नई दिल्ली:- देश की सबसे बड़ी रिटेल डील का रास्ता साफ होता जा रहा है। सोमवार को दिल्ली उच्च न्यायालय ने फ्यूचर ग्रुप और एमेजॉन विवाद मामले में एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाते हुए, रेगुलेटर्स को निर्देश दिया है कि वे फ्यूचर ग्रुप के आवेदन और आपत्तियों पर कानून के अनुसार निर्णय करें। हलांकि कोर्ट ने फ्यूचर रिटेल लिमिटेड की उस याचिका को खारिज कर दिया जिसमें उसने कोर्ट से गुहार लगाई थी कि एमेजॉन को रेगुलेटर्स से बातचीकर करने से रोका जाए।
अक्तूबर में सिंगापुर की एक मध्यस्थता अदालत ने रिलायंस और फ्यूचर ग्रुप की डील पर अंतरिम रोक लगा दी थी। दिल्ली हाई कोर्ट ने रेगुलेटर्स को इस विवाद पर निर्णय करने का आदेश दे कर सकेंत दिया है कि मामले को भारतीय कानून व्यवस्था के तहत ही सुलझाया जाएगा।
दिल्ली हाईकोर्ट ने माना कि रिलायंस को सौदे की मंजूरी देने वाला FRL बोर्ड रिज़ॉल्यूशन मान्य है और पहली नजर में वैधानिक प्रावधानों के अनुसार लगता है। एमेजॉन ने इसे अमान्य करार दिया था। 132 पेज के अपने आदेश में हाईकोर्ट ने यह भी कहा कि एमेजॉन ने फेमा और एफडीआई के नियमों का उल्लधंन किया है। एमेजॉन ने विभिन्न समझौते करके FRL पर नियंत्रण करने की कोशिश की जिसे सही नही ठहराया जा सकता। कोर्ट ने कहा कि अगर फ्यूचर और रिलायंस को एमेजॉन की हरकतों के कारण नुकसान उठाना पड़ा है तो उस पर सिविल कार्यवाही हो सकती है।
अब बॉल सेबी, NCLT व अन्य रेगुलेटर्स के पाले में है। उन्हें इस मामले पर फैसला लेने की हरी झंडी कोर्ट से मिल चुकी है। इससे पहले, 20 नवंबर को भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (CCI) ने रिलायंस इंडस्ट्रीज और फ्यूचर समूह के सौदे को मंजूरी दे दी थी। जिसके बाद दोनों कंपनियां डील को अंतिम रूप देने में जुट गई हैं। CCI के फैसले से अमेरिकी दिग्गज ई-कॉमर्स कंपनी एमेजॉन को तगड़ा झटका लगा था।
रिलायंस इंडस्ट्रीज की सब्सिडायरी कंपनी रिलायंस रिटेल वेंचर्स लिमिटेड (RRVL) ने इस साल अगस्त में फ्यूचर ग्रुप के रीटेल एंड होलसेल बिजनेस और लॉजिस्टिक्स एंड वेयरहाउसिंग बिजनेस के अधिग्रहण का ऐलान किया था। इस डील के बाद फ्यूचर ग्रुप के 420 शहरों में फैले हुए 1,800 से अधिक स्टोर्स तक रिलायंस की पहुंच बन जाती। यह डील 24713 करोड़ में फाइनल हुई थी।