पटना में आज NDA नेताओं के लिए महाभोज, सबकी नज़र सीटों के बंटवारे पर ।

मोदी सरकार के चार साल पूरे होने के उपलक्ष्य में बीजेपी ने एनडीए के अपने सभी सगयोगी दलों को आज शाम पटना आमंत्रित किया है. इस बैठक और रात्रि भोज में बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार. लोकजनशक्ति पार्टी और राष्ट्रीय लोक समता पार्टी के प्रमुख समेत करीब 1000 नेता शामिल होंगे.
पटना-उपचुनावों के नतीजे आने के बाद बिहार में एनडीए के जेडीयू समेत सभी सहयोगी दलों के बीच सीटों के बंटवारे को लेकर कोहराम मचा हुआ है. राजनीतिक घटनाक्रम के बीच मोदी सरकार के चार साल पूरे होने के उपलक्ष्य में बीजेपी ने एनडीए के अपने सभी सगयोगी दलों को आज शाम पटना आमंत्रित किया है. इस बैठक और रात्रि भोज में बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार. लोकजनशक्ति पार्टी और राष्ट्रीय लोक समता पार्टी के प्रमुख समेत करीब 1000 नेता शामिल होंगे. बिहार में बीजेपी जदयू के साथ सरकार बनने के बाद यह पहला मौका है जब एनडीए के नेताओं की बैठक हो रही है. इसका मुख्य मकसद आपसी एकजुटता दिखाना है. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान और केंद्रीय मंत्री उपेंद्र कुशवाहा समेत बीजेपी के भूपेंद्र यादव, डिप्टी सीएम सुशील मोदी, बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष नित्यानंद राय, अरुण कुमार समेत सभी सांसद, विधायक, विधान पार्षद, प्रदेश पदाधिकारी और सभी घटक दलों के जिलाध्यक्ष महाभोज में शामिल होंगे. बता दें कि 2013 में नीतीश कुमार बीजेपी से अलग हो गए थे फिर जुलाई 2017 में बिहार में एनडीए की सरकार बनी. वर्षो बाद हो रही एनडीए की इस बैठक को लेकर राजनीतिक गलियारे में हलचल है. खासकर उपचुनाव में एनडीए के खराब प्रदर्शन को देखते हुए इस आयोजन का महत्व बढ़ गया है. बैठक से पहले जेडीयू ने नीतीश कुमार को एनडीए के चेहरा घोषित कर दिया. हालांकि इसको लेकर बीजेपी और अन्य सहयोगी दलों ने भी माना कि बिहार का चेहरा नीतीश कुमार है और देश का चेहरा नरेंद्र मोदी हैं. जेडीयू के राष्ट्रीय महासचिव केसी त्यागी ने कहा कि बीजेपी को नीतीश की राष्ट्रीय छवि का लाभ बीजेपी को उठाना चाहिए. उनका मानना है इससे एनडीए को देशभर में फायदा होगा. नीतीश कुमार को डर सता रहा है कि उन्हें बीजेपी सीनियर पार्टनर के रूप में स्वीकार करेगी या नहीं. 2009 में बीजेपी और जेडीयू ने मिलकर लोकसभा चुनाव लड़ा था. उस समय में जेडीयू 25 सीटों पर और बीजेपी ने 15 पर चुनाव लड़ा था. 2014 में बीजेपी औैर जेडीयू की रहा जुदा हो गई और मोदी लहर में एनडीए के खाते में 40 में से 31 सीटें आईं थी. अब फिर दोनों दल एक हैं. ऐसे में जेडीयू ने 2019 के लिए 25 सीटें मांगी हैं. वहीं पासवान ने 7 सीटों की डिमांड रखी है. जबकि 2014 के चुनाव में बीजेपी 22 और एलजेपी 6 और कुशवाहा की पार्टी को 3 सीटों पर जीत मिली थी. यही वजह है कि अब एनडीए में सीटों को लेकर घमासान मचा हुआ है.

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