स्पॉट बॉय से डायरेक्टर बने सुदीप डी. मुखर्जी

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अनूप नारायण सिंह की रिपोर्ट

पश्चिम बंगाल के बीरभूम जिले के कुंडला गांव के जमींदार परिवार से जुड़े होने के बावजूद भी… खुद का वजूद बनाने के लिए अपने पिताजी श्री दीपक मुखर्जी से लड़कर 19 साल की उम्र में घर छोड़ कर पटना चले गए और वहां पर गोनी धोने का मजदूर का काम करते रहे… उसके बाद वहां से बनारस गए और वहां टोरंटो फार्मास्यूटिकल में मेडिकल रिप्रेजेंटेटिव का काम करते हुए बंगाली टोला में कई साल बिताएं.. उसके बाद बॉलीवुड में कुछ करना है यह सोच ले कर 1988 में सिर्फ 17सो रुपए लेकर मुंबई आ गए.. फिल्म लाइन में काम करना है पर क्या करना है यह पता नहीं था… यहां टिके रहने के लिए कूरियर बॉय का काम किया और ऑटो चलाई.. न खाने का ठिकाना रहने का ठिकाना.. ज्यादातर वक्त फुटपाथ पर बिताना…लोकल ट्रेनों में सोना या कभी किसी अंडर कंस्ट्रक्शन बिल्डिंग के पानी के टंकी के नीचे सोकर बरसात के दिनों को गुजारना… यह करते करते Philips टॉप-10 प्रोग्राम में सपोटबोय बन कर काम करना… उसके बाद Zee Tv कोलगेट जेल Yadle Hoo प्रोग्राम में स्पॉट बॉय का काम करते-करते उस कॉन्टेस्ट में हिस्सा लेना और विनर बन जाना.. कुछ दिनों तक जूनियर आरटीसट का काम भी करना… भारती पिक्चर्स और बी.ऐम.बी. प्रोडक्शन में असिस्टेंट प्रोडक्शन मैनेजर बनना… कभी आरट डिपार्टमेंट में सेटिंग का काम करना तो कभी हिंदी सीरियल के लिए बंगाली डबिंग स्क्रिप्ट और गाने लिखना… इस तरह के छोटे-मोटे काम करते हुए संजय खान प्रोडक्शन के जय हनुमान सीरियल में असिस्टेंट डायरेक्टर काम करते हुए 4 – 5 साल गुजरात के उमरगांव में बिताना… उसके बाद दोबारा मुंबई वापस आकर मनीष गोस्वामी के सिद्धांत सिने विसन में मशहूर निर्देशक लेख टंडन जी के असिस्टेंट बन कर काम करना… उसके बाद 1998 में खुद इंडिपेंडेंट डायरेक्टर बंद कर काम शुरू करना… इसी दौरान मशहूर फिल्म प्रोड्यूसर और डायरेक्टर श्री प्रकाश मेहरा जी से जुड़ना और उनके साथ एक नई हिंदी फिल्म के लिए कुछ महीने काम करना जबकि वह फिल्म आगे नहीं बढ़ पाई.. उसके बाद सन 2000 में अभिनेत्री रजनिका गांगुली से उनकी शादी हुई.. उसी दौरान उन्होंने सहारा चैनल के लिए हिंदी सीरियल मुजरिम कौन और कगार लिखना शुरू किया तथा सब टीवी के लिए दीपक तिजोरी की सीरियल डायल हंड्रेड के एपिसोड्स भी लिखे… इसी दौरान उनको कुछ हिंदी फिल्म भी डायरेक्टर के तौर पर ऑफर हुआ… उन्होंने बेहतरीन तरीके से काम को शुरु भी किया लेकिन उन परोडूसर के गैरजिम्मेदाराना हरकत की वजह से वह फिल्में शूट होकर भी बीच में ही बंद हो गई .. उसी दौरान सुदीप जी ने साउथ से हिंदी डबिंग फिल्मों को एक नया अंजाम दिया टेक्निकल डायरेक्टर के तौर पर… साथ ही में वह कई फिल्मों का पोस्ट प्रोडक्शन का काम भी संभालते थे… सन 2013 में हिंदी फिल्म निडर द फियरलेस से उन्होंने दोबारा निर्देशन का काम शुरू किया.. फिल्म मेकिंग के हर पहलू से वाकिफ सुदीप फिल्म बिजनेस के साथ-साथ निर्देशन,स्टोरी, स्क्रीनप्ले, डायलॉग,म्यूजिक डायरेक्शन, लिरिक राइटिंग, कोरियोग्राफी सब कुछ खुद ही करते हैं.. इस वक्त वह परोडूसर रजनिका गांगुली के हिंदी फिल्म चट्टान और चट्टान2 रीवाइव के काम में व्यस्त हैं.. साथ ही हिंदी फिल्म अंतराल. अग्निशिखा. धर्म रक्षक और दोस्ती हेकड का काम भी साथ-साथ करते जा रहे हैं .. उनकी इन सब उपलब्धियों पर बहुत सारे लोग हैरान जरूर है .. बहुत कम लोग उनके सालो की मेहनत और मशक्कत को जानते और जो जानते हैं वह उनके हौसले को और बढ़ाते हैं..

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