13 साल की गुँगी रिंकू आखिर कहाँ है?

 

 

camara 466(पंकज कुमार श्रीवास्तव) 80 साल की हीरमतिया देवी 3 माह से पागलों के समान अपनी गुँगी पोती का पता पुछते राजधानी पटना की सडको पर आज भी देखी जा सकती है। शासन-प्रशासन से उसका विशवास पूरी तरह उठ गया है। 3 माह से ऊपर हो गये दानापुर थाना को इसकी सूचना दिये हुए। आज तक कोई परिणाम नहीं आया। 13 बर्ष की एक गुँगी लडकी बिहार की राजधानी पटना से गायब हो जाती है,प्रशासन के कान पर जूँ तक नहीं रेगती ?वही दिल्ली के एक बहुराष्ट्रिये कम्पनी में काम करने वाली लडकी से दुष्कर्म होता है तो इसकी धमक संसद से लेकर देश के सडको तक सुनाई पडती है। ऐसा दोहरा मापदंड क्यूँ? जबाब की पडताल करे तो उसके चाचा सुरेन्दर राय कहते है हम गरीब और अनपढ है। शायद यही हमारा कसूर है। वही दादी हीरमतिया देवी रोते-रोते बताती है रिंकु गुँगी होकर भी किस कदर उसका ख्याल रखती थी। यूँ तो उसके 5 बेटे हैं सभी बेटों का अपना भरा-पूरा परिवार है। किस्मत ने दगा दिया तो चौथे बेटे विरेन्दर को जो रिंकु का बाप है। विरेन्दर को पहली संतान गुँगी रिंकु हुई दूसरा बेटा उमेश हुआ जो महज 4 साल के उम्र में अपने ही बाप के आँटो के नीचे आकर दम तोड दिया। तीसरी बेटी हुई, तो चौथे बेटा लेकिन प्रसव के वक्त माँ और बेटा दोनों दुनियाँ से चल बसे। विधाता ने पशु का चारा काटते वक्त विरेन्दर से उसका बाया हाथ छीन लिया। माँ के प्यार से महरूम रिंकु अपनी दादी से ही लगी रहती। उसकी छोटी सी दुनियाँ दादी और छोटी बहन की देखभाल तक सीमित थी। मिथला काँलनी की सडको को कौन कहे वो अपनी गली में निकलने से भी डरती थी।

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