29.06.2017/पटना, पूर्व उपमुख्यमंत्री सुषील कुमार मोदी ने प्रेसवार्ता में बताया कि राष्ट्रपति पद के यूपीए उम्मीदवार मीरा कुमार के नामांकन कार्यक्रम में घटक दल के तमाम बड़े नेता नदारद थे। सोनिया गांधी इस हारी हुई प्रतिकात्मक लड़ाई को सैद्धांतिक बता रही है जबकि नामांकन में ममता बनर्जी, अखिलेष यादव, लालू प्रसाद, मायावती से लेकर चैधरी अजित सिंह तक शामिल नहीं हुए। लालू प्रसाद ने तो दो कनिष्ठ मंत्री को भेज कर रस्म पूरा किया जबकि हजार करोड़ की बेनामी सम्पति के मामले में घिरे अपने दोनों बेटों को बचाने के लिए पार्टी के दो बड़े नेताओं को केन्द्र सरकार के दो मंत्रियों से गुहार लगाने के लिए दिल्ली भेजा जिन्हें मंत्रियों के इनकार के बाद निराषा हाथ लगी।
उन्होंने कहा कि यह कैसी सिद्धांत की लड़ाई है कि एक महीने से विदेष में छुट्टी मनाने गए कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी को भी नामांकन में षामिल होने की फुर्सत नहीं मिली। लालू प्रसाद जैसे सजायफ्ता, षारदा चिट फंड मामले में घिरी ममता बनर्जी, अकूत बेनामी सम्पति की आरोपी मायावती और स्पैक्टर्म स्कैम करने वाली पार्टी डीएमके के साथ गठबंधन बनाने का आखिर कौन सा सिद्धांत है?
यूपीए उम्मीदवार कितनी सहिष्णु और लोकतांत्रिक है कि लोकसभा अध्यक्ष के तौर पर प्रतिपक्ष की नेता सुषमा स्वराज को 6 मिनट में 60 बार टोक कर भ्रष्टाचार पर बोलने नहीं दिया था। यूपीए के घटक दल के नेताओं ने भी हार सुनिष्चित मान कर कांग्रेस की इस कथित सै़द्धांतिक लड़ाई को गंभीरता से नहीं लिया है।