स्पेशल स्टोरी: कितना उचित है ममता बनर्जी का हठ ?

(अनुभव की बात,अनुभव के साथ)

शारदा चिटफंड घोटाले में कोलकाता के पुलिस आयुक्त राजीव कुमार से पूछताछ में रोड़ा बने पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री की बेचैनी समझ से परे है। सीबीआई का आरोप है कि पुलिस आयुक्त राजीव कुमार शारदा चिटफंड घोटाले से जुड़े इलेक्ट्रॉनिक सबूतों को नष्ट करने में लगे हुए हैं।सीबीआई की कार्रवाई के विरोध में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी रविवार रात से धरने पर बैठी हुई थी।उन्होंने कहा कि जान दे दूंगी लेकिन समझौता नहीं करूंगी।ममता बनर्जी के समर्थन में कांग्रेस समेत पूरा विपक्ष खड़ा हो गया।कई विपक्षी दल के नेता धरना स्थल पर भी पहुंचे।जहां पूरा का पूरा विपक्ष इसे बदले की भावना से की गई कार्रवाई बता रहा है,वहीं ममता बनर्जी ने कहा है कि केंद्र सीबीआई के जरिए तख्तापलट की कोशिश कर रहा है।बताते चलें कि ममता बनर्जी ने पश्चिम बंगाल में सीबीआई के प्रवेश पर प्रतिबंध लगाया हुआ है।हालांकि न्यायालय के आदेश के बाद,सीबीआई जांच कर सकती है।

इसके पहले सीबीआई के अधिकारी जब पूछताछ के लिए राजीव कुमार के घर पहुंचे थे तो उन्हें घर के अंदर जाने नहीं दिया गया।स्थानीय पुलिस ने सीबीआई अधिकारियों के साथ बदतमीजी की और उनके साथ धक्का मुक्की करने की भी सूचना मिली है।बताते चलें कि राजीव कुमार के नेतृत्व में ही चिटफंड घोटाले की जांच पश्चिम बंगाल पुलिस ने की थी।सर्वोच्च न्यायालय ने 2014 में इस घोटाले की जांच सीबीआई को सौंपी थी। सीबीआई ने जांच से संबंधित जानकारी के लिए राजीव कुमार को कई बार नोटिस भेजी थी।परंतु राजीव कुमार ने नोटिस का कोई जवाब नहीं दिया और उन्होँने जांच में सहयोग नहीं किया।

इस मुद्दे पर पूरे देश में सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच बयानबाजी जारी है। पूरा का पूरा विपक्ष एकजुट दिखने की कोशिश कर रहा है।हालांकि सर्वोच्च न्यायालय ने सीबीआई को कुछ शर्तों के साथ जांच की अनुमति दे दी है। सर्वोच्च न्यायालय के आदेश के बाद ममता बनर्जी के पास कहने को कुछ नहीं रह गया।हालांकि दिखावे के लिए उन्होंने इस फैसले पर अपनी खुशी जाहिर की।ममता बनर्जी जहां इसे नैतिक जीत बता रही है वहीं केंद्र सरकार इसे लोकतंत्र की जीत बता रही है।कोलकाता पुलिस आयुक्त राजीव कुमार के समर्थन में मुख्यमंत्री का सीबीआई के खिलाफ धरना देना, साथ ही साथ मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के साथ पुलिस आयुक्त का धरने पर बैठना अपने आप में बहुत कुछ कहता है।ऐसे केंद्रीय गृह मंत्रालय ने राजीव कुमार के स्वभाव को अनुशासनहीनता कहा है और इसे अखिल भारतीय सेवा नियमों का उल्लंघन कहा है।

यह पूरा का पूरा मामला निश्चित रूप से दुर्भाग्यपूर्ण है।यह कहीं से भी राष्ट्र हित में नहीं है।जहां एक ओर सीबीआई को अपनी साख बचाने की जरुरत है,अपनी विश्वसनीयता कायम रखने की जरूरत है,वहीं किसी भी राज्य सरकार को इस तरह जांच में व्यवधान उत्पन्न करना उचित नहीं है। वह भी तब जब सर्वोच्च न्यायालय ने सीबीआई को इस घोटाले के जांच की अनुमति दी हुई है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *