अपने विशिष्ट को आज भी तलाश रहा है आरा का बसंतपुर

बिहार पत्रिका अनूप नारयण की खास रिपोर्ट
महान गणितज्ञ स्व डा वशिष्ठ नारायण सिंह का पैतृक गांव आरा जिला का बसंतपुर अब शांत हो चुका है विगत 15 दिनों से हाकिमो का आना-जाना लगा हुआ था इस महान गणितज्ञ के निधन के बाद गांव में सरकारी व सियासी मेला चल रहा था एक नेता जाते व दूसरा नेता आते थे मातमपुर्सी के बहाने लोग वशिष्ट के हमदर्द बनने का नाटक कर रहे थे जिस महापुरुष को जीते जी किसी ने कोई तवज्जो नहीं दी जो इलाज के अभाव में दर-दर भटके बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव ने इस लाल को जरूर तवज्जो दी इलाज की व्यवस्था कराई परिजनों को सरकारी नौकरी मुहैया कराया गांव में सड़क दी पर लालू के निस्तेज होते ही इस महापुरुष को फिर उसके हाल पर छोड़ दिया गया नेतरहाट ओल्ड बॉयज एसोसिएशन सहपाठी को मरते दम तक मदद पहुंचाई और सेवा में लगे रहे छोटे भाई अयोध्या प्रसाद सिंह बाकी जो लोग भी उनके इर्द-गिर्द नजर आए वे इनके साथ फोटो खिंचवा कर खुद का चेहरा चमकाना चाहते थे। कल तक इनके गांव में आने वाले गाड़ियों का काफिला थमने लगा है गांव वाले अपने अपने कामों में लग चुके हैं परिजन भी अब वापस अपने अपने गंतव्य को लौटने लगे हैं। श्राद्ध कर्म के लिए लगाया गया टेंट खुलने लगा है जो बर्तन लाए गए थे वह वापस जा रहे हैं गांव में हेलीपैड बना था सुने थे कि मुख्यमंत्री आएंगे पर किसी कारण बस श्राद्ध कर्म में शामिल नहीं हो सके. ग्रामीण बताते हैं कि जिस दिन तिरंगे में लिपटा हुआ वैज्ञानिक चाचा का शव आया था उस दिन पूरे गांव में गाड़ियों का काफिला आया था ऐसी शव यात्रा उन लोगों ने कभी नहीं देखी थी. बसंतपुर से महुली घाट जय जय कार हुआ. जिस दिन उनका श्राद्ध कर्म था बाजार से बसंतपुर तक चप्पे-चप्पे पर पुलिस थी सड़कों को को साफ किया गया था चारों तरफ चुना और ब्लीचिंग पाउडर का छिड़काव किया गया था लग रहा था जैसे आज पूरी सरकार इस गांव में सिमटकर आने वाली है हजारों की तादाद में लोग आए हेलिपैड पर जमी भीड़ बड़े साहब का इंतजार करती रही पता चला कि वह नहीं आएंगे जो लोग आए उन लोगों ने फूल चढ़ाया फोटो खिंचवाई और चलें गए और सूना रह गया वसंत कुंज फिर किसी विशिष्ट के इंतजार में…..

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