बिहार विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष विजय कुमार सिन्हा ने बयान जारी कर कहा है कि दिनांक 23 मार्च2021 को विधानसभा में घटित घटना दुःखद एवम दुर्भाग्यपूर्ण थी सदन में जहाँ विधायको का आचरण मर्यादा के विपरीत रहा वही पुलिस ने अपनी सीमाओं का अतिक्रमण किया, दोषी पुलिस पदाधिकारियो पर अविलंब कार्रवाई हेतु उन्होंने पुलिस महानिदेशक को निदेश भी दिया था।
श्री सिन्हा ने विधान सभा अध्यक्ष अवध विहारी चौधरी के द्वारा दिये गए वक्तव्य जिसमें उन्होंने विधानसभा अध्यक्ष औऱ केंद्र सरकार पर पुलिस कार्रवाई करवाने का आरोप लगाया था पर अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त की है। श्री सिन्हा ने कहा कि विपक्षी सदस्यों ने अध्यक्ष को उनके कार्यालय कक्ष मे बन्द कर दिया था दरवाजे पर लोहे की भारी अलमीरा लगा दिया था जिससे उनका सदन जाने का मार्ग बन्द हो गया। उन्होंने बार-बार सदस्यों से सदन में जाने देने का अनुरोध किया ताकि समस्या का समाधान हो सके परंतु कोई वार्ता नहीं की गई तथा सदन में जाने नहीं दिया गया अंततः उन्होंने प्रशासन से सदन मे जाने का वहाँ रास्ता वनाने का आग्रह किया था।श्री सिन्हा ने कहा कि गृह विभाग किनके अधीन है यह सभी को पता है।आज जिनको वो प्रेम कर रहे हैं उस समय वे विपक्ष में थे और इनका नज़रिया उनके प्रति कैसा था यह राज्य की जनता को पता है।
श्री सिन्हा ने कहा कि डीजीपी को दोषी पुलिस कर्मियों पर कार्रवाई हेतु उन्होंने आदेश दिया परन्तु मात्र दो पुलिस कर्मियों को निलंबित कर खानापूरी की गई। उन्होंने विषेशाधिकार में भी इस मामले को रखा ताकि तत्कालीन विपक्षी सदस्यों को न्याय मिल सके परन्तु सरकार के असहयोग के कारण यह नही हो सका। पुनः इस मामले में पुलिस महानिदेशक को उसी के विरुद्ध कार्रवाई का स्मार दिया गया है।
श्री सिन्हा ने कहा कि वर्तमान अध्यक्ष उस संचिका को पुनः देखें और दोषियों पर कार्रवाई हेतु पहल करें। श्री सिन्हा ने कहा कि अध्यक्ष का पद संवैधानिक होता है औऱ वर्तमान अध्यक्ष को विना सोचे समझे पहले के अध्यक्ष पर वयान देने से परहेज करना चाहिए। उन्होंने इस मर्यादा का हमेशा पालन किया है और किसी भी पूर्व अध्यक्ष पर कोई टिप्पणी नहीं की है।
श्री सिन्हा ने कहा कि उन्होंने अध्यक्ष पद पर रहते हुए दलिए भावना से ऊपर उठकर हमेशा काम किया है अपने कार्यकाल के दौरान भी कभी अपने पार्टी मुख्यालय नहीं गए कथा कभी भी किसी पार्टी की बैठकों में उन्हों शिरकत नहीं की, सदन मे हमेशा उच्च संसदीय परम्परा का पालन किया , चाहे चाहे पक्ष हो या विपक्ष सबको समभाव की स्थिति से देखा, उन्होंने विधायिका का हमेशा सम्मान बढ़ाने का प्रयास किया। नये अध्यक्ष को भी उसी परम्परा का पालन करना चाहिएl पार्टी की गतिविधियों से अलग होकर संवैधानिक मर्यादा का पालन करना चाहिए। हमेशा तटस्थ एवं निरपेक्ष भाव से तथ्यों को देखना चाहिए। आसन सभी दलीय भावनाओं से ऊपर है । अध्यक्ष महोदय से अनुरोध होगा कि दोषी पुलिस पदाधिकारी को दंडित करने हेतु कार्रवाई करें तथा विधायकों द्वारा किए गए अमर्यादित आचरण के विरुद्ध आचार समिति द्वारा दिए गए प्रतिवेदन को भी सदन पटल पर हैंl यह करते हुए आप सदस्यों के उनका हक, मान और सम्मान बढ़ाने का काम करेंगे ।