राजधानी पटना के गांधी मैदान से रावण दहन का कार्यक्रम देख कर लौट रहे लोगों के बीच एक्जीविशन रोड में हुए भगदड़ से सैकड़ों लोगों के घायल हो गये और कई लोगों की मौत के शिकार हो गये। सरकारी आंकड़ों की माने तो मरने वालों की संख्या 40 से कम है परन्तु प्रत्यक्षदर्शियों की माने तो यह संख्या अत्यधिक है।
पिछले 19 नवम्बर 2012 को लोकआस्था के महापर्व छठ में गंगा घाट से लौटने के क्रम में ऐसे हीं हुए भगदड़ में कई लोंगो की मौत हो गयी थी। वह भगदड़ भी अफवाह और संकरे रास्ते के कारणा हुई थी। उस घटना में हुई कई लोगों की मौतों ने गंगा किनारे छठ व्रत करने की मंसुबे को हमेशा के लिए समाप्त कर दिया। लोग घाटों से ज्यादा अपने घरों पर हीं छठ पर्व करने का मन बनाना शुरू कर दिये। हादसे में कई परिवार के सदस्यों के मौत के बाद उस परिवार ने छठ पर्व को हमेशा के लिए त्याग दिया होगा। वहीं शुक्रवार को हुए हादसे ने अब दशहरा के पर्व को भी हमेशा के लिए वैसे लोगों के लिए मरहुम कर दिया जिनके परिजन इस हादसे के शिकार हो गये।
पहले तो हादसे हुए, फिर मुआवजे की घोषणा की गयी और अन्त में बारी आयी सियासत की। सभी राजनितिक दलों के नेताओं का पीएमसीएच पहुंचना शुरू हो गया। पर क्या इसके आगे कुछ नहीं कर सकते हमलोग ? इसमे दो राय नहीं कि भगदड़ के दोषी उसी पांच लाख लोगों में शामिल कुछ ऐसे तत्व होते हैं जो अफवाह और छेड़खानी-छींटाकसी कर माहौल को खराब करते हैं। बाजार में बिक रहे एक अजीब टाईप के भोंपू से कुछ उचक्के और शरारती तत्व पुरे पुजा के दौरान मुहल्लों और सड़कों पर हल्ला हंगामा करते नजर आये। ऐसे असमाजिक तत्वों के खिलाफ प्रशासन को पुजा आरम्भ होने के समय से हीं कड़ाई से पेश आना चाहिए परन्तु कुछ कड़क पुलिस अधिकारियों के क्षेत्रों की बात छोड़ दे ंतो उचक्कों ने लगभग हर पुजा पंडाल और सड़को पर माहौल बिगाड़ने में कोई कसर नहीं छोड़़ी।
अब वक्त आ गया है नौजवानों में खुद के बदलाव लाने का। जिन नौजवानों के कंधे पर देश का भविष्य है वे अपने नौजवानी संस्कारों को खराब करने में गुजार रहे हैं। मरने वाले लोगों के परिजनों के लिए यह सिर्फ एक हादसा नहीं बल्कि जिंदगी भर के लिए यह दिन नासूर बन गया और प्रत्येक दशहरा में जब शहर जगमगायेगा तब उनके घरों में यह दिन याद कर लोग मातम मनायेंगे।
जांच के लिए टीम गठित हो गयी है और हादसे के कारणों की जांच की जाएगी। तकनीक बहुत विकसित कर गयी है। पटना की सड़कों पर भी कई जगह क्लोज सर्किट कैमरे लगाये गये हैं लोगों के पास स्मार्ट फोन है जिससे लोग हर पल अपनी तस्वीरों के साथ लाईव अपडेट करते हैं। इसलिए जांच टीम को हर पहलु की जांच कर रिपोर्ट बनाना चाहिए। सुरक्षा व्यवस्था की खामी, लाखों लोगों के आवागमन की पूर्व सुचना के बाद भी सड़कों पर अन्धकार, पीएमसीएच मिडिया की प्रवेश पर रोक, गांधी मैदान के तीन द्वार सौ वीआईपी के लिए और एक द्वार लाखों लोगों के लिए, ? ऐसे कई सवाल है जिसपर जांच अति आवश्यक है, और जो लोग भी दोषी हों उन पर हत्या का मुकदमा चलना चाहिए क्योंकि जबतक इन हादसों के पीछे की सच्चाई कड़ाई से सामने नहीं लायी जाएगी तबतक दोषियों को सबक नहीं मिल पायेगा। जहां तक यह उपदेश देना कि लोग संवेदनशील मामलों पर राजनितिक न करें जायज तो है परन्तु सौ टके का सवाल यह भी है जब कमान सराकर और प्रशासन के हाथ में है तो सवाल तो लोग सवाल तो पुछेंगे।
रंजीता, पटना