पटना : मंत्रिमंडल विस्तार के बाद जदयू समेत भाजपा में भी असंतोष खुल कर सामने आने लगा है | जहाँ मंत्रिमंडल में महिलाओं की हिस्सेदारी पर सवाल उठ रहे हैं वही विस्तार में कायस्थों को भी स्थान नहीं मिलने पर विभिन्न कायस्थ संगठन ने अपनी नाराजगी जाहिर की है | विभिन्न संगठनों का आरोप है कि कायस्थ समाज सिर्फ भाजपा को ही वोट देते आये हैं इसके बाद भी काबिलियत होते हुए भी मंत्रिमंडल में नज़रअंदाज़ किया गया |
वही भाजपा सांसद आर के सिन्हा भी बिहार में हुए मंत्रिमंडल गठन से नाराज हैं। उन्होंने कायस्थ समाज को नीतीश कुमार के कैबिनेट में जगह नहीं मिलने पर अपनी नाराजगी जतायी है। उन्होंने कहा हमारे समाज की उपेक्षा से मैं दुखी हूं। समाज के सभी वर्गों को जगह मिला, लेकिन कायस्थ समाज को नजरअंदाज किया गया।
आरके सिन्हा ने कहा कि हम भी समाज के अंग हैं। हमारे यहां भी चार बार जीतने वाले विधायक हैं, जो हर मंत्री बनने के लिए जरूरी हर मानक पर खड़े उतरते हैं। साथ ही उन्होंने कहा ‘हमारे यहां पीएचडी कर चुके लोग हैं। पार्टी में हमारे यहां से पदाधिकारी भी हैं।’ कैबिनेट गठन पर सवाल उठाते हिए बीजेपी सांसद ने कहा कि हम बोल नहीं सकते सिर्फ इसलिए साइड लाइन किया गया है। उन्होंने कहा हम सिर्फ बंधुआ मजदूर की तरह 1974 से सिर्फ वोट दे रहे हैं।
यह अन्याय है कि हमें मंत्रिमंडल में जगह नहीं मिला। उन्होंने कहा जेपी आन्दोलन से अबतक देशभर का कायस्थ समाज भाजपा के पीछे गोलबंद है। लेकिन, आज जिसतरह समाज की उपेक्षा हुई उससे देशभर का कायस्थ मर्माहत है। आरके सिन्हा ने कहा हम इसके लिए किसी को दोष नहीं दे रहे हैं। उन्होंने राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह को बताने की भी बात कही। संजय मयूख का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा सबसे अधिक डिग्री वाले हैं। चार बार विधानसभा चुनाव जीतने वाले अरुण सिन्हा हैं, युवा नितीन नवीन हैं। आखिर इन्हें क्यों नहीं बनाया गया।
दूसरी ओर जदयू प्रवक्ता अजय आलोक ने भी मंत्रिमंडल में कायस्थों को शामिल नहीं किये जाने पर अफ़सोस जाहिर किया |
गौरतलब है कि पिछले दिनों महागठबंधन से नाता तोड़ने के बाद राज्य के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने एनडीए के साथ मिलकर नयी सरकार का गठन किया | जिसमे कायस्थ समाज के किसी को भी मंत्रिमंडल में जगह नहीं दी गयी | जबकि दोनों ही प्रमुख दल में कायस्थों के प्रतिनिधि मौजूद हैं |
भाजपा में पिछले कई टर्म से विधायक रह अरुण कुमार सिन्हा, युवा मोर्चा के अध्यक्ष नितिन नविन, विधान पार्षद संजय मयूख प्रबल दावेदार थें वहीँ जदयू में प्रखर प्रवक्ता राजीव रंजन प्रसाद, विधान पार्षद रणबीर नंदन और प्रवक्ता अजय आलोक प्रबल दावेदारों में थें |