भारत हमेशा से ही ऊर्जा संरक्षण के क्षेत्र में अग्रणी रहा है। हम निरंतर ही नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों को प्रेरित करते हैं और जितना हो सके कार्बन उत्सर्जन काम करने के लिए प्रयासरत हैं। इसी दिशा में भारत ने cop26 में संकल्प लिया था कि 2070 तक भारत नेट जीरो कार्बन उत्सर्जन का लक्ष्य प्राप्त करेंगा और इसके प्रयास देखे जा सकते हैं।
2015 में पेरिस में पीएम मोदी और फ्रांस के तत्कालीन राष्ट्रपति फ्रैंक्वा होलांदे ने cop21 के समय जो एक उत्साहवर्धक पहल की थी। हाल ही में किया गया इंटरनेशनल सोलर एलाइंस और राष्ट्रीय सिविल एवियशन ऑर्गेनाइजेशन के बीच का समझौता ज्ञापन इस को आगे बढ़ाने का कार्य करेगा।
26 सितंबर 2022 को मॉन्ट्रियल में आयोजित इंटरनेशनल सिविल एवियशन ऑर्गेनाइजेशन सभा के 42वें सत्र के दौरान आयोजित एक समारोह में यह समझौता ज्ञापन हस्ताक्षर किया गया। इस दौरान नागर विमानन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया, फ्रांस के यातायात मंत्री मिशियो क्लेमेंट ब्यून, और आईसीयू परिषद के अध्यक्ष सल्वोटोर साशीतानो की उपस्थिति में आईसीएओ के महासचिव जुआन कार्लोस सालाजार और आईएसए के संचालन प्रमुख जोशुआ वायक्लिफ ने समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए।
ऊर्जा क्षेत्र में 2022 और 2030 तक के लिए तय है लक्ष्य
भारत द्वारा यह भी संकल्प लिया गया है कि 2022 तक 175 मेगावाट नवीकरणीय ऊर्जा स्रोत स्थापित किया जाएगा और साथ ही 2030 तक उत्सर्जन में 33 से 35% तक की कटौती का लक्ष्य हासिल कर लिया जाएगा। उठाए जा रहे इन कदमों से उन सभी गांवों और समुदायों तक सौर ऊर्जा पहुंचा दी जाएगी, जिन तक इसकी पहुंच नहीं थी। कोच्चि का अंतरराष्ट्रीय विमानपत्तन 2015 में ही विश्व का पहला पूरी तरह से सौर ऊर्जा हवाई अड्डा बन चुका है, इस दिशा में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है।
आईएसए कर रहा है सौर ऊर्जा पर कार्य
यह एक गठबंधन है, जिसमें 121 देशों ने हस्ताक्षर किए हैं। 32 साझेदार संगठनों में कई संयुक्त राष्ट्र संगठन भी हैं। इसका कार्य जीवाश्म ईंधन पर निर्भरता कम करने के लिए सौर ऊर्जा पर निर्भरता बढ़ाना है। सदस्य देशों को नवीकरणीय ऊर्जा के इस्तेमाल में सस्ते और उपयोगी राह दिखाना है।
आईसीएओ विमानन सेक्टर में है सक्रिय
यह संस्थान विमानन सेक्टर में विभिन्न पहलुओं और लक्ष्यों के माध्यम से कार्बन उत्सर्जन को कम करने की दिशा में प्रयासरत है। इसके मद्देनजर यह समझौता ज्ञापन की साझेदारी बहुत ही सही वक्त पर हो रही है। इस तरह से सौर ऊर्जा के उपयोग के संबंध में सदस्य देशों की क्षमता विकसित करने के लिए ज्यादा से ज्यादा काम किए जा सकेंगे। समझौते के अंतर्गत सूचना प्रदान करने और ऊर्जा के प्रति विशेषकर सौर ऊर्जा के प्रति जागरूकता पैदा करके क्षमता बढ़ाने और अलग-अलग योजनाओं को प्रस्तुत करने का काम भी इसके द्वारा किया जाएगा। सभी सदस्य देशों के बीच विमानन सेक्टर को सौर ऊर्जा से युक्त करने में भी यह सहयोगी होगा।