कहते हैं कि दिल में कुछ कर गुजरने की तमन्ना हो तो तमाम बाधाओं के बावजूद इंसान अपनी मंजिल को प्राप्त कर ही देता है, चाहे कितने भी कठिन से कठिन परिस्थितियां क्यों नहीं है, इस कहावत को वास्तविकता के धरातल पर सत्य सिद्ध कर दिखाया है, राधा कृष्ण मेट्रो सिटी के प्रबंध निदेशक संजय प्रताप सिंह ने।
2007 में राधे कृष्ण मेट्रो सिटी का निर्माण कर बिल्डिंग कंस्ट्रक्शन के क्षेत्र में उतरे
संजय प्रताप सिंह के पूर्वज छपरा के कोठिया नराव से पटना आकर बस गए थे, राजीव नगर में इन लोगों की खेती बाड़ी थी, इनके पिता स्वर्गीय श्री राम पदारथ सिंह कांग्रेस के वरिष्ठ नेता थे, जबकि माता श्रीमती राम सिंगारी देवी धार्मिक प्रवृत्ति की महिला. तीन भाई और एक बहन के भरे पूरे परिवार में यह मझले भाई है।
इनकी पढ़ाई-लिखाई पटना में ही हुई पटना के संत माइकल व ए. एन कॉलेज से इन्होंने शिक्षा ग्रहण की. राजीव नगर में जब सरकार ने अधिग्रहण प्रारंभ किया तो इनका परिवार विस्थापित हो गया।
जीवन में कई उतार-चढ़ाव देख चुके संजय प्रताप सिंह ने पढ़ाई समाप्त होने के बाद सरकारी नौकरियों के लिए प्रयास शुरू किया पर वहां मन न रमा तो फिर ईट भट्ठे के व्यवसाय में पूरी तैयारी के साथ उतर मनेर में इनका खुद का संजय ब्रिक्स मैन्युफैक्चरिंग नाम से ईट निर्माण की इकाई प्रारंभ हुई.
पर यहां भी किस्मत को कुछ और ही मंजूर था, कटाव ने 3 वर्ष के अंदर ही इनके अच्छे खासे व्यवसाय को बर्बाद कर दिया. फिर भी उन्होंने हिम्मत नहीं हारी और वर्ष 1998 में राधे कृष्ण रियल ई एस्टेट नाम से अपनी कंपनी की शुरुआत की यहा किस्मत ने साथ दिया और व्यवसाय चल निकला पुनः 2007 में राधे कृष्ण मेट्रो सिटी का निर्माण कर बिल्डिंग कंस्ट्रक्शन के क्षेत्र में उतरे तथा राधे कृष्णा, राधे श्याम, राधे गोविंद और गोवर्धन गिरिराज नाम से 4 अपार्टमेंट का निर्माण पटना के गोला रोड मे किया.
पटना के नवनिर्माण में उनका अहम योगदान रहा उन्होंने काफी साफ-सुथरे तरीके से अपने ग्राहकों को संतुष्ट किया पटना के गोला रोड में राधे कृष्ण सिटी बसा दी.
पटना का सबसे ज्यादा विकास गोला रोड की तरफ : संजय प्रताप सिंह
संजय जी कहते हैं, कि 2005 से 2012 तक रियल स्टेट का व्यवसाय काफी बेहतर था, प्राइस बढ़ रहा था, रजिस्ट्री वैल्यू ठीक थी, लेकिन सरकार के पास रिपोट पहुंचा कि तयशुदा सर्किल रेट से ज्यादा बिल्डर ले रहे हैं, तब सरकार ने एकाएक की रजिस्ट्री कॉस्ट में वृद्धि कर दी .
सड़क बिजली पानी में शुरुआती दौर में नीतीश सरकार ने काफी बेहतर काम किया पर 2013 के बाद यह दौर थम सा गया . पटना का सबसे ज्यादा विकास गोला रोड की तरफ हुआ। उसके बाद शिवाला होते हुए जमीन की चाह में लोग बिहटा की तरफ चले गए जितने भी अच्छे काम करने वाले लोग हैं.
बिहार में रोजगार का सृजन होगा तभी पलायन रुकेगा : संजय प्रताप सिंह
सब लोग रेरा का समर्थन करते हैं, वे कहते हैं कि वह बिहार सरकार और केंद्र सरकार से मांग करते हैं, कि रेरा कानून आने के पहले जितनी भी बिल्डिंग का नक्शा पास हुआ तथा उन बिल्डिंग का निर्माण हुआ और बिल्डर तथा ग्राहकों के बीच कोई विवाद नहीं है.
सरकार उन बिल्डिंगों की रजिस्ट्री ओपन करें एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा की बिहार में रोजगार का सृजन होगा तभी पलायन रुकेगा यह सरकारी बिहार नहीं है, यह हम सबका बिहार है, और इस बिहार में सबसे ज्यादा शिक्षित बेरोजगारी है.
भाजपा एन आर आई सेल के अध्यक्ष
रेरा के गठन के बाद बालू बंदी ने रियल एस्टेट और बिल्डिंग कंस्ट्रक्शन रोजगार के लिए भूखमरी ला दिया . वे कहते हैं कि पूरे देश नहीं दुनिया में सबसे सस्ता श्रम बिहारियों का है, बिहारी जहां भी जाते हैं, अपनी कर्मठता और ईमानदारी के लिए जाने जाते हैं, उन्होंने कहा कि विगत 15 वर्षों से बिहार सरकार के पास पलायन रोकने और बेरोजगारी दूर करने का कोई भी प्लान ही नहीं अपने व्यवसाय के शुरुआती दिनों की चर्चा करते हुए कहते हैं.
2005 से 2012 तक सबसे बेहतर माहौल रहा फिलहाल संजय प्रताप सिंह अखिल भारतीय क्षत्रिय महासभा और भाजपा एन आर आई सेल से जुड़े हुए है। पटना महानगर भाजपा एन आर आई सेल के अध्यक्ष है।
इस सेल का गठन माननीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी की विदेश दौरे के बाद हुआ है और इसका मकसद है, कि प्रत्येक राज्यों में सेल का गठन कर अप्रवासी भारतीयों से निवेश के लिए देश में माहौल तैयार किया जाय.
उन्होने कहा कि बिहार में शिक्षा के क्षेत्र में निवेश के लिए व्यापक पैमाने पर तैयारी चल रही है क्षत्रिय जाति नहीं धर्म है . वर्तमान समय में भी सामाजिक कुरीतियों व सामाजिक समानता के लिए सबसे ज्यादा संघर्ष यही समाज कर रहा है.
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