कई वर्षों तक गुमनाम रही मासूम सी गुंजा, अब दिखती हैं ऐसी

1982 में एक फिल्म आयी थी – ‘नदिया के पार’. सचिन पिलगांवकर और साधना सिंह की मुख्य भूमिकाओं से सजी इस फिल्म की विषयवस्तु पूर्वी उत्तर प्रदेश और बिहार पर केंद्रित थी और ग्रामीण पृष्ठभूमि पर बनी इस फिल्म का फिल्मांकन कुछ ऐसा था कि इसने सबका दिल जीत लिया. इस फिल्म में साधना सिंह ने गांव की चुलबुली लड़की गुंजा का किरदार निभाया था, तो सचिन भोले-भाले चंदन की भूमिका में नजर आये थे. भोजपुरी मिश्रित हिंदी में इसके संवाद और गाने काफी हिट हुए थे. उत्तर प्रदेश के जौनपुर में इस फिल्म की शूटिंग की गयी थी. तब सचिन और साधना बिलकुल फ्रेश चेहरे थे. हालांकि सचिन ने इससे पहले ‘शोले’ सहित एकाध फिल्मों में काम किया था लेकिन साधना तो फिल्मों के लिए बिल्कुल नयी थीं.मासूम सी गुंजा का लुक अब बिल्कुल बदल चुका है. उन्होंने हाल ही में अपने फेसबुक पेज पर अपनी ताजी तस्वीर पोस्ट की है. इस तस्वीर को देखकर आप हैरत में पड़ जायेंगे और सोचेंगे कि समय वाकई बड़ा बलवान होता है. आखिर उनकी इस फिल्म को रिलीज हुए 35 साल से ज्यादा का समय बीत चुका है. इस तस्वीर में साधना अब बिल्कुल अलग दिख रही हैं. उम्र का असर उन पर स्पष्ट नजर आ रहा है. फिल्म ‘नदिया के पार’ की हीरोइन साधना सिंह ने यह सोचा भी नहीं था कि वह कभी हीरोइन बनेंगी, लेकिन बहन के साथ एक फिल्म की शूटिंग देखने के लिए गयी साधना सिंह पर सूरज बड़जात्या की नजर पड़ी और वह इस फिल्म की हीरोइन चुन ली गयीं. साधना सिंह खुद भी कानपुर के एक छोटे से गांव नोनहा नरसिंह की रहनेवाली हैं. उनकी मासूमियत के लोग इस हद तक दीवाने हुए कि आज भी वह लोगों के जेहन में मौजूद है.यह फिल्म न केवल उत्तर प्रदेश और बिहार में, बल्कि पूरे देश में ब्लॉकबस्टर साबित हुई. साधना जहां भी जातीं, लोग उन्हें गुंजा कहकर पुकारते. शहरों के साथ-साथ गांवों में भी लोग उनसे मिलने के लिए भीड़ लगा देते थे. उनके लिए दीवानगी इस कदर थी कि लोगों ने अपनी बेटियों का नाम ही गुंजा रखना शुरू कर दिया था. यह फिल्म 1 जनवरी 1982 को रिलीज हुई थी. कहते हैं कि जब इस फिल्म की शूटिंग खत्म हुई थी, तो उस गांव के लोग रोने लगे थे. गांव में शूटिंग के दौरान गुंजा और गांववालों के बीच एक आत्मीय रिश्ता बन गया था.‘नदिया के पार’ के बाद साधना सिंह ‘पिया मिलन’, ‘दोस्त गरीबों का’, ‘ससुराल’, ‘तुलसी’, ‘औरत’, ‘पत्थर’, ‘फलक’, ‘पापी संसार’ जैसी फिल्मों में काम किया. लेकिन इसके बाद साधना अचानक ही बॉलीवुड की दुनिया से गायब हो गयीं. इस बारे में साधना कहती हैं कि उन्हें अच्छी फिल्में नहीं मिली और फिर उन्होंने हिंदी सिनेमा को अलविदा कह दिया. आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि साधना एक बेहतरीन अदाकारा होने के साथ-साथ एक बेहतरीन गायिका भी हैं. बताते चलें कि साधना सिंह बिहार की बहू हैं. वह भोजपुरी फिल्मों के पितामह विश्वनाथ शाहाबादी की बहू और फिल्म निर्माता राजकुमार शाहाबादी की पत्नी हैं. साधना सिंह की बेटी शीना शाहाबादी हिंदी फिल्मों की उभरती अदाकारा हैं. वह ‘तेरे संग’, ‘फास्ट फॉरवर्ड’ और ‘आई, मी एंड हम’ जैसी फिल्मों में काम कर चुकी हैं. बहरहाल, फिल्मों के अलावा साधना ने टीवी पर भी काम किया और अब वह घर-परिवार के साथ अपना समय बिता रही हैं.

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