कोरोना काल में इस दिन है जीवित्पुत्रिका या जितिया व्रत, जानें पूजा का मुहूर्त, महत्व एवं पारण समय

हिन्दू कैलेंडर के अनुसार, हर वर्ष आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को जीवित्पुत्रिका व्रत होता है। इस वर्ष यह १० सितंबर दिन गुरुवार को है। जीवित्पुत्रिका व्रत को जितिया या जिउतिया या जीमूत वाहन का व्रत आदि नामों से जाना जाता है। इस दिन माताएं विशेषकर पुत्रों ​के दीर्घ, आरोग्य और सुखमय जीवन के लिए यह व्रत रखती हैं। जिस प्रकार पति की कुशलता के लिए निर्जला व्रत तीज रखा जाता है, ठीक वैसे ही जीवित्पुत्रिका व्रत निर्जला रहा जाता है। आइए जानते हैं कि इस वर्ष जीवित्पुत्रिका व्रत की पूजा का मुहूर्त एवं महत्व क्या है।

जीवित्पुत्रिका व्रत एवं पूजा मुहूर्त

आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि का प्रारंभ ०९ सितंबर दिन बुधवार को दोपहर ०१ बजकर ३५ मिनट से हो रहा है, जो १० सितंबर दिन गुरुवार को दोपहर ०३ बजकर ०४ मिनट तक है। व्रत का समय उदया तिथि में मान्य होगा, ऐसे में जीवित्पुत्रिका व्रत १० सिंतबर को होगा।

पारण का समय

जीवित्पुत्रिका व्रत रखने वाली माताएं ११ सितंबर दिन शुक्रवार के सुबह सूर्योदय के बाद से दोपहर १२ बजे तक पारण करेंगी। उनको दोपहर से पूर्व पारण कर लेना चाहिए।

जीवित्पुत्रिका व्रत का महत्व

जीवित्पुत्रिका व्रत की ​कथा महाभारत से जुड़ी है। अश्वत्थामा ने बदले की भावना से उत्तरा के गर्भ में पल रहे पुत्र को मारने के लिए ब्रह्मास्त्र का प्रयोग किया। उत्तरा के पुत्र का जन्म लेना जरुरी था। तब भगवान श्रीकृष्ण ने अपने सभी पुण्यों के फल से उस बच्चे को गर्भ में ही दोबारा जीवन दिया। गर्भ में मृत्यु को प्राप्त कर पुन: जीवन मिलने के कारण उसका नाम जीवित पुत्रिका रखा गया। वह बालक बाद में राजा परीक्षित के नाम से प्रसिद्ध हुआ।

आचार्य स्वामी विवेकानन्द
ज्योतिर्विद ,वास्तुविद व सरस् श्री रामकथा प्रवक्ता श्री धाम श्री अयोध्या
संपर्क सूत्र :-9044741252

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *