आज भारत की टोल प्रणाली के समक्ष आने वाली प्रमुख चुनौतियाँ भीड़भाड़ और विलम्ब हैं। फास्टैग सिस्टम शुरू होने के बावजूद, टोल प्लाजा पर लगने वाली लंबी कतारें और देरी एक बड़ी समस्या बनी हुई हैं। तकनीकी गड़बड़ियाँ और कुछ क्षेत्रों में डिजिटल भुगतान विधियों का कम इस्तेमाल इस समस्या को और बढ़ा देता है। उदाहरण के लिए, टोल प्लाजा में निरंतर लगने वाला ट्रैफिक जाम। उच्च परिचालन लागत में टोल प्लाजा के संचालन और रखरखाव की लागत, जिसमें कर्मचारियों का वेतन, बुनियादी ढाँचे का रखरखाव और प्रौद्योगिकी का उपयोग…
Read MoreDay: September 19, 2024
पूर्वी क्षेत्र-I मुख्यालय में हुआ स्वच्छता ही सेवा पखवाड़े का शुभारंभ
पटना। केंद्र सरकार के दिशा निर्देशों के आलोक में एनटीपीसी पूर्वी क्षेत्र-I मुख्यालय के नालंदा सभागार में 17 सितम्बर से 2 अक्टूबर 2024 तक चलने वाले स्वच्छता ही सेवा पखवाड़े का शुभारंभ किया गया। इस कार्यक्रम का औपचारिक शुभारंभ क्षेत्रीय कार्यकारी निदेशक (पूर्व-I), सुदीप नाग द्वारा सभी कर्मचारियों-अधिकारीयों को शपथ दिला कर किया गया। शपथ के पश्चात, श्री नाग ने अपने संबोधन में उपस्थित सभी कर्मचारियों को अपने दैनिक कार्यकलापों में स्वच्छता को निरंतर अपनाने के साथ-साथ अपने आस-पास के परिवेश को साफ-सुथरा बनाये रखने के लिये हमेशा प्रयत्नशील रहने…
Read Moreएनटीपीसी पूर्वी क्षेत्र-1 ने शुरू किया ‘एक पेड़ मां के नाम’ अभियान के तहत वृक्षारोपण अभियान
पटना। एनटीपीसी के पूर्वी क्षेत्र-1 मुख्यालय ने दिनांक 17 सितंबर 2024 को ‘एक पेड़ मां के नाम’ अभियान के तहत वृक्षारोपण अभियान शुरू किया। यह कार्यक्रम शास्त्रीनगर स्थित पूर्वी क्षेत्र-1 के नवनिर्मित प्रशासनिक सह आवासीय परिसर में आयोजित किया गया, जिसमें एनटीपीसी पूर्वी क्षेत्र-1 के कार्यकारी निदेशक, सुदीप नाग के साथ-साथ विभागाध्यक्ष और सभी कर्मचारीगण के द्वारा विभिन्न प्रकार के पौधे लगाए गए। इस अभियान का उद्देश्य पर्यावरणीय स्थिरता को बढ़ावा देना और मातृत्व की भावना के प्रति आभार व्यक्त करना था। केंद्र सरकार द्वारा ‘एक पेड़ मां के नाम’…
Read Moreचुनावों में डिजिटल अभियान, झूठे-सच्चे वादों का ऐलान
आधुनिक डिजिटल प्लेटफॉर्म अक्सर बड़े बजट वाले दलों के विज्ञापनों को अधिक दृश्यता देकर उनका पक्ष लेते हैं, अभियान को अमीर राजनीतिक संस्थाओं के पक्ष में झुकाते हैं, जिससे चुनावी निष्पक्षता कम हो जाती है। सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म विभाजनकारी कंटेंट को बढ़ा सकते हैं, जिससे राजनीतिक विचारों का ध्रुवीकरण हो सकता है एवं अधिक खंडित तथा शत्रुतापूर्ण चुनावी माहौल को बढ़ावा मिल सकता है, जिससे रचनात्मक बहस कम हो सकती है। चुनावी समानता बनाए रखने के लिए, राजनीतिक दलों द्वारा डिजिटल विज्ञापनों पर खर्च की जाने वाली राशि पर सीमाएँ…
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