भागती-दौड़ती जिंदगी में आज हर कोई अपने मग्न में है। लेकिन कुछ ऐसे भी लोग हैं जो समाज के साथ चलना चाहते हैं और समाज की बेहतरी के लिए चुपचाप अपने अभियान में लगे हुए हैं। ऐसे ही लोगों में से एक हैं राजेश कुमार सुमन ।भारत सरकार के महत्वाकांक्षी परियोजना “बेटी बचाओ-बेटी पढाओ” अभियान से प्रभावित होकर बीएसएस क्लब:-नि:शुल्क शैक्षणिक संस्थान के माध्यम से ये समाज में हाशिए पर खड़े बेटियों के बीच नि:शुल्क शिक्षा का अलख जगा रहे हैं। पहले तो वर्ष 2008 से छात्र-छात्राओं को एक ही साथ शिक्षा देते थे लेकिन बेटी बचाओ-बेटी पढाओ अभियान से प्रभावित होकर बेटियों के लिए अलग से शिक्षा दान कर रहे हैं। राजेश कुमार सुमन मूलत: समस्तीपुर जिले के रोसड़ा प्रखंड के ढरहा के रहने वाले हैं। ये एक मध्यमवर्गीय परिवार के युवा हैं और इन्हें विदेश मंत्रालय मुंबई में नौकरी भी हुई थी।लेकिन ऐसे बच्चों को कैरियर निर्माण के लिए अपनी अच्छी खासी नौकरी को भी त्याग दिया।
सुमन कहते हैं कि मुझे अपने सुख -सुविधाओं में खोये रहना पसंद नहीं है। हमारे ही अगल-बगल में समाज की बेटियों पढने से वंचित रह जाये और हम चुपचाप रहें, यह कैसे हो सकता है। आखिर हमारा समाज कहां जा रहा है। हम हाशिए पर खड़े लोगों के बारे में क्यों नहीं सोच रहे हैं। बेटियों की जिंदगी को बेहतर बनाने के लिए बहुत कम लोग सामने आ रहे हैं। मेरा मानना है कि बेहतर भविष्य के लिए वर्तमान को ठीक करना जरूरी है। और वर्तमान शिक्षा की बदौलत ही बदलेगी। इसलिए मैं समाज के बेटियों को पढ़ा रहा हूं। हर दिन सुबह और शाम इन्हें पढ़ाता हूं। राजेश कहते हैं कि जब मैंने सन 2008 में बीएसएस क्लब:-नि:शुल्क शैक्षणिक संस्थान को स्थापित कर बच्चों को पढ़ाना शुरू किया तब कई लोगों ने कहा कि एनजीओ बना लो, तब काम करो। लेकिन मैंने इंकार कर दिया। मेरा मानना है कि सेवा किसी भी रूप में की जा सकती है। हमने अपने कुछ दोस्तों को भी तैयार किया। इनमें अशोक कुमार,जितेन्द्र यादव,श्याम ठाकुर,अमित झा प्रमुख रूप से हैं । अब तो हर दिन हमलोग बारी-बारी से पहुंच कर बच्चों को पढ़ाते हैं। हर दिन कम से कम दो घंटे सुबह और दो घंटा शाम में क्लास चलता है। आने वाले दिनों में बेटियों लिए मैं एक नि:शुल्क स्कूल खोलना चाहता हूं, ताकि हमारे ये छात्राओं अन्य उच्च स्तरीय स्कूलों के बच्चों से प्रतियोगिता कर सकें।