अनूप नारायण सिंह की रिपोर्ट
कलम क्रांति अभियान के तहत राजधानी पटना की सड़को पर गुरु रहमान की पाठशाला सजने लगी है। स्कूल से वंचित बच्चो को शनिवार व रविवार को गुरुकुल की तरफ से भोजन पाठ्य सामग्री भी प्रदान की जा रही है। कदमकुआ कांग्रेस मैदान कुरजी बालूपर राजपुर पुल यारपुर डोमखाना व मीठापुर मे यह अभियान प्रारंभ है। अभियान के संयोजक मुन्ना जी ने बताया कि इस तरह के प्रयोग के सफल होने के बाद इसका विस्तार राज्य के सभी प्रमुख शहरो मे किया जाएगा। गुरु रहमान ने बताया कि उनके इस अभियान को व्यापक जनसमर्थन मिल रहा है। छात्र आगे आकर एक एक ईलाके को गोद ले कर कलम क्रांति अभियान को सफल बनाने मे लगे है। अदम्या अदिति गुरुकुल के कलम क्रांति अभियान में ग़रीब अनाथ असहाय एवं दिब्यांग छोटे बच्चों को, पढाने की शुरुआत गुरु रहमान के द्वारा कांग्रेस मैदान से शुरु की गई थी।
पटना के नया टोला में साल 1994 से चल रहे अदम्य अदिति गुरुकुल के नाम से मशहूर कोचिंग संस्थान के संचालक रहमान हैं जिन्हें प्यार से छात्र गुरु रहमान के नाम से पुकारते हैं. गुरुकुल की सबसे बड़ी खासियत ये है कि यहां अन्य कोचिंग संस्थानों की तरह फीस के नाम पर भारी-भरकम रकम की वसूली नहीं की जाती, बल्कि छात्र-छात्राओं से गुरु दक्षिणा के नाम पर महज 11 रुपये लिए जाते हैं. 11 से बढ़कर 21 या फिर 51 रुपये फीस देकर ही गुरुकुल से अब तक ना जाने कितने छात्र-छात्राओं ने भारतीय प्रशासनिक सेवा से लेकर डॉक्टर और इंजीनियरिंग तक की परीक्षाओं में सफलता हासिल की है. 1994 में जब बिहार में चार हजार दरोगी की बहाली के लिए प्रतियोगिता परीक्षा आयोजित की गई थी तो उस परीक्षा में गुरुकुल से पढ़ाई करने वाले 1100 छात्रों ने सफलता हासिल की थी।
पटना के नया टोला में चलने वाले गुरुकुल में ऐसा नहीं है कि सिर्फ बिहार के छात्र पढ़ते हैं बल्कि गुरुकुल में झारखंड, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, मध्य प्रदेश जैसे राज्यों से भी छात्र आकर गुरु रहमान से टिप्स लेते हैं. गुरुकुल में हर साल प्रतियोगिता परीक्षाओं के परिणाम निकलने के समय जश्न का माहौल रहता है. ऐसी एक भी प्रतियोगिता परीक्षा नहीं होती जिसमें गुरुकुल से दीक्षा हासिल किए छात्र सफलता नहीं पाते है।
गुरुकुल के संचालक मुस्लिम समुदाय के हैं, इसके बाबजूद रहमान को वेदों का अच्छा ज्ञान है. गुरुकल में वेदों की भी पढ़ाई होती है. रहमान एक गरीब परिवार से हैं यही कारण है उन्हें गरीब छात्र-छात्राओं की दर्द का एहसास है. गरीब छात्रों को ही ध्यान में रखकर रहमान ने गुरुकुल की शुरुआत की थी. रहमान का मानना है कि गरीबी का मतलब लाचारी नहीं होता बल्कि गरीबी का मतलब कामयाबी होता है. जिसे जिद और जुनून से हासिल किया जा सकता है. जो गुरुकुल में पढ़ने वाले छात्र करते हैं. शुरू हुए क़लम क्रान्ति अभियान में अदम्या अदिति गुरुकुल के संयोजक मुन्ना जी जितेन्द्र साहू ,पुनपुन यादव ,दिब्यान्सु , विक्रम , माही ,विद्यानंद ,रितेश, निशु गुप्ता समेत अन्य छात्र -छात्राए इस अभियान को सफल बनाने मे लगे है।
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