पटना-शहर के हॉकर्स एसोसिएशन और स्थानीय अखबार प्रबंधन के बीच कमीशन को लेकर ठन गई है. एक ओर जहां हॉकर्स अपने कमीशन को बढ़ाने की मांग कर रहे हैं. वहीं दूसरी ओर अखबारों का प्रबंधन हॉकरों के कमीशन रेट को मानने से साफ मना कर चुका है. और इस तरह मामूली 38 पैसे के लिए जिरह ने पूरे शहर को अखबार पढ़ने से मरहूम कर दिया है.
एक अखबार पर डेढ़ रुपये की हैं मांग, अभी मिल रहा एक रुपया 12 पैसा
हॉकर्स को फिलहाल एक अखबार पर कमीशन के तौर पर एक रुपया 12 पैसा मिल रहा है. हॉकर्स की मांग है कि बढ़ती महंगाई और खर्चे के कारण उन्हें कमीशन के तौर अब ज्यादा पैसा मिलना चाहिए. इसीलिए हॉकर्स संघ ने अपने कमीशन को बढ़ा कर डेढ़ रुपये करने की बात कही है.
इधर विभिन्न अखबारों का प्रबंधन ये बात कह रहा है कि हॉकर्स को पहले से ही कमीशन के तौर पर पर्याप्त पैसा मिलता है. कमीशन को और बढ़ाया गया तो प्रबंधन को राजस्व का घाटा होने लगेगा. प्रबंधन ने हॉकर्स की मांग को सिरे से खारिज कर दिया है.
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ऑनलाइन माध्यमों का बढ़ा प्रभाव
हॉकर्स की हड़ताल ने मीडिया के ऑनलाइन माध्यमों का पटना जैसे छोटे शहरों में भी प्रभाव बढ़ा दिया है. शहरवासी खबर पाना चाहते हैं. भले ही हॉकर्स ने हड़ताल कर रखा हो, पर खबरों को जानने के लिए लोग वेब-पोर्टल का सहारा ले रहे हैं. कुछ घरों में स्थानीय खबरों के लिए लोकल टीवी चैनल चलने लगे हैं.
वरिष्ठ पत्रकार सुरेन्द्र किशोर कहते हैं, “जितने दिनों तक हॉकर्स की हड़ताल रहेगी, लोग ऑनलाइन मीडिया पर आश्रित होते चले जाएंगे. यदि दीर्घकालिक नजरिए से देखें तो आशंका पैदा हो जाती है कि कहीं इसी तरह अखबार कटते नहीं चले जाएं. क्योंकि आज के दौर में जब गांव-गांव तक में स्मार्टफोन और इंटरनेट की कनेक्टिविटी संभव हो गई है. एक बार लोगों का ऑनलाइन माध्यमों का चस्का लग जाएगा तो अखबार अपना बड़ा पाठक वर्ग खो देगा.”
हॉकर्स नहीं माने तो खुद स्टॉल लगाकर अखबार बेचेगा प्रबंधन
विभिन्न अखबारों के प्रबंधन सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार यदि हॉकर्स की हड़ताल आज भर में खत्म नहीं होती है तो प्रबंधन कोई दूसरी व्यवस्था करेगा. इस बाबत सभी अखबारों के प्रबंधन प्रतिनिधियों ने मिलकर तय किया है कि वे कल से खुद ही स्टॉल लगाकर अखबार बेचेंगे. जानकारी के मुताबिक स्टॉल शहर के प्रमुख चौक चौराहों पर लगाए जाएंगे. सुबह से लेकर शाम तक इन स्टॉल पर अखबार के प्रतिनिधि मौजूद रहेंगे.
बड़े आंदोलन की तैयारी में है हॉकर्स संघ, प्रशासन की शरण में प्रबंधन
हॉकर्स संघ के कुछ सदस्यों ने नाम नहीं छापने की शर्त पर कहा कि अखबार नहीं जाने से प्रशासन की खटिया भी खड़ी हो गई है. उन्हें भी सूचनाएं नहीं मिल रही हैं. लेकिन वे अखबार के प्रबंधन के आगे विवश हैं. यदि इसी तरह चलता रहा तो हॉकर्स संघ बड़ा आंदोलन करेगा.
इधर अखबारों का प्रबंधन हॉकर्स संघ को समझाने के लिए स्थानीय प्रशासन की शरण में पहुंच चुका है. प्रबंधन के लोग कल देर रात तक पुलिस और प्रशासन के आला अधिकारियों से मीटिंग करते रहे. इस दौरान शहर में लगाए जाने वाले स्टॉल के जगहों पर भी चर्चा हुई. और जिला प्रशासन से इसके लिए अनुमति भी मांगी गई.
आज का दिन पटना में अखबार के लिहाज से खास होने वाला है. कारण ये कि एक ओर जहां अखबारों का प्रबंधन अपने स्तर से सारी तैयारियां करके हॉकर्स को आखिरी अल्टिमेटम देने पर विचार कर रहा है. जबकि दूसरी तरफ हॉकर्स अपनी मांगों को लेकर अड़ गए हैं. और आंदोले की चेतावनी दे रहे हैं.