पटना / नई दिल्ली । आगामी 19 दिसंबर को नई दिल्ली के तालकटोरा स्टेडियम में होने वाले विश्व कायस्थ महासम्मेलन ‘ उम्मीदों का कारवां’ के जरिए देश में कायस्थ राजनीति की दशा और दिशा तय होगी ।साथ ही विभिन्न राजनीतिक दलों द्वारा राजनीति में कायस्थों की लगातार की जा रही उपेक्षा के विरोध में व्यापक स्तर पर आवाज बुलंद की जाएगी ।
पूरे भारत ही नहीं बल्कि दुनिया के 20 से 25 अन्य महत्वपूर्ण देशों में रह रहे कायस्थों के सामाजिक,राजनीतिक , शैक्षणिक, सांस्कृतिक प्रगति के लिए कार्य कर रहे ग्लोबल कायस्थ कॉन्फ्रेंस (जीकेसी) के तत्वावधान में आयोजित किए जाने वाले विश्व कायस्थ महासम्मेलन के लिए व्यापक स्तर पर तैयारियां अभी से ही शुरू कर दी गई है ।
कांफ्रेंस के राष्ट्रीय प्रवक्ता कमल किशोर ने बताया कि जीकेसी के ग्लोबल अध्यक्ष राजीव रंजन प्रसाद के नेतृत्व में आयोजित किए जा रहे इस महासम्मेलन में कायस्थ जाति से जुड़े सभी संगठनों के प्रतिनिधियों को भी आमंत्रित किया जा रहा है जिससे वे एक मंच पर आकर राजनीति में अपने समाज की लगातार की जा रही उपेक्षा के खिलाफ आवाज को जोरदार ढंग से बुलंद कर सकें ।
उन्होंने बताया कि इस सिलसिले में राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री प्रसाद देश के विभिन्न राज्यों का लगातार दौरा कर रहे हैं और समाज के लोगों को एकजुट करने का सफल अभियान चला रहे हैं ।इसी क्रम में श्री प्रसाद कायस्थ समाज के सभी राष्ट्रीय – प्रांतीय नेताओं – जनप्रतिनिधियों से व्यक्तिगत तौर पर मिलकर उनसे एक मंच परआने का आग्रह कर रहे हैं ।
श्री किशोर ने बताया कि ग्लोबल कायस्थ कॉन्फ्रेंस ग्लोबल अध्यक्ष राजीव रंजन प्रसाद के कुशल नेतृत्व में अपनी सक्रिय , सकारात्मक तथा रचनात्मक गतिविधियों व कार्यक्रमों के जरिए विश्व का अब तक का सबसे बड़ा कायस्थ संगठन बन चुका है और समाज के विभिन्न क्षेत्रों शिक्षा , समाजसेवा , राजनीति , कला -संस्कृति , मीडिया , चिकित्सा , सरकारी सेवा, खेल, रंगकर्म, अभियंत्रण ,व्यवसाय , उद्योग में कार्य कर रहे लाखों लोग इससे जुड़ चुके हैं । उन्हाेंने बताया कि विश्व कायस्थ महासम्मेलन का मूल उद्देश्य सभी कायस्थ संगठनों ,विद्वानों , प्रमुख हस्तियों और समाज के सभी लोगों को एकजुट कर एक मंच पर लाना है ताकि राजनीति समेत सरकारी एवं निजी नौकरियों में कायस्थ जाति की हो रही उपेक्षा के विरोध में एकजुट होकर हम बड़े आंदोलन तथा अभियान की रूपरेखा तय कर सकें ।
जीकेसी के ग्लोबल अध्यक्ष राजीव रंजन प्रसाद ने कहा कि अब समय चुप बैठने का नहीं है ।अगर कायस्थ समाज अपनी उपेक्षा तथा हकमारी के खिलाफ आवाज को जोरदार ढंग से नहीं उठाएगा तो इस समाज के अस्तित्व पर ही संकट पैदा हो जाएगा । उन्होंने कहा कि इस बार लड़ाई निर्णायक और महत्वपूर्ण है । इसलिए आज आवश्यकता सभी को किसी भी प्रकार के ‘किंतु – परन्तु’ को छोड़कर एकजुट होने की है ।
सवाल कायस्थ समाज की प्रतिष्ठा को बचाने और अपने वाजिब हक को लेने का है।उन्होंने बताया कि देश के विभिन्न राज्यों और गैर हिंदी भाषी राज्यों उड़ीसा, केरल, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, महाराष्ट्र , हरियाणा , पश्चिम बंगाल , असम समेत नौर्थ इस्ट आदि में रह रहे मराठी बंगाली पंजाबी तमिल उड़िया , असमिया आदि कायस्थों की लाखों की तायदाद है । हम उन्हें विश्व कायस्थ महासम्मेलन के जरिए एक मंच पर ला रहे हैं । उन्होंने दावा किया कि विभिन्न राज्यों के दौरे में मिल रहे व्यापक समर्थन से यह साबित हो गया है कि 19 दिसंबर का महासम्मेलन ऐतिहासिक ही नहीं बल्कि निर्णायक भी होगा ।