वनवासियों के कल्याण के लिए सरकार द्वारा हर संभव मदद की जाएगी : अलोक रंजन

पटना : अखिल भारतीय वनवासी कल्याण आश्रम का स्थापना दिवस रविवार को कदमकुआं स्थित वर्णवाल भवन में हर्षोलास के साथ मनाया गया। इस कार्यक्रम के साथ ही आश्रम के आदि संस्थापक बालासाहेब देशपांडे के जन्मदिन के रूप में भी याद किया गया । इस अवसर पर समारोह के मुख्य अतिथि आलोक रंजन, मंत्री, कला संस्कृति एवं युवा मंत्रालय, बिहार सरकार, समारोह के अध्यक्ष प्रिंस राजू, समाजसेवी, वनवासी कल्यण आश्रम के उपाध्यक्ष श्याम तापड़िया, नगरीय आयाम के प्रांत प्रमुख प्रदीप कुमार, प्रांत मंत्री अरविंद खण्डेलवाल, पटना महानगर अध्यक्ष रवीन्द्र प्रियदर्शी, आशुतोष कुमार प्रचार प्रमुख मुकेश नंदन समाजसेवी, नंद कुमार तरियार संरक्षक, डॉ ० शिवचंद्र जी, सुजय सौरभ,अशोक कुमार वर्मा तथा अन्य ने बालासाहेब के चित्र पर माल्यापर्ण एवं पुष्पांजलि अर्पित कर नमन किया और दीप प्रज्ज्वलित कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया।

समारोह में उपस्थित जन समुदाय को संबोधित करते हुए मुख्य अतिथि मंत्री अलोक रंजन ने कहा कि देश की संस्कृति की रक्षा करने में इस आश्रम की महत्वपूर्ण भूमिका रही है। देश में कुल 13 करोड़ की आबादी है जो मुख्यधारा से जबतक नहीं जुड़ेगी तब तक समाज का उत्थान नहीं हो पाएगा। उन्होंने कहा कि सरकार द्वारा वनवासियों के कल्याण के लिए हर संभव मदद की जाएगी।

वहीँ अन्य वक्ताओं ने बालासाहेब देशपांडे जी के जीवन एवं कृत्य पर प्रकाश डालते हुए बताया कि बालासाहेब देशपांडे ने सरकारी नौकरी को ठुकरा कर देश सेवा का प्रण लिया और मध्यप्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री के निवेदन एवं परम पूज्य श्री गुरु जी के निर्देश पर वनवासियों को राष्ट्र की मुख्यधारा में जोड़ने के निमित्त आज के छतीसगढ़ राज्य के जशपुर 1952 में वनवासी कल्याण आश्रम की स्थापना की । वनवासी बंधुओं की गरीबी एवं अशिक्षा का लाभ उठाकर ईसाई उनका धर्मान्तरण कराने के साथ राष्ट्रविरोधी कार्यों में धकेल रहे थे । देशपांडे जी ने वनवासियों को राष्ट्र की मुख्यधारा से जोड़ने के लिए उनके कल्याण के अनेक प्रकल्प स्थापित किये ।

आज देश के प्रत्येक राज्य में शिक्षा, स्वास्थ्य, खेल – कूद, महिला सशक्तिकरण, आर्थिक विकास आदि के द्वारा वनवासियों के समग्र विकास एवं कल्याण के लिए लगभग 22500 प्रकल्प चल रहे हैं ।

इन सेवा प्रकल्पों के कारण वनवासी बंधुओं के जीवन में प्रकाश फैल रहा है, आज राष्ट्र की मुख्य धारा से ही नहीं जुड़े हैं बल्कि राष्ट्र की सीमाओं के चौकस प्रहरी बनकर सीमाओं की रक्षा कर रहे हैं, अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भारत का नाम रौशन कर रहे हैं, धर्मान्तरण रूकने से अलगावादी शक्तियाँ दब सहम गई हैं।

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