अमित शाह गरीबों -मजदूरों की बातो को दबाने के लिए कर रहे हैं वर्चुअल रैली तो राजद थाली-कटोरा बजाकर भाजपा की नीतियों को बढ़ा रही है आगे-एजाज़ अहमद

पटना 7 जून 2020: जन अधिकार पार्टी लोकतांत्रिक के राष्ट्रीय प्रधान महासचिव एजाज अहमद ने बताया कि आज पार्टी की ओर से “ये सरकार धोखा है, बिहार बचा लो मौका है” के नारों के साथ पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष राजेश रंजन उर्फ पप्पू यादव सहित पार्टी के अन्य नेताओं , कार्यकर्ताओं तथा समर्थकों के साथ फेसबुक लाइव के माध्यम से कोरोना वायरस जैसी गंभीर महामारी से निपटने में केंद्र एवं राज्य सरकार की हुई नाकामियों को उजागर करते हुए बताया की पहले लॉक डाउन करने में देरी नमस्ते ट्रंप और मध्य प्रदेश में सरकार बनाने के कारण की गई थी, और अब बिहार चुनाव, मध्यप्रदेश उपचुनाव तथा राज्यसभा चुनाव को लेकर जल्दबाजी में अनलॉक करके सभी को खोल दिया गया।

आम लोगों को भाग्य और भगवान के भरोसे केंद्र एवं राज्य सरकार ने छोड़ दिया। जहां पहले 500 की संख्या में लोग कोरोना से बीमार थे वहीं अब दो लाख पचास हजार की संख्या पहुंच गई है, और लोगो से कहा जा रहा है कि कोरोना बीमारी के साथ जीने की आदत डालनी होगी, ये सरकार की कैसी सोच है।

एजाज ने कहा कि ऐसी सोच के कारण ही गरीब और मजदूर हजारों की संख्या में काल के गाल में समा गए हैं, जहां लोग रेलवे लाइन पर रेल दुर्घटना के शिकार हुए वहीं सड़कों के किनारे गाड़ियों के पलटने तथा श्रमिक एक्सप्रेस ट्रेन में भूख और प्यास से तथा पैदल चलने के कारण भुखमरी तथा भूख से मौत के शिकार हुए। अफसोस इस बात का है कि जहां केंद्र सरकार के मंत्री केरल में हथिनी के मर जाने पर राजनीति करने से बाज नहीं आते हैं, वही हजारों मजदूरों के मरने तथा मुजफ्फरपुर में एक मृत मां के शरीर के साथ बच्चे की संवेदना को भी केंद्रीय मंत्री नहीं देख पाते हैं। मैं भी हथिनी के ऐसी दर्दनाक हुई हत्या पर दुख प्रकट करता हूं , लेकिन आज पूरा भारत पूछता है उन मंत्रियों से की मानव के मरने पर आपकी संवेदना क्यों नहीं जगती है।

उन्होंने कहा कि क्या मजदूरों की मौत और जान की कीमत आपको इसका अहसास नहीं कराती है या आप नेता गण जानबूझकर इसको अनदेखा करते हैं, क्योंकि मजदूरों की मौत के बाद इसका जिम्मेदार कहीं ना कहीं केंद्र और राज्य सरकार की असफल लॉक डाउन की नीतियां रही जो बिना किसी कार्य योजना और खाका तैयार किए ही नरेंद्र मोदी द्वारा 24 मार्च 2020 को अचानक इस बात की घोषणा रात्रि 8:00 बजे कर दी गई कि जो जहां है वही रहे।

मजदूरों के विश्वास को जीतने के लिए कोई कार्य नहीं की गई

उसके बाद थाली ,कटोरा बजाने तथा मोमबत्ती, दीया, टोर्च की रोशनी और मोबाइल फ़्लैश जलाकर कोरोना योद्धाओं की हौसला बढ़ाने की बात तो की गई लेकिन गरीब- मजदूरों के विश्वास को जीतने के लिए कोई कार्य योजना या नीतियों की घोषणा नहीं की गई। जिस कारण असमंजस की स्थिति में मजदूर अपने जान की बचाव के लिए बिहार, उत्तर प्रदेश की ओर पलायन करने लगे जहां एक ओर केन्द्र सरकार ने विदेशों से आने वालों के लिए बंदे यात्रा कार्यक्रम की घोषणा करती है, वहीं दूसरी ओर देश को सजाने और संवारने में अपनी भूमिका निभाने वाले मजदूरों को पुलिस के डंडे से पिटवाती है।

वर्चुअल रैली “एक्चुअल बातें लोगों तक ना पहुंचे”

गरीब मजदूरों के एक्चुअल बातें लोगों तक ना पहुंचे इसलिए अमित शाह बिहार में वर्चुअल रैली कर रहे हैं जबकि उन्हें आम लोगों तक अनाज की थैली पहुंचाने की व्यवस्था करनी चाहिए थी सिर्फ राजनीति करने और वह बैंक के तौर पर मजदूर किसान को समझने की नीतियां भाजपा और जदयू की रही है जिस कारण ऐसे गंभीर संकट के समय चुनावी रैली कभी नहीं इन्हें मजा आ रहा है जबकि आज गरीबों के बीच सेवा उनके चेहरे पर मुस्कान लाने की आवश्यकता है।

उन्होंने आगे कहा कि जहां एक ओर नीतीश कुमार की सरकार न्याय के साथ विकास की बात तो किया करती हैं लेकिन इनके द्वारा भी दूसरे प्रदेशों में पुलिस के डंडे और आंसू गैस से घायल होने वाले मजदूरों के लिए न्याय की कोई बातें नहीं की जा रही है ।इतना ही नही पुलिस के बड़े पदाधिकारी एडीजी लॉ एण्ड आर्डर पत्र के माध्यम से दूसरे प्रदेशों से आने वाले मजदूरों को अपराधी घोषित के तौर पर प्रस्तुत कर दिए और अब तक उन पुलिस पदाधिकारी पर कोई कार्रवाई नहीं की गई, क्या यही आपके न्याय के साथ विकास की बातें हैं, नीतीश जी राज्य की जनता जवाब चाहती है। ऐसे विपत्ति काल में जन अधिकार पार्टी लोकतांत्रिक के राष्ट्रीय अध्यक्ष पप्पू यादव अपने स्तर से सहायता किए और दिल्ली सहित अन्य राज्यों में रहने वाले मजदूरों को जिनकी संख्या 70 हजार से अधिक रही उन मजदूरों को राशन – पानी मुहैया कराया और 60 हजार से अधिक मजदूरों को अपने स्तर से टिकट उपलब्ध करवाकर उनके घर तक पहुंचाने की भी व्यवस्था की ।
एजाज अहमद ने आगे कहा कि राज्य में ही रोजगार उपलब्ध करवाने के लिए राज्य सरकार कोई बेहतर उपाय करें और मजदूरों को तत्काल ₹7000 और किसानों को ₹12000 नगद राशि उपलब्ध कराएं साथ ही साथ इन मजदूरों के जीवन यापन के लिए अलग से कार्य योजना तैयार करें और मनरेगा योजना में 200 दिन की जगह 300 दिन तक काम देने की व्यवस्था करें और इनकी राशि बढ़ाकर ₹300 प्रतिदिन किया जाए।
उन्होंने आगे कहा कि जिस थाली और कटोरा की मोदी की राजनीति को देश की जनता ने नकार दिया आज उसी मोदी के पद चिन्हों पर चल कर बिहार के नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने आज भाजपा की राजनीति को मजबूती प्रदान की है ।और उनके द्वारा थाली, कटोरा बजाना दरअसल गरीबों के थाली छीनने वाली डबल इंजन की सरकार के समर्थन जैसा लगता है ,अगर उन्हें अमित शाह के वर्चुअल रैली का प्रतिकार ही करना था तो एक्चुअल में गरीबों की थाली सजाने की बात करनी चाहिए थी ना कि ताली पीटने की। सरकार की गरीब विरोधी नीतियां धोखा है आज बिहार बचा लो यही मौका है।

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