पटना, 01 जून । बिहार विधान सभा की लोक लेखा समिति के सभापति और वरिष्ठ भाजपा नेता श्री नंदकिशोर यादव ने कहा है कि राज्य सरकार की लापरवाही और उपेक्षानीति के कारण सूबे में पषु चिकित्सा व्यवस्था पूरी तरह फेल कर गयी है। पषु चिकित्सालयों में न डाक्टर हैं और न दवायें ही उपलब्ध हैं । पषुधन के संवर्धन के प्रति सरकार के उपेक्षात्मक रवैये से राज्य के लाखों पषुपालक गहरी चिंता में डूबे हैं।
श्री यादव ने आज यहां कहा कि पषु चिकित्सकों की कमी के कारण सूबे के पषु चिकित्सालय पूरी तरह बदहाली के षिकार हैं। पषुओं की सामान्य बीमारी तक का इलाज नहीं हो पा रहा है। चिकित्सालयों में पषुओं की आवष्यक चिकित्सा, बधियाकरण और टीकाकरण जैसे सामान्य कार्य भी ठप है। एक तो पुराने पषु चिकित्सालयों की यह दुर्गति है तो दूसरी ओर राज्य के विभिन्न जिलों में खुले 15 नये पषु चिकित्सालय मात्र दिखावा बनकर रह गये हैं। पषु चिकित्सा विस्तार कार्यक्रम के तहत खोले गये इन पषु चिकित्सालयों में न चिकित्सक की तैनाती की गयी है और न ही अन्य स्तर के कर्मी ही नियुक्त किये गये हैं। भ्रमणषील पषुचिकित्सक, पषु परिचर और चौकीदार के स्वीकृत पद कागजों तक ही सीमित हैं। किसी भी पषु चिकित्सालय का अपना भवन तक नहीं है।
श्री यादव ने महागठबंधन में शामिल पषुपालकों के हिमायती होने का दावा करने वाले नेताओं पर कटाक्ष करते हुए कहा कि उन्हें अपनी राजनीति से इतनी फुर्सत कहां कि वे पषुपालकों की चिंता करें, उनकी कठिनाइयों को दूर करने में पहल करें । गरीबों के मसीहा प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की सीधी नजर पषुधन के विकास और पषुपालकों की समस्याओं पर है। भारत सरकार ने प्रषिक्षित पषु चिकित्सकों की कमी को दूर करने के लिए पषु चिकित्सा कॉलेजों की संख्या 36 से बढ़ाकर 46 कर दी। 17 पषु चिकित्सा कॉलेजों में सीटों की कुल संख्या 914 से बढ़कर 1332 किया गया है। इन कॉलेजों में दाखिला लेने वाले छात्रों की संख्या को 60 से बढ़ाकर 100 कर दिया गयी है। नीतीष जी! बताइये आपने बिहार में क्या किया ? आपकी सरकार की करनी से राज्य के पषुपालक बेहाल हैं अपने पषुधन को स्वस्थ रखने के लिए आठ-आठ आंसू बहाने को मजबूर हैं । दरअसल पषुपालकों की हकमारी करने वालों की संगति में आने के बाद नीतीष कुमार भी उनके पद चिन्हों पर चलने लगे हैं।