डे ‘ रखा. इसका मतलब है कि इस दौरान कोई भी कार का निर्माण नहीं किया जाएगा. मानसेर और गुरुग्राम उत्तर भारत में ऑटोमोबाइल कंपनियों का हब माना जाता है ।

मारुति सुजुकी के साथ-साथ ऑटोमोबाइल पार्ट्स का निर्माण करने वाली कई कंपनियों ने भी इस दौरान ‘नो प्रोडक्शन डे ‘ रखा. इसमें सबसे ज्यादा नुकसान वहां हजारों काम करने वाले कर्मचारियों को हुआ, क्योंकि उनके रोजी रोटी का साधन ठप हो रहा है.

भारी वाहन का निर्माण करने वाली कंपनियां हैं परेशान.

सिर्फ कारों का निर्माण करने वाली कंपनियां मंदी का मार नहीं झेल रही इसमें भारी वाहन जैसे बस और ट्रकों का निर्माण करने वाली कंपनियां भी शामिल हैं. साल 1948 में स्थापित हुई कंपनी Ashok Leyland ने वाहन उत्पादन पर 5 दिनों तक रोक लगा दी है. भारी वाहनों का निर्माण करने वाली भारत की दूसरी सबसे बड़ी कंपनी और दुनिया में बसों का निर्माण करने वाली चौथी सबसे बड़ी कंपनी भी इस मंदी का दंश झेल रही हैं. इसके लिए का कंपनी कारण बता रही है कि उसने अगस्त महीने में 47 फ़ीसदी की भारी गिरावट दर्ज की है. चेन्नई, राजस्थान महाराष्ट्र और उत्तर प्रदेश के अलग-अलग जगहों पर स्थापित कारखानों में कंपनी कई दिनों तक ‘नो वर्किंग डे’ रखेगी.
 

अच्छे दिनों की बात कहकर सत्ता में काबिज सरकार के मंत्रियों से जब सवाल पूछा जा रहा है तो जवाब में ओला और उबर जैसी कंपनियों को जिम्मेदार ठहराया है. मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल के 100 दिन पूरे होने पर वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण से जब पत्रकारों ने सवाल पूछा तो उन्होंने कह दिया कि लोग आजकल गाड़ी खरीदने की जगह ओला- उबर को तवज्जो दे रहे हैं. हालांकि वित्त मंत्री के इस जवाब से इन कंपनियों में हड़कंप तो जरूर मच गई होगी.

मारुति कंपनी के चेयरमैन वित्त मंत्री के इस बात को नकार रहे हैं . वह कह रहे हैं कि इसके लिए सरकार की नीतियां जिम्मेदार हैं. इसके अलावा वो पेट्रोल-डीजल की ऊंची दरें और रोड टैक्स को भी दोषी ठहरा रहे हैं. वहीं इस उद्योग का लेखा-जोखा रखने वाली संस्था SIAM कह रही है कि इस पर लगने वाला जीएसटी को 28% से घटाकर 18% किया जाए . ऐसे में सरकार को किसी एक निष्कर्ष पर पहुंचने की जल्द से जल्द आवश्यकता है, ताकि ऑटोमोबाइल सेक्टर का और सत्यानाश न हो .

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