राज्य में हुए बिहार विधान सभा चुनाव में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) को भारी बहुमत मिलता दिख रहा है। बहुमत के लिए कुल 243 सीटों में 122 सीटें जरूरी थीं। रुझानों के अनुसार एनडीए को 200 से उपर सीटों पर बढ़त मिली है। एनडीए के घटक दलों में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) व जनता दल (यूनाइटेड) (जदयू) शामिल हैं, जिनका प्रदर्शन भी काफी मजबूती से रहा है। विपक्षी महागठबंधन को मुकाबले में काफी पीछे देखा जा रहा है।
विश्लेषण
एनडीए की यह बढ़त इस बात का संकेत है कि मतदाता ने राज्य में उनकी सरकार की कामकाजी रिकॉर्ड, विकास व सुशासन के वादों को स्वीकार किया है। इसके साथ ही यह नतीजा राष्ट्रीय स्तर पर भी उसकी स्थिति को मजबूत करता दिख रहा है।
आगे क्या होगा ?
एनडीए इस बढ़त के साथ सरकार बनाने के लिए पूरी तरह तैयार नजर आ रही है। विपक्ष को अब आगे की रणनीति पर विचार करना होगा, क्योंकि सीटों में पीछे होने का रुझान स्पष्ट है। सरकार गठन के बाद बिहार में अगले पांच साल की राजनीति पर इस परिणाम का गहरा असर होगा।
नीतीश हीं बन सकते हैं पुनः बिहार के मुखिया
हालाँकि अभी तक नीतीश कुमार को मुख्यमंत्री के रूप में किसी ने भी अधिकारिक घोषणा नहीं की है, पर नतीजों को देखते हुए यह स्पष्ट है कि सरकार में कोई फेरबदल नहीं किया जाना चाहिए।
