कोविड महामारी के दौरान ”ऑनलाइन अध्ययन” और ”रिमोट वर्किंग” के कारण डेटा नेटवर्क, इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों जैसे कंप्यूटर, लैपटॉप, स्मार्ट फोन इत्यादि तक हमारी पहुंच का महत्व और अधिक बढ़ गया। शायद यही वजह रही कि भारत ने इस दिशा में तेजी से कदम उठाया और बहुत जल्द आपदा को अवसर के रूप में बदल डाला। आज उन्हीं प्रयासों का नतीजा हमारे सामने हैं। भारत में बने इलेक्ट्रॉनिक उत्पादों की दुनिया में जबरदस्त डिमांड है। खासतौर से स्मार्ट फोन की। इस मांग को पूरा करने के लिए भारत में फोन निर्माण क्षेत्र में भी तेजी के साथ परिवर्तन हुए। क्वालिटी में सुधार हुआ और लेटेस्ट टेक्नोलॉजी के साथ अब देश में कई नामी फोन निर्माता कंपनियां स्मार्ट फोन तैयार कर रही है। इसलिए आज भारत प्रति सेकंड लगभग 10 मोबाइल फोन का उत्पादन करने में सक्षम है, जो प्रति सेकंड 70,000 मूल्य के बराबर है।
भारत का 5 साल का रोडमैप और विजन
गौरतलब हो, इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने आईसीईए के साथ मिलकर इस साल की शुरुआत में यानि जनवरी माह में इलेक्ट्रॉनिक्स क्षेत्र के लिए 5 साल का रोडमैप और विजन डॉक्यूमेंट जारी किया। भारत को 2026 तक 300 बिलियन अमेरिकी डॉलर मूल्य के इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण पावर हाउस के रूप में स्थापित करने के लिए विस्तृत लक्ष्य और रोडमैप दिया गया है, जो फिलहाल 75 बिलियन अमेरिकी डॉलर है।
इसके तहत मोबाइल फोन, आईटी हार्डवेयर (लैपटॉप, टैबलेट), कंज्यूमर इलेक्ट्रॉनिक्स (टीवी और ऑडियो), औद्योगिक इलेक्ट्रॉनिक्स, ऑटो इलेक्ट्रॉनिक्स, इलेक्ट्रॉनिक पुर्जा, एलईडी लाइटिंग, स्ट्रैटेजिक इलेक्ट्रॉनिक्स, पीसीबीए, पहनने योग्य और सुनने योग्य और दूरसंचार उपकरण उन प्रमुख उत्पादों में शामिल हैं, जो इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण क्षेत्र में भारत की प्रगति का मार्ग प्रशस्त कर सकते हैं।
100 बिलियन अमेरिकी डॉलर वार्षिक उत्पादन की संभावना
मोबाइल क्षेत्र का विनिर्माण मौजूदा 30 बिलियन अमेरिकी डॉलर से बढ़कर 100 बिलियन अमेरिकी डॉलर मूल्य के वार्षिक उत्पादन से अधिक होने की संभावना है और इस महत्वाकांक्षी प्रगति में इसकी हिस्सेदारी लगभग 40 प्रतिशत होने की उम्मीद है। याद हो विश्व आर्थिक मंच पर पीएम मोदी ने अपने हाल के वक्तव्य में कहा था कि भारत अपने इलेक्ट्रॉनिक्स उद्योग को व्यापक और सघन करने पर ध्यान केंद्रित कर रहा है। भारत मूल्य श्रृंखलाओं में एक विश्वसनीय और भरोसेमंद भागीदार के रूप में उभर रहा है।
नए बाजार, नए ग्राहक और ग्लोबल वैल्यू चेन का बनेगा भागीदार
जी हां, बीते कुछ साल में इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों के निर्माण में भारत का आकार इतनी तेजी से विशाल हो रहा है कि अब उसे “नए बाजार, नए ग्राहक और ग्लोबल वैल्यू चेन (जीवीसी) में एक भागीदार के रूप में स्थापित होना जरूरी हो गया है। दरअसल इसके माध्यम से डिजिटल खपत में वृद्धि और वैश्विक मूल्य श्रृंखलाओं का विकास तथा विविधीकरण द्वारा संचालित इलेक्ट्रॉनिक्स क्षेत्र में एक वास्तविक अवसर प्राप्त होगा।
इलेक्ट्रॉनिक्स उद्योग वित्त वर्ष 2025 से 26 तक 300 बिलियन तक पहुंचने का अनुमान
इसलिए अगले 5 साल में इलेक्ट्रॉनिक्स उद्योग घरेलू बाजार के 65 मिलियन अमरीकी डॉलर से बढ़कर 180 अरब अमेरिकी डॉलर होने की संभावना है। इससे 2026 तक भारत के इलेक्ट्रॉनिक्स उद्योग को 2-3 शीर्ष रैंकिंग निर्यातों में स्थान मिल जाएगा। 120 बिलियन अमेरिकी डॉलर मूल्य के निर्यात में, 2021-22 के अनुमानित 15 बिलियन अमेरिकी डॉलर से बढ़कर 2026 तक इसकी हिस्सेदारी 300 बिलियन अमेरिकी डॉलर हो जाएगी। यानि भारत ‘आत्मनिर्भर होने के साथ ही वैश्विक उपलब्धि भी हासिल करेगा।
भारत दुनिया के सबसे बड़े इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस उद्योगों में से एक
इसी के साथ भारत दुनिया के सबसे बड़े इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस उद्योगों में से एक होगा। यानि अब भारत से कोई मजबूत इलेक्ट्रॉनिक ब्रांड उभर कर सामने आ सकता है जो स्थानीय स्तर के साथ-साथ और वैश्विक स्तर पर भी अपनी पैठ बना सकेगा। ऐसे ही ग्लोबल ब्रांड की फिलहाल देश को जरूरत है। केंद्र सरकार इस दिशा में काम भी कर रही है। दरअसल, आत्मनिर्भर भारत के दम पर घरेलू इलेक्ट्रॉनिक्स मैन्युफैक्चरिंग इंडस्ट्री 2025 से 26 तक 300 बिलियन तक हो जाएगी।
दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा मोबाइल निर्माता
यह घरेलू मोबाइल निर्माण क्षेत्र पीएलआई योजना की सफलता का ही एक बेहतरीन उदाहरण है कि आज भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा मोबाइल फोन निर्माता बनकर उभरा है। यह हमारे युवाओं के लिए लाखों रोजगार पैदा कर रहा है।
प्रति सेकंड लगभग 10 मोबाइल फोन का उत्पादन
आज भारत प्रति सेकंड लगभग 10 मोबाइल फोन का उत्पादन करने में सक्षम है, जो प्रति सेकंड 70,000 मूल्य के बराबर है। इससे देश की इलेक्ट्रॉनिक उत्पादों से होने वाली उन्नति का अंदाजा लगाया जा सकता है। इसके अलावा भारत को एक लाभ ऐसे भी मिल रहा है कि यहां कम लागत वाली मैन्युफैक्चरिंग और ईज ऑफ डूइंग बिजनेस माहौल मिल रहा है जिसके कारण भारत सबसे पसंदीदा निवेश गंतव्य बन गया है।
कुल मिलाकर आने वाले कुछ साल में भारत के इलेक्ट्रॉनिक उपकरण दुनिया के तमाम देशों में अपनी जगह बना लेंगे। भारत इस दिशा में कुछ कदम चल चुका है और कुछ कदम अभी चलना बाकी रह गया है। इसके बाद बदलती दुनिया के साथ बदलता भारत भी ”मेड इन इंडिया” इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों के जरिए अपनी नई पहचान बनाएगा।