दिल्ली डायरी : अद्भुत शिव मंदिर

कमल की कलम से 

दिल्ली के शिव मंदिरों की सैर में आज हम आपको एक बहुत ही विशाल और बेहद खूबसूरत श्री शिव- गौरी नागेश्वर मंदिर की सैर को लिए चलते हैं जो छत्तरपुर के आद्या कात्यायनी शक्ति पीठ के प्रांगण में बनी हुई है.

नीले रंग के शेषनाग के विशाल स्वरूप के ऊपर स्थापित शिवलिंग छत्तरपुर मंदिर में विराजमान है. ये देखने में इतना अद्भुत लगता है कि बरबस ही आपको अपनी ओर खींच लेता है. छत्तरपुर मंदिर प्रशासन ने बताया और वहाँ पर खुदा हुआ भी है कि इस शिव- गौरी नागेश्वर मंदिर का निर्माण स्वयं बाबा नागपाल ने करवाया था.

यहाँ पर बने हुए काले पत्थर की मूर्तियां, विशाल शिवलिंग, शेषनाग परिवार बेहद खूबसूरत लगता है. ये मूर्तियां बाबा ने उड़ीसा से मंगवाकर स्थापित की थी. सावन के इस महीने में यहां जलाभिषेक करने वालों का तांता लगा रहता है क्योंकि शिव परिवार सहित शेषनाग की भी पूजा-अर्चना का सौभाग्य श्रद्धालुओं को प्राप्त होता है.

दिल्ली में अनेकों शिव मंदिर बनाए गए हैं लेकिन आपको अपनी ओर आकर्षित करने वाली मूर्ति यहाँ पर ही देखने को मिलेगी. इस शिव मंदिर का निर्माण साल 1972-73 में किया गया था. यहां माँ पार्वती संग भगवान शिव की अष्टधातु से निर्मित मूर्ति विराजमान है. मंदिर प्रशासन ने बताया कि इस मूर्ति को बनवाने के लिए बाबा नागपाल बनारस के कारीगरों को खुद लेकर आए थे.

यहां विराजमान शिव-पार्वती की मूर्ति के सामने एक काले पत्थर से निर्मित शिवलिंग बना हुआ है. इसके ऊपर एक घड़े में गंगाजल व दूध डाला जाता है धीरे-धीरे टपकने वाली बूंदों से पूरे दिन भोलेबाबा का अभिषेक होता है.

बाबा नागपाल महाराज द्वारा सावन के महीने में भक्तों की भीड़ को देखते हुए व भक्तों की विशेष अनुरोध पर स्फटिक के शिवलिंग को अपने कमरे के बाहर रखवाकर भगवान शिव का अभिषेक करवाना प्रारंभ किया था. आज भी सावन के अवसर पर राजधानी के एकमात्र स्फटिक शिवलिंग पर जलाभिषेक बाबा के समाधिस्थ होने के बाद भी मंदिर न्यास द्वारा विधिपूर्वक करवाया जा रहा है.

हमारे धर्म शास्त्रों के अनुसार स्फटिक शिवलिंग पर जलाभिषेक करने से घर में खुशहाली आती है और जीवन पर पडऩे वाले बुरे प्रभावों से भगवान शिव दूर रखते हैं. सच्चे मन से स्फटिक शिवलिंग की पूजा करने से ऊर्जा मिलती है और वातावरण भी शुद्ध हो जाता है.

इस मन्दिर के सामने प्रवेश द्वार पर ही एक विशाल शिव जी का त्रिशूल एक कछुए के ऊपर बना हुआ है जो बरबस ही आपका ध्यान अपनी तरफ खींच कर आपको चमत्कृत कर देता है.

 

यहाँ तक पहुँचना बहुत आसान है.
मेट्रो स्टेशन छतरपुर है जहाँ से आप पैदल या ई रिक्शा से 10 रुपये देकर पहुँच सकते हैं. रिक्शा नंदा हॉस्पिटल तक जाती है पर मन्दिर मेट्रो और नंदा के बीच में ही सड़क किनारे स्थित है.

बस स्टैंड है छतरपुर मन्दिर जहाँ से होकर बस संख्या 536 , 516 , 523 गुजरती है.

निजी सवारी से आने वालों के लिए अतिथि गृह परिसर में पार्किंग की उचित व्यवस्था है और मन्दिर के सामने सड़क के किनारे भी आप गाड़ी पार्क कर सकते हैं.

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