NPR मे जातिगत जनगणना का कॉलम जोड़ने मे क्या दिक्कत है ? – लालू यादव

लालू प्रसाद की हनुमान चालीसा... पहले रिम्स के वार्ड, फिर कॉटेज और अब डायरेक्टर बंगले में भर्ती लालू प्रसाद के बंदी जीवन में एक बात कॉमन है। वह है उनकी हनुमान भक्ति। इनके कमरे से हनुमान चालीसा पढने की तेज़ आवाज़ पहले भी आती थी और अब भी। शायद राजद के ये महाबली कुछ ज्यादा ही बेचैन हैं. रिम्स में लालू की सेवा में लगे लोग बताते हैं कि जय हनुमान ज्ञान गुण सागर का स्वर पहले इतना तेज़ नहीं था, सियासत के महाबली लालू एकाकीपन के इन क्षणों में शायद बिहार की भावी राजनीति और इस विधानसभा चुनाव में अपनी पार्टी की भूमिका का भी रेखा चित्र बना रहे हैं.

एक बार फिर लालू यादव ने जातिगत जनगणना करवाने की मांग की हैं , उनकी ओर से एक प्रेस रिलीज जारीं कर कहा गया कि कथित NPR, NRC और 2021 की भारतीय जनगणना पर लाखों करोड़ खर्च होंगे। सुना है NPR में अनेकों अलग-2 कॉलम जोड़ रहे है लेकिन इसमें जातिगत जनगणना का एक कॉलम और जोड़ने में क्या दिक्कत है?
‪क्या 5000 से अधिक जातियों वाले 60% अनगिनत पिछड़े-अतिपिछड़े हिंदू नहीं है जो आप उनकी गणना नहीं चाहते? अगर पिछड़ों-अतिपिछड़ों की जातीय जनगणना नहीं होगी तो उन वर्गों के शैक्षणिक, आर्थिक और सामाजिक उत्थान एवं कल्याण के लिए योजनाएँ कैसे बनेगी? बजट का प्रावधान कैसे होगा?
आप जनगणना में कुत्ता-बिल्ली, हाथी-घोड़ा, सुअर-चीता सब गिनते है। सभी धर्मों के लोगों को गिनते है लेकिन पिछड़े-अतिपिछड़े हिंदुओं को नहीं गिनते? क्यों? क्योंकि पिछड़े-अतिपिछड़े हिंदू संख्याबल में सबसे ज़्यादा है। उन्हें डर है कि अगर पिछड़े हिंदुओं की आबादी के सही आँकड़े आ गए तो लोग उन आँकड़ों के आधार पर जागरुक होकर अपना हक़ माँगने लगेंगे। बहुसंख्यक हिंदुओं को पता लग जाएगा कि आरएसएस का नागपुरिया गैंग उन बहुसंख्यक हिंदुओं के सभी हक़-अधिकारों का हनन कर पिछड़े हिंदुओं का सारा हिस्सा खा रहा है।
साथियों, मुस्लिम तो बहाना है, दलित-पिछड़ा असल निशाना है। हमने तत्कालीन मनमोहन सरकार से 2010 में जातीय जनगणना को स्वीकृति दिलवाई थी लेकिन उसपर हज़ारों करोड़ खर्च करने के बाद वर्तमान सरकार ने वो सारे आँकड़े छुपा लिए और उन्हें कभी सार्वजनिक नहीं किया। हमारी पार्टी सड़क से संसद तक यह लड़ाई लड़ती रहेगी।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *