भारतीय वायु सेना अपनी सुरक्षा चाक-चौबंद रखने के लिए समय-समय पर समीक्षा करती रहती है। इसी क्रम में वायु सेना के पश्चिमी कमान ने दो दिवसीय कमांडरों के सम्मेलन में पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के साथ सुरक्षा परिदृश्य की समीक्षा की। सम्मेलन में वायु सेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल वी.आर. चौधरी ने कमांडरों को हर समय सभी प्लेटफॉर्मों, हथियार प्रणालियों और संपत्तियों की परिचालन तैयारी सुनिश्चित करने का निर्देश दिया।
हथियार प्रणालियों को ऑपरेशनल रखने का निर्देश
वायु सेना प्रमुख ने शुक्रवार को संपन्न हुए सम्मेलन में ऑपरेशन की तैयारियों को बनाए रखने, संपत्तियों की सेवा क्षमता, सूचना सुरक्षा सुनिश्चित करने की आवश्यकता पर जोर दिया। अपने संबोधन में एयर चीफ मार्शल ने पश्चिमी कमान के सभी कमांडरों को हर समय सभी प्लेटफॉर्मों, हथियार प्रणालियों और संपत्तियों की परिचालन तत्परता सुनिश्चित करने का निर्देश दिया। वायु सेना प्रमुख ने कहा कि बल संरचना, आत्मनिर्भरता और स्वदेशीकरण के माध्यम से भारतीय वायुसेना की परिचालन क्षमता को बढ़ाकर भविष्य के लिए तैयार किया जा रहा है।
LAC के साथ सुरक्षा परिदृश्य की समीक्षा
दिल्ली मुख्यालय वाली पश्चिमी कमान अन्य क्षेत्रों के अलावा लद्दाख सेक्टर की देखभाल करती है। इसलिए इस बैठक का महत्व और अधिक बढ़ गया। पश्चिमी वायु कमान के दो दिवसीय कमांडरों का सम्मेलन 10-11 नवंबर को नई दिल्ली में आयोजित किया गया था, जिसमें भविष्य की सुरक्षा तैयारियों के अलावा सामरिक रूप से महत्वपूर्ण एलएसी के साथ सुरक्षा परिदृश्य की समीक्षा भी की गई। इस सम्मेलन के दौरान वायु सेना प्रमुख (सीएएस) एयर चीफ मार्शल वीआर चौधरी मुख्य अतिथि थे। कमान मुख्यालय में मुख्य अतिथि एयर चीफ मार्शल को पश्चिमी वायु कमान के एयर ऑफिसर कमांडिंग-इन-चीफ के द्वारा पूरी जानकारी सौंपी गई।
पश्चिमी वायु कमान का इतिहास
पश्चिमी वायु कमान के शुरुआत के संकेत स्वतंत्र भारत के प्रारंभिक वर्षों में मिलते हैं, जब वायु सेना दो समूहो में संगठित थी। भारतीय वायु सेना में नंबर एक ऑपरेशनल ग्रुप उड़ान प्रशिक्षण यूनिटों सहित सभी उड़ान यूनिटों को नियंत्रित करती थी और नंबर दो ट्रेनिंग ग्रुप के सभी क्रियाकलापों के लिए जिम्मेदार थी। 22 जुलाई 1949 को नंबर एक ऑपरेशनल ग्रुप का नाम बदलकर ऑपरेशनल कमान कर दिया गया। उस समय ऑपरेशनल कमान के वायु अफसर कमांडिंग एयर कमोडोर रैंक के थे। इसे 1958 में एयर वाइस मार्द्गाल की रैंक तथा बाद में एयर मार्शल की रैंक पर अपग्रेड कर दिया गया। मुख्यतः अन्य ऑपरेशनल कमानों के बनने एवं जवाबदेही के बाद 10 जून 1963 को इस कमान का वर्तमान नाम पश्चिमी वायु कमान मुख्यालय कर दिया गया।
कई महत्वपूर्ण ऑपरेशन में रहा शामिल
नई दिल्ली में स्थित पश्चिमी वायु कमान मुख्यालय के नियंत्रण में 200 से ज्यादा बेस आते हैं और यह कमान आजादी के बाद से भारत में लगभग सभी प्रमुख ऑपरेशनल में शामिल रहा है। इसकी भौगोलिक स्थिति के कारण किसी भी ऑपरेशन के दौरान सभी ऑपरेशनल की क्रियाकलापों का यह हमेशा से मुख्य केंद्र रहा है। इस कमान द्वारा संचालित कुछ प्रमुख ऑपरेशन कश्मीर 1947–48, चीन-भारत युद्ध 1962, भारत-पाक युद्ध 1971, भारत-पाक युद्ध 1971, ऑपरेशन पवन 1986 (श्रीलंका) और ऑपरेशन सफेद सागर 1999 (कारगिल) हैं।