राम जन्मभूमि के मुख्य पुजारी बोले, ‘मंदिर बनाना शुरू नहीं किया तो 2019 में हारेगी BJP’

अयोध्या: अयोध्या में श्री राम जन्मभूमि के मुख्य पुजारी ने बीजेपी को लेकर बड़ा बयान दिया है. आचार्य सत्येंद्र दास जी महाराज ने कहा है कि अगर बीजेपी ने मंदिर बनाना शुरू नहीं किया तो साल 2019 के लोकसभा चुनाव में पार्टी को हार का सामना करना पड़ेगा. सत्येंद्र दास जी महाराज ने यह भी कहा है कि हाल ही में बीजेपी के चुनाव हारने के पीछे श्रीराम का प्रकोप है.
निर्माण शुरू करा दे बीजेपी, नहीं तो होगी हार- पुजारी
आचार्य सत्येंद्र दास ने कहा है, ‘’बीजेपी ने श्रीराम के साथ एक प्रकार से धोखाधड़ी की है और राम के नाम पर सत्ता में आई है और अब उन्हें भूल गई, अगर बीजेपी 2019 का लोकसभा चुनाव जीतना चाहती है तो पहले श्रीराम जन्मभूमि मंदिर का निर्माण करना शुरू कर दें, नहीं तो उसको बहुत भारी पड़ेगा.’’

Ram ke saath ek prakar se Party(BJP) ne dhokadadi kiya,Ram ke naam se Party satta mein aayi aur phir Ram ko bhool gayi. If the Party wants to win in 2019,it should start construction of Ram temple else it’ll be difficult for them:Acharya S Das,Chief priest, Ram Janmabhoomi temple pic.twitter.com/FmMAS9Q3aC

— ANI UP (@ANINewsUP) June 5, 2018
पिछली हार से सबक ले बीजेपी- पुजारी
आचार्य सत्येंद्र दास जी ने आगे कहा, ‘’मैं पहले भी कह चुका हूं और आज भी कहता हूं, यहां जितने भी चुनाव हुए हैं, उसमें बीजेपी हारी है. इसलिए बीजेपी इससे सबक ले.’’ उन्होंने आगे कहा, ‘’अगर श्री रामलला जी का मंदिर नहीं बना और रामलला की कृपा पार्टी पर नहीं हुई तो वो दिन दूर नहीं जब बीजेपी को हार का सामना करना पड़ेगा.’’
इतना ही नहीं पुजारी सत्येंद्र दास जी ने कहा है, ‘’राम की स्वयं की कृपा होती है. राम का आशीर्वाद होता है और राम की कृपा से बिगड़े हुए काम सही होते हैं. भगवान की कृपा होगी तो दुश्मन भी बीजेपी का साथ देंगे. अगर बीजेपी मंदिर बनवा देती है तो लोकसभा में उसको सफलता मिलेंगी नहीं तो वह हार के लिए तैयार रहे.’’
सुप्रीम कोर्ट में है राम जन्मभूमि विवाद का मामला
बता दें कि राम जन्मभूमि विवाद का मामला सुप्रीम कोर्ट में है. 30 सितंबर 2010 को इस मामले में इलाहाबाद हाई कोर्ट का फैसला आया था. हाई कोर्ट ने विवादित जगह पर मस्ज़िद से पहले हिन्दू मंदिर होने की बात मानी थी. लेकिन ज़मीन को रामलला विराजमान, निर्मोही अखाड़ा और सुन्नी वक्फ बोर्ड के बीच बांटने का आदेश दे दिया था. इसके खिलाफ सभी पक्ष सुप्रीम कोर्ट पहुंचे. तब से ये मामला सुप्रीम कोर्ट में लंबित है.

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