केन्द्रीय इस्पात मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने 21 नवंबर (सोमवार) को कहा कि सरकार के इस्पात और स्टेनलेस स्टील पर निर्यात शुल्क हटाने से देश के इस्पात क्षेत्र को वैश्विक बाजार में मजबूती मिलेगी। सरकार ने 21 मई को कर लगाने के छह महीने बाद 19 नवंबर 2022 से इस्पात उत्पादों और लौह अयस्क पर निर्यात शुल्क घटाकर शून्य कर दिया है।
इस्पात मंत्री ने यहां भारतीय इस्पात संघ (आईएसए) के तीसरे सम्मेलन में कहा कि ‘हमारे उद्योग को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मजबूती से अपनी उपस्थिति दर्ज कराने में महीनों नहीं, बल्कि कई साल लगे हैं। ज्योतिरादित्य सिंधिया मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कहा कि पीएम मोदी ने हर साल लगभग 17 लाख करोड़ रुपये की लागत से बुनियादी ढांचे को बढ़ाने का फैसला किया है। उन्होंने कहा कि यह क्षेत्र अंतरराष्ट्रीय और घरेलू बाजार में जल्द ही नई ऊंचाइयां छुएगा। केंद्रीय मंत्री ने कहा कि यह निर्णय सभी हितधारकों की चिंताओं को ध्यान में रखते हुए बहुत ही सोच समझकर लिया गया।
वहीं स्टील उधयोग से जुड़े लोगों ने स्टील और स्टेनलेस स्टील पर निर्यात शुल्क हटाने के सरकार के फैसले का स्वागत किया और इसे भारतीय इस्पात क्षेत्र के लिए एक बूस्टर बताया।
स्टील की उत्पादन क्षमता 50 % बढ़कर 15.5 करोड टन प्रति वर्ष हो गई है-
इस्पात मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कहा है कि पिछले आठ वर्षों में इस्पात की उत्पादन क्षमता 50 प्रतिशत बढ़कर साढे 15 करोड टन प्रति वर्ष हो गई है। उन्होंने कहा कि एक दशक पहले जो देश आयातक था, वह आज निर्यातक भी बन गया है। मंत्री ने कहा कि खनिज और धातु क्षेत्रों में क्रांतिकारी बदलाव आए हैं और आज भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा इस्पात उत्पादक बन गया है।
भारत विश्व में दूसरा सबसे अधिक इस्पात का उत्पादन करने वाला देश
केंद्रीय इस्पात मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने पिछले सप्ताह दिल्ली में राज्य सरकारों के इस्पात सम्मेलन में बताया कि भारत ने इस्पात क्षेत्र में पिछले आठ वर्षों में उल्लेखनीय प्रगति की है। उन्होंने कहा कि हमारा देश जहां पहले इस्पात का बडा आयातक था और वही अब निर्यातक देश बन गया है। देश में इस्पात की खपत में वृद्धि के बारे में इस्पात मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कहा कि पिछले 8 वर्षों में प्रति व्यक्ति इस्पात की खपत 50 प्रतिशत की बढोतरी के साथ 57 दशमलव आठ किलोग्राम से बढ़कर 78 किलोग्राम हो गई है। भारत में इस्पात की स्थापित क्षमता प्रति वर्ष एक सौ मिलियन टन से बढ़कर लगभग 150 मिलियन टन हो गयी है और इस तरह इस्पात उत्पादन में अच्छी वृद्धि दर्ज की है।
स्टेनलेस स्टील की घरेलू मांग 2047 तक दो करोड़ टन तक पहुंचने का अनुमान
भारत में स्टेनलेस स्टील की मांग में अगले दो दशक में तेज वृद्धि के अनुमान लगाए जा रहे हैं। इसका सीधा लाभ भारत में स्टेनलेस स्टील निर्माता कंपनियों को मिलेगा। स्टेनलेस स्टील की घरेलू मांग वर्ष 2047 तक दो करोड़ टन तक पहुंचने का अनुमान है। 2021-22 में देश में स्टेनलेस स्टील की मांग 37-39 लाख टन थी। ‘स्टेनलेस स्टील विजन डॉक्यूमेंट 2047’ की रिपोर्ट में यह कहा गया है।
देश की स्टेनलेस स्टील की प्रति व्यक्ति खपत 2022 में 2.5 किग्रा हो गई है, जो 2010 में 1.2 किग्रा थी। वहीं वर्ष 2040 तक स्टेनलेस स्टील की प्रति व्यक्ति खपत 8-9 किग्रा हो जाएगी और वर्ष 2047 तक यह खपत 11-12 किग्रा हो जाने का अनुमान है।
देश में स्टील की सालाना खपत 2030-31 में 30 करोड़ टन के पार होने का अनुमान है। वहीं 2030-31 में क्रूड स्टील का उत्पादन 25.5 करोड़ टन हो जाएगा। सबसे अहम वृद्धि ग्रामीण इलाकों में होगी। सरकार ने स्टील की ग्रामीण खपत का लक्ष्य बढ़ाकर 2030-31 में 38 किग्रा प्रति व्यक्ति तक पहुंचाने का लक्ष्य रखा है। केंद्रीय बजट 2022-23 में सरकार ने 47 करोड़ रुपए का आवंटन स्टील मंत्रालय के लिए किया था।