(अनुभव की बात, अनुभव के साथ)
मुजफ्फरपुर बीएमपी से फुलवारी शरीफ स्थित बीएमपी 5 में प्रशिक्षण के लिए आए महिला आरक्षियों ने तब जमकर हंगामा किया जब उनके एक सहकर्मी ने वहां पदस्थापित एक सूबेदार पर उसे कमरे में बुलाकर छेड़छाड़ का आरोप लगाया। उच्च अधिकारियों के समझाने और आरोपी को सख्त सजा देने के आश्वासन के बाद सब शांत हुए।
घटना के दो दिन बाद शुक्रवार को लोदीपुर पुलिस लाइन में बीमारी की वजह से एक महिला रंगरूट की मौत के बाद उसके साथियों ने भी जमकर हंगामा किया। पूरे पुलिस लाइन में तोड़फोड़ किया, गाड़ियों को नुकसान पहुंचाया गया और अधिकारियों को टारगेट किया गया। आसपास के लोगों पर भी हमले किए गए। प्रदेश में पहली बार इस प्रकार का सिपाही विद्रोह देखा गया।पुलिसकर्मियों का आरोप था कि बीमार महिला कर्मी को छुट्टी मांगने के बावजूद छुट्टी नहीं दी गई। कार्रवाई के तौर पर 175 पुलिसकर्मियों को बर्खास्त करने का आदेश जारी हुआ, जबकि 92 जवानों और पुलिस अधिकारियों के तबादले का आदेश दिया गया। इस घटना के बाद पुलिस लाइन में हो रहे भ्रष्टाचार की बातें भी छन कर आ रही है। विभिन्न प्रकार के कार्यों के लिए, छुट्टी के लिए और मनपसंद ड्यूटी के लिए पैसे देकर सेटिंग की जानकारी मिल रही है।
पुनः दो दिन बाद फिर रविवार को ब्योर के एतवारपुर में स्थानीय लोगों और पुलिस के बीच हुए विवाद में पुलिस की फायरिंग से एक युवक की मौत हो जाती है,जबकि दो अन्य घायल हो जाते हैं। एक दरोगा की स्थानीय लोगों की पिटाई से हालत गंभीर बनी हुई है। पुलिस का कहना है कि वहां बड़े पैमाने पर जुआ खेलने की सूचना मिली थी और पुलिस वहां छापेमारी करने गई थी। छापेमारी के दौरान ही अचानक सौ से अधिक लोगों ने उन पर हमला बोल दिया। बचाव में पुलिस बल को फायरिंग करनी पड़ी जिससे एक युवक की मौत हो गई। वहीं दूसरी ओर स्थानीय लोगों का आरोप है कि छापेमारी करने गई गश्ती दल ने उनसे पैसे मांगे। स्थानीय लोगों का आरोप है कि दरोगा त्रिशूल पांडे नशे में थे और उनसे जबरन पैसा छीनने लगे। इसी में विवाद बढ़ा और यह पूरी घटना हुई।
कुछ दिन पूर्व ही खगड़िया के पास एक पुलिस अधिकारी की गोली मारकर अपराधियों ने हत्या कर कर दी तो वहीं पटना जिले के पंचमहला ओपी प्रभारी पर अपराधियों ने तब हमला कर दिया जब वह जाम छुड़ाने गए हुए थे। उन्हें सर में गंभीर चोट आई और वह किसी तरह बचकर वहां से निकल पाने में सफल रहे।
आखिर ये हो क्या रहा है ? पुलिस वर्दी देख कर दहशत में रहने वाले आम लोग और अपराधी अब उन पर हमले करने में डर महसूस नहीं करते।एक वरीय पुलिस अधिकारी के शब्दों में प्रदेश का सबसे भ्रष्ट विभाग,बिहार पुलिस अपनी गरिमा स्वतः खोता जा रहा है।हर छोटे से बड़े काम के बदले सेवा शुल्क लेने वाला यह विभाग पूरी तरह भ्रष्टाचार के आगोश में है। जवानों को कैसे ट्रेनिंग दी जा रही है, यह किसी से छुपी नहीं है। ये सब कुछ सरकार की निकम्मेपन की निशानी है। विभाग में जवानों एवं अधिकारियों के लाखों पद रिक्त हैं। पुलिस लाइन में जवान जर्जर भवन में रहने को मजबूर हैं। थानों में जवानों के रहने की कोई व्यवस्था नहीं है,टूटे-फूटे बैरक में वह जानवर से ही बदतर स्थिति में रह रहे हैं।बल की कमी की वजह से उन्हें जरूरत से के समय छुट्टी नहीं मिलती और वह तनाव में रहते हैं। प्रदेश की सरकार को इन घटनाओं से सबक सीखना होगा। पुलिस विभाग को तत्काल दुरुस्त करना होगा। हमारे पुलिस के जवानों को भी अपनी गरिमा का ख्याल रखना होगा,नहीं तो आने वाला समय निश्चित रूप से और भी खतरनाक साबित होगा।