बूंद-बूंद पानी को तरसते पटना वासी…..

शहर बदला शहर में आबादी बढ़ी पेयजल स्रोतों पर जनभार बढ़ा पर नहीं बदली तो राजधानी पटना में पेय जलापूर्ति की पुरानी व्यवस्था. पहले राजधानी पटना में जल मीनारों के माध्यम से पानी संग्रहित कर तथा उसे उपचारित कर सप्लाई पाइपों के सहारे घरों तक पहुंचाया जाता था.

बाद के दिनों में सीधे संप हाऊस उसके माध्यम से घरों में पानी की सप्लाई होने लगी. सूत्र बताते हैं कि राजधानी पटना में पानी सप्लाई की पाईप 30 से 35 वर्ष पुरानी है. उचित रखरखाव के अभाव में उन पाइपों के अंदर काई की मोटी परत भी जम चुकी है. सड़क निर्माण नाला निर्माण के कारण कई जगह सप्लाई पाइपों को क्षतिग्रस्त कर भाग्य भविष्य भरोसे छोड़ दिया गया है.

नए मोटर हाऊसों की स्थापना के बाद अत्याधिक प्रेशर वाले पंपों को भी इन्हीं कमजोर पाइप लाइनों से जोड़ दिया गया है. तेजी से कंक्रीट के जंगलों में तब्दील होती राजधानी पटना में पर्यावरण असंतुलन के कारण भूगर्भ जल का लेवल काफी नीचे जा चुका है जिस कारण बड़ी आबादी को नियमित जलापूर्ति की व्यवस्था में जल पार्षद और पटना नगर निगम फेल है.

तपती जलती गर्मी में राजधानी पटना में बदहाल जलापूर्ति व्यवस्था को लेकर जगह-जगह सड़कों पर लोग आंदोलन पर उतर आए है पर चुनावी शोर में इनकी आवाज को सुनने वाला कोई नहीं. पटना नगर निगम के नूतन राजधानी अंचल के गर्दनीबाग जक्कनपुर मीठापुर पुरंदरपुर चितकोहरा अनीसाबाद पंजाबी कॉलोनी सरिस्टाबाद चांदपुर बेला व खासमहल इलाके में तो स्थिति और भी विकराल है.

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