स्पेशल स्टोरी: नेताजी के बिगड़े बोल।

(अनुभव की बात,अनुभव के साथ )

अपने बड़े पुत्र के फैसले से लालू परिवार सदमे में है। निश्चित रूप से परिवार का हर सदस्य तनाव में है। जहां एक और सजायाफ्ता लालू प्रसाद यादव परिवार से अलग मानसिक परेशानी से गुजर रहे हैं, वहीं राबड़ी देवी सहित तेजस्वी,मीसा और परिवार के अन्य सदस्य भी इस पारिवारिक उलझन से घिर गए हैं। ऐसा नहीं है यह कोई नई घटना है जिस पर आश्चर्य व्यक्त किया जाए। आज के समय में यह एक आम घटना है जो गांव, शहर,हर जगह नजर आ रहा है। कारण चाहे जो भी हो, दोषी चाहे जो कोई भी हो, अंजाम चाहे जो भी हो, यह निश्चित रूप से एक परिवार का निहायत ही निजी मामला है। परंतु राजनीति करने वाले इस दुर्घटना पर भी राजनीति करने से नहीं चूक रहे हैं। निश्चित रूप से यह भारतीय राजनीति का दुखद और शर्मनाक पहलू है।

इस पूरे घटनाक्रम पर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री और भाजपा के वरिष्ठ नेता सुशील कुमार मोदी ने ट्वीट कर लालू परिवार पर तंज कसा है।उन्होंने लालू परिवार का मजाक उड़ाते हुए कहा है कि बड़े पुत्र जन्म से ही न्याय की लड़ाई लड़ने की बात कर रहे हैं।वहीं पूर्व उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव के बारे में उन्होंने कहा है कि जो लोग अपने परिवार में न्याय नहीं कर सके वह सामाजिक न्याय का मसीहा बन रहे हैं। वहीं प्रदेश के श्रम संसाधन विकास मंत्री विजय कुमार सिन्हा ने इस पूरे मामले को घिनौना कदम बताया है। उन्होंने कहा है कि चारित्रिक निर्माण में पतन के कारण तेज प्रताप यह घिनौना कदम उठा रहे हैं।

यह मामला घोटाला, बेनामी संपत्ति और भ्रष्टाचार से जुड़ा हुआ नहीं है। ऐसे में किसी को भी यह हक नहीं है कि वह किसी परिवार का इस प्रकार मजाक उड़ाए। प्रदेश के श्रम संसाधन मंत्री के तो खैर नए-नए कंठ फूटे हैं और चर्चा में रहने के लिए इस प्रकार की उटपटांग बयान बाजी कर रहे हैं। परंतु उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी एक गंभीर और तोलमोल कर बोलने वाले व्यक्ति माने जाते रहे हैं। इस प्रकार की बयान बाजी उन्हें बिल्कुल भी शोभा नहीं देती है। प्रदेश की राजनीति में उनकी एक गरिमा है और उन्हें निश्चित रूप से इस प्रकार की बयानबाजी से बचना चाहिए। इस प्रकार का बयान उनके नैतिक पतन को दर्शाता है, साथ ही साथ उनकी कमजोर होती राजनीतिक पकड़ को भी दर्शाता है।

वहीं दूसरी ओर इन दोनों से उम्र में काफी छोटे और राजनीति का ककहरा सीख रहे तेजस्वी यादव ने कहा है कि आप लोग लालू परिवार की चिंता छोड़ दीजिए। तेजस्वी ने काफी संतुलित भाषा का इस्तेमाल करते हुए शानदार जवाब दिया कि ” यदि घर परिवार पर टीका टिप्पणी की गई तो सीएम और पीएम भी नहीं बचेंगे। ” निश्चित रूप से तेजस्वी ने बहुत ही शालीनता से बहुत बड़ी बात कह दी है। यदि लोग सीएम और पीएम के पारिवारिक मामलों पर टिप्पणी करने लगें तो फिर शायद सुशील कुमार मोदी जी को जवाब देना मुश्किल हो जाएगा।आखिर कौन हैं जो सामाजिक न्याय की बात तो करते हैं परन्तु अपने घर में ही न्याय नहीं कर सके।

बुजुर्ग हो रहे राजनेताओं को अपनी प्रतिष्ठा का ख्याल रखते हुए भाषा का संतुलित इस्तेमाल करना चाहिए। वरना वो दिन दूर नहीं जब युवा नेता उनका मजाक उड़ाने से नहीं चूकेंगे।

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