पटना ,०1 अक्टूबर2016/ , सिपला के द्वारा आज स्त्री रोगों का कारण और निवारण विषय पर राजधानी पटना के गार्गी ग्रैंड होटल में एक जागरूकता कारिक्रम का आयोजन किया गया .जिसमे डॉ शांति रॉय ,डॉ शिप्रा रॉय ,डॉ अलका पाण्डेय बतौर वक्ता शामिल हुई .सिपला की तरफ से मृगराज जी ने कारिक्रम का सफल सञ्चालन किया .बदलती जीवन शैली से पीसीओएस का खतरा बाधा है .डॉ शांति रॉय ने कहा की लीसिस्टिक ओवेरियन सिंड्रोम (पीसीओएस) एक ऐसी बीमारी हैं जिसमें अंडाशय में सिस्टॉ यानी गांठ आ जाती है। इसे मल्टी सिस्टिक ओवे रियन डिजीज भी कहा जाता है। अंडडिंबों और हार्मोंस में गड़बड़ी इस बीमारी के मूल कारण होते हैं। यह बीमारी अनुवांशिक भी हो सकती है।
आजकल अनियमित पीरियड्स की समस्या किशोरियों में बेहद आम हो गई है। यही समस्याह आगे चलकर पीसीओएस का रूप ले सकती है। पीसीओएस एंडोक्राइन से जुड़ी ऐसी स्थिति है जिसमें महिलाओं के शरीर में एंड्रोडेन्स या मेल हार्मोन अधिक होने लगते हैं। ऐसे में शरीर का हार्मोनल संतुलन गड़बड़ हो जाता है जिसका असर अंडों के विकास पर पड़ता है। इससे ओव्यूलेशन व मासिक चक्र रुक सकता है। पहले यह बीमारी तीस साल से ज्यादा उम्र की महिलाओं में बीमारी पाई जाती थी लेकिन अब किशोर लड़कियों में भी यह समस्या। पाई जा रही है।
डॉ शिप्रा राय ने कहा की लीसिस्टिक ओवेरियन सिंड्रोम (पीसीओएस)की
समस्या् से पीड़ित महिलाओं के मासिक धर्म अनियमित हो जाते हैं। उनका वजन तेजी से बढ़ता है, उनके सिर के बाल कम होने लगते हैं और शरीर व चेहरे पर बाल अधिक हो जाते हैं। इसके साथ ही उन्हेंत नियमित रूप से सिरदर्द रहता है। इसके अलावा त्वचा संबंधी रोग जैसे अचानक भूरे रंग के धब्बों का उभरना या बहुत ज्यादा मुंहासे भी हो सकते हैं। पीसीओएस का शुरूआत में पता न चल पाने और इलाज के अभाव में यह गर्भ न ठहरने की समस्या के साथ-साथ महिला को टाइप 2 मधुमेह और अत्यधिक कोलेस्ट्रॉल की शिकायत भी हो जाती है। सिस्ट के लंबे समय तक अंडाशय में रहने पर कैंसर का खतरा बढ़ जाता है। मोटापा इस बीमारी की बहुत बड़ी वजह होता है। अत्यहधिक वसायुक्त आहार, एक्सनरसाइज की कमी और अनियमित जीवनशैली के कारण तेजी से वजन बढ़ने लगता है। अत्यधिक चर्बी से एस्ट्रोजन हार्मोन की मात्रा का बढ़ना ओवरी में सिस्ट बनाने के लिए जिम्मेदार माना जाता है। इसलिए वजन कम करने से इस बीमारी को बहुत हद तक काबू में किया जा सकता है। जो महिलाएं बीमारी होने के बावजूद अपना वजन घटा लेती हैं, उनकी ओवरीज में वापस अंडे बनना शुरू हो जाते हैं।जंक फूड शरीर को नुकसान पहुंचाते हैं इसलिए जंक फूड, अत्यधिक तैलीय, मीठा व वसा युक्त भोजन न खाएं। साथ ही डायबिटीज भी इस बीमारी का बड़ा कारण हैं। इसलिए मीठे खाद्य पदार्थों का सेवन कम करें। इसके बजाय अपने आहार में हरी-पत्तेीदार सब्जिबयां और फलों को शामिल करें। इसके अलावा लेट नाइट पार्टी में ड्रिंक और स्मोसकिंग आज लाइफस्टानइल का हिस्सा् बन गया है, जो बाद में बहुत नुकसान पहुंचा सकता है। इसलिये अपनी दिनचर्या को सही कीजिये और स्वस्थ रहिये।
डॉ अलका पाण्डेय ने इस अवसर पर कहा की हार्मोन संतुलन दवाओं की मदद से इस बीमारी से छुटकारा पाया जा सकता है। ओव्यूलेशन इंडक्शन भी एक तरीका है। जिसमें दवाओं की मदद से हार्मोन बैलेंस किया जा सकता है। इसके अलावा सबसे मॉडर्न ट्रीटमेंट है लेप्रोस्कोपी है इसमें ओवरी से सिस्ट बाहर निकाल दिया जाता है। एबनॉर्मल ओवरी के टिश्यू को हटा दिया जाता है। लेकिन इस का सबसे बड़ा नुकसान यह है कि सर्जरी ठीक से नहीं होने पर दोबारा सिस्ट बनने की आशंका बनी रहती है।आगत अतिथियो का स्वागत सिपला के जनसमपर्क अधिकारी अनूप नारायण सिंह ने किया