असम में 35 लाख लोग बोडो भाषा बोलते हैं: राष्ट्रपति

राष्ट्रपति रामनाथ कोविन्द ने बुधवार को बोडो साहित्य सभा के तीन दिवसीय 61वें अधिवेशन के अंतिम दिन एक विशाल जनसभा को संबोधित किया। इस दौरान उन्होंने कहा, बोडो साहित्य सभा द्वारा साहित्य एवं संस्कृति को बढ़ावा देने के कार्य की सराहना करता हूं। बोडो साहित्य सभा के 61वें सम्मेलन के आयोजन के लिए मैं सभी को बधाई देता हूं। इस आयोजन में शामिल होने वालों की तादाद लगातार बढ़ती ही जा रही है। इससे यह प्रतीत होता है कि लोगों में इसके प्रति भारी आकर्षण है।

साहित्य और भाषा लोगों को जोड़ती है

उन्होंने कहा कि असम में लगभग 35 लाख लोग बोडो भाषा बोलते हैं। इसके अलावा पश्चिम बंगाल, मेघालय, अरुणाचल प्रदेश, सिक्किम, त्रिपुरा, नगालैंड के साथ ही पड़ोसी देश बांग्लादेश और नेपाल में भी बोडो भाषा बोली जाती है। उन्होंने कहा कि साहित्य और भाषा हमेशा लोगों को जोड़ती है। लोगों के दिलों को जोड़ती है। भाषा में अपनापन होता है। यहां पर दूसरे राज्यों और विदेशों से भी काफी प्रतिनिधि आए हैं। यह भाषा का ही प्रभाव है कि लोग दूसरे स्थानों से यहां आए हैं। इसके लिए आयोजकों को मैं बधाई देता हूं।

पूरे क्षेत्र सौहार्द्र का वातावरण

उन्होंने इस बात का भी जिक्र किया कि इसी वर्ष तामुलपुर को जिला के रूप में मान्यता दी गई। राष्ट्रपति ने जिले के उज्ज्वल भविष्य की कामना की। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार और पूर्वोत्तर की सरकारों के मिलेजुले प्रयासों से पूरे क्षेत्र सौहार्द्र का वातावरण और भी मजबूत हो रहा है। मैं इसके लिए पूर्वोत्तर के लोगों को बधाई देता हूं।

राष्ट्रपति ने असम क्षेत्र में शिक्षा के उच्च संस्थानों के खुलने पर दी प्रतिक्रिया

राष्ट्रपति ने असम क्षेत्र में शिक्षा के उच्च संस्थानों के खुलने का जिक्र करते हुए कहा कि इससे क्षेत्र का विकास होगा तथा भाषा और साहित्य भी समृद्ध होगा। उन्होंने कहा कि अनेक उच्च शिक्षण संस्थान स्थापित हो रहे हैं। आयोजन स्थल के पास एक मेडिकल कालेज स्थापित किया जाएगा। इसके लिए मैं असम के मुख्यमंत्री की सराहना करता हूं। असम विधानसभा के अध्यक्ष बिश्वजीत दैमारी के इस आयोजन के लिए योगदान देने की बात करते हुए उन्होंने कहा कि वे बोडो भाषा के विकास के लिए काफी काम करते हैं।

बोडो समाज से पुराना नाता

राष्ट्रपति ने कहा कि बोडो समाज से मेरा पुराना नाता रहा है। राज्यसभा का जब मैं सांसद था तो इस क्षेत्र के प्रतिनिधियों से मिलना-जुलना होता था। मुझे बोडो साहित्य सभा के बारे में काफी जानकारी मिलती थी। पूर्व लोकसभा सांसद एसके बसुमतारी को भी उन्होंने इस मौके पर याद किया। असम के मुख्यमंत्री द्वारा असम में राष्ट्रपति के जल्दी-जल्दी आने की बात का जिक्र करते हुए कहा कि किसी राज्य में मेरे आने के पीछे कुछ मर्यादाएं होती हैं। इसके बावजूद यहां के लोगों का प्यार मुझे बार-बार आने के लिए मजबूर करता हा।

कब मिली थी बोडो भाषा मान्यता ?

उन्होंने बोडोफा उपेंद्र नाथ ब्रह्म का भी जिक्र किया। उनके संदेश को बोडो भाषा में राष्ट्रपति ने दोहराया। बोडो भाषा को 18 मई, 1963 में शिक्षा के रूप में मान्यता दी गयी थी। इस दिवस की उन्होंने बधाई दी। उन्होंने कहा कि बोडो भाषा साहित्य के विकास के लिए काफी उल्लेखनीय कार्य हुए हैं। उन्होंने साहित्य सभा के संस्थापकों को भी याद किया। असम राज्य की सहायक भाषा के रूप में बोडो भाषा को मान्यता मिली है। कालीचरण ने 20वीं सदी में बोडो पुनर्जागरण के लिए कार्य किया। बीबर नामक पत्रिका ने भी बोडो भाषा के विकास में काफी महत्वपूर्ण योगदान दिया। 1924 में इसका प्रकाशन हुआ था। नाटक और कविता के क्षेत्र में भी काफी कार्य हुआ है।

बोडो भाषा के कई लोगों को पद्म पुरस्कारों से किया जा चुका सम्मानित

राष्ट्रपति ने कहा कि बोडो भाषा के कई लोगों को पद्म पुरस्कारों से सम्मानित किया गया। पर्यावरण को बचाने के लिए भी कई रचनाएं बोडो भाषा में हुई हैं। बोडो और असमिया भाषा के बीच आपसी सहयोग के लिए काफी कार्य हुआ। बोडो भाषा रचनाओं को राष्ट्रीय स्तर पर 17 पुरस्कार प्रदान किया गया है। अनेक महिलाएं भी साहित्य का सृजन कर रही हैं। दो महिला रचनाकारों को राष्ट्रीय स्तर पर पुरस्कार मिला है। और भी महिलाएं इसके लिए आगे आएं, यह मेरी कामना है।

बोडो भाषा को देश की छठी अनुसूची में शामिल किया गया

उन्होंने कहा कि युवा रचनाकारों को भी विशेष रूप से प्रोत्साहित किया जाना चाहिए। बोडो भाषा को देश की छठी अनुसूची में शामिल किया गया। उन्होंने बोडो भाषा के लिए प्रधानमंत्री रहते हुए कार्य करने के लिए अटल बिहारी वाजपेयी को भी याद किया। उन्होंने कहा कि बोडो भाषा में अन्य भाषाओं का अनुवाद किया जा रहा है। साहित्य अकादमी, संगीत नाटक अकादमी, ललित अकादमी, भारतीय भाषा संस्थान समेत अन्य केंद्रीय संस्थान बोडो भाषा के प्रसार में अपना योगदान दे रहे हैं। भाषा को संरक्षण देना, प्रचार-प्रसार करना समाज और सरकार की जिम्मेदारी है। ऐसे में मुख्यमंत्री से इसके लिए काम करने का मैं आह्वान करता हूं।

इस मौके पर राष्ट्रपति ने बोडो भाषा की डिक्सनरी को ऑनलाइन जारी किया। इस मौके पर असम के राज्यपाल प्रो. जगदीश मुखी, असम के मुख्यमंत्री डॉ. हिमंत बिस्व सरमा, सिक्किम मुख्यमंत्री प्रेम सिंह तमांग, मेघालय के मुख्यमंत्री कॉनराड के संगमा, असम विधानसभा के अध्यक्ष बिश्वजीत दैमारी, असम सरकार के मंत्री यूजी ब्रह्म, राज्यसभा सांसद रनगौरा नार्जारी, बीटीसी के सीईएम प्रमोद बोडो, बोडो साहित्य सभा के अध्यक्ष तोरेन बोडो, महासचिव प्रशांत बोडो, आब्सू अध्यक्ष दीपेन बोडो समेत बड़ी संख्या में लोग उपस्थित थे।

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